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रोहित वेमुला की वो बातें जो आप शायद ही जानते हो

"जाति कोई अफवाह नहीं' ऑनलाइन डायरी से ये जानकारी मिली है.

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रोहित वेमुला
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पंडित असगर
7 अप्रैल 2017 (Updated: 7 अप्रैल 2017, 11:52 AM IST) कॉमेंट्स
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17 जनवरी 2016 को खुदकुशी कर लेने वाले रोहित ने फेसबुक पर आठ साल के अपने लेखन के दौरान गाज़ा से लेकर गाज़ियाबाद तक, शायद ही कोई मुद्दा हो जिस पर टिप्पणी नहीं की हो. जाति से लेकर गाय की राजनीति तक पर पोस्ट लिखीं. रोहित वेमुला (26 साल) हैदराबाद विश्वविद्यालय में शोधार्थी और एक छात्र नेता था. खुदकुशी के बाद वो दलितों के प्रति होनेवाले भेदभाव के खिलाफ व्यापक आंदोलन का चेहरा बन गया. रोहित की पोस्ट को संपादित कर निखिला हेनरी ने रोहित वेमुला की ऑनलाइन डायरी 'जाति कोई अफवाह नहीं' को किताब का रूप दिया है. जो यहां हम प्रकाशक जगरनॉटबुक्स की अनुमति से आपको पढ़वा रहे हैं.

ज़िंदगी, रोमांस और अपने बारे में रोहित वेमुला

राधिका वेमुला और मणि कुमार वेमुला के यहां 30 जनवरी 1989 को रोहित वेमुला का जन्म हुआ था.वेमुला ने आंध्रप्रदेश के गुंटुर में अपनी ज़िंदगी के बारे में बहुत कम लिखा है. गुंटुर मिर्च के उत्पादन में सबसे आगे है. हैदराबाद विश्वविद्यालय में बायो-टेक्नोलॉजी विभाग में एसएससी में दाखिला लेने के बाद भी वेमुला हर साल गुंटुर जाता था. बाद में वेमुला ने हैदराबाद विश्वविद्यालय से ही साइंस टेक्नोलॉजी एंड सोसाइटी विभाग में पीएचडी शुरू की. वेमुला की मां माला जाति की दलित महिला थीं. उनके पति वड्डेरा समुदाय (अन्य पिछड़ी जाति, ओबीसी) के थे.पांच साल विवाहित रहने के बाद सन 2000 में उनका तलाक हो गया. उनकी तीन संतानें थीं- एक रोहित वेमुला की बड़ी बहन डी. नीलिमा और दूसरा, छोटा भाई राजा चैतन्य वेमुला. rohit वेमुला अपनी मां को उन दो स्तंभों में गिनता था जिन्होंने उसकी ज़िंदगी को सहारा दिया था. इनमें से दूसरा था उसका दोस्त शेख रियाज़. अपनीऑन लाइन तस्वीरों के नीचे लिखी एक दो पंक्तियों में ही वेमुला अपनी घरेलू ज़िंदगी के 20 सालों के बारे में जानकारी देता है. इन पंक्तियों में वेमुला सिलाई का काम करने वाली अपनी मां और घर से हमेशा गायब रहने वाले अपने पिता की प्राइवेट सेक्योरिटी गार्ड की वर्दी का उल्लेख करता रहता है. वेमुला अपने को एक ‘निराश रोमांटिक’शख्स के रूप में पेश करता था. उसे लोगों से प्यार था. उसे संगीत और शराब से मोहब्बत थी. हालांकि उसकी मौलिक पहचान एक राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में थी, वह क्रिकेट खेलने, दोस्तों के साथ मौज मस्ती करने, प्यार करने और प्यार के टूटने और मानवता में अपने विश्वास के बारे में भी लिखता रहता था. वेमुला इन सब के बारे में पूरी तरह डूबकर लिखता था. उसकी भाषा मस्ती और दुख से सराबोर होती थी. आखिर वह अपनी जवानी के शिखर पर था. डॉ. बीआर आंबेडकर के साथ साथ कार्लमार्क्स और कार्लस गान भी उसकी प्रेरणा के स्रोत थे, लेकिन उसे एआर रहमान के गाने मरहबा या मुस्तफा में भी उतना ही मज़ा आता था. उसे यकीन था कि हैदराबाद विश्वविद्यालय में उसे अच्छे दोस्त मिलेंगे और वह अच्छी ज़िंदगी बिता पाएगा.

a. घर और दूसरे मसलों के बारे में

30 जनवरी 2008 रोहित वेमुला के पास जो भी है उसमें वह खुश है..(वह) प्रतिभावान (है) 22 जुलाई 2010 मैंने हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में दाखिला ले लिया. यहां का माहौल अद्भुत है. लोग अच्छे हैं. खुशी महसूस हो रही है. कुछ अच्छे दोस्तों को ढूंढ रहा हूं. 6 मार्च 2011 आज मुझे सलामी बल्लेबाज़ के तौर पर खेलने का मौका मिला (हैदराबाद विश्वविद्यालय के एक मैच में- संपादक). सहयोग के लिए प्रवीण और रोहित (दोस्त- संपादक) का शुक्रिया. 17 जून 2012 मैं घरेलू हिंसा के ख़िलाफ़ हूं. मैंने अपनी मां के तकलीफों को देखा है और मैं आगे आने वाले परिवर्तनों का हिस्सा बनना चाहता हूं. असली मर्दानगी तो तब है जब औरत आपके साथ रहना चाहे (न कि उसे साथ रहने को मजबूर करने में) 13 मार्च 2014 (उसने कई तस्वीरें पोस्ट कीं –संपादक) मैं अपनी मां की सबसे अच्छी दोस्त, एक बिल्ली की तस्वीर लेने की कोशिश कर रहा था. वह इसे ‘रास्कल’ (दुष्ट) कह कर पुकारती है. लेकिन मेरे घर में यह बिल्ली ही एक ऐसा जीव है जो मां की बात मानती है. वह भाग गई. वो मेरे साथ कभी नहीं खेलती. हमारे घर में एक रेफ्रिजेरेटर है जिसके कारण हमारे घर को मुहल्ले में लोग बहुत प्यार करते हैं. मैं इसमें रखे पानी की बोतलें नहीं छूता क्योंकि उनमें से ज़्यादातर पड़ोसियों की हैं. टी वी का रिमोट तो प्रायःहमेशा पड़ोस के बच्चे के हाथ में ही रहता है. पिता की वर्दी, हॉस्पिटल में सिक्योरिटी गार्ड. (सार्वजनिक नल की तस्वीर के साथ-संपादक) पानी का स्रोत और गपशप की जगह. मेरे जूनियर रिसर्च फेलोशिप मिलने के पहले यही (सिलाई की मशीन –संपादक) परिवार की आमदनी का ज़रिया थी...यह मेरी मां का प्यारा पेशा है. वह कहती है कि ‘मशीन’ औरत को ताकतवर बना सकती है. अब वो एक शिक्षक है. अब वह आस पास के औरतों को सिलाई-कढ़ाई सिखाती है. 13 मार्च 2014 रियाज़ की मोटर साइकिल जिस पर मैंने गाड़ी चलानी सीखी.

b. रूमानी व्यक्तित्व

14 अप्रैल 2009 किसी के साथ रह कर भी अकेले महसूस करने से बेहतर है अकेले रहना. 6 फरवरी 2014 मैं जानता हूं कि मेरा इस तरह बात करना जैसे कि मैं तुम्हें समझता हूं, गलत है. मुझे इस बात का अहसास है कि तुम्हारी समस्याएं बहुत ही तकलीफ देह हैं. मैं तो सिर्फ इतना कहने की कोशिश कर रहा हूं कि ‘तुम अकेले नहीं हो’, दुनिया में ऐसे लाखों लोग हैं जो इस वक्त ठीक तुम्हारी तरह असहनीय परिस्थितियों को झेल रहे हैं. तुम खुश रहो, मैं बस यही चाहता हूं. 23 मार्च 2014 लड़की ने अपनी जानी-पहचानी स्नेह भरी आवाज़ में पूछा, ‘तुम कैसे हो?’ उसकी आंखें वैसी ही अबूझ सी लग रही थीं. लड़का तुरंत नीचे की तरफ देखने लगा और मुस्कुरा कर बोला, ‘बिलकुल ठीक!’ मैंने लड़की को मुस्कुराते हुए देखा. उसकी मुस्कुराहट कागज़ के फूल की ताज़गी कामुका बला कर रही थी. ‘बुरी तरह टूटा हुआ हूं, लेकिन किसी तरह ज़िंदगी चल रही है,’ उसे एक अनजानी सी आवाज़ सुनाई दी. लेकिन पक्के तौर पर नहीं कह सकता कि वह आवाज़ उसके अंदर से आई थी या किसी दूर की जगह से. खैर, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. इन दोनों में कोई खास फर्क नहीं है. ओस की बूंदों जैसी आंखों वाले अनजान शख्स से आईने में मेरी बातचीत. 26 मार्च 2014 कभी-कभी एक छोटी-सी बात हमारी तर्कशक्ति को चुनौती देकर चली जाती है. अगर मैं अपने इतिहास में जा कर जी सकूं तो क्या होगा? जिस किसी व्यक्ति का बचपन थोड़ा मुश्किलों से भरा रहा हो और किशोरावस्था भी थकाने वाली रही हो ऐसे व्यक्ति के दिमाग में यह सवाल आना एक सामान्य सी बात है. काश कि मैं ऐसे लोगों से नहीं मिला होता और उन्हें अपने से दूर जाते हुए बेवकूफों की तरह नहीं देखता! अगर मुझे ऐसे वक्त में वापस जाने का फिर से मौका मिलता जब सारी दुनिया खूबसूरत दिखती थी तो क्या मैं अपनी ज़िंदगी नए सिरे से शुरू करना चाहता? मेरे प्यार के मौसम में सूरज, चांद, तारे, आसमान, फूल और रंग केवल एक दर्शक नहीं थे. ये सब मेरी ज़िंदगी के जश्न में शामिल किरदार थे. होशो-हवास रखने वाला कोई भी इंसान उन क्षणों को फिर से जीना चाहता. लेकिन मैंने ऐसा नहीं चाहा. मैंने कभी अपनी पुरानी ज़िंदगी में वापस नहीं जाना चाहा. आज मेरा इतिहास चाहे कितना भी परेशानियों से भरा क्यों न हो लेकिन मेरी पुरानी ज़िंदगी में कुछ भी ऐसा नहीं जिसे मैं याद करना चाहूं. आज मेरे सपनों में भले ही परेशान करने वाली बातें मुझे सताए लेकिन ऐसा भी एक वक्त था जिसमें मेरे पास सपने देखने लायक कुछ भी नहीं था. आज मेरी स्मृति में दुख भरे पल होते हैं, मैं बुरे सपने देखता हूं, मैं लहूलुहान भी होता हूं, अवसादों से घिर जाता हूं लेकिन उन दिनों मैं बिलकुल उदासीन था. मैं पूरी तरह शिथिल था. मुझसे प्यार करने वाला कोई न था, मुझे परखने वाला कोई न था. अपने उलझे हुए दिमाग से निकले किसी पेचीदा सवाल का जवाब आपने कितनी बार गंभीरतापूर्वक, चतुराई पूर्ण तरीके और अपने ही अंदर उलझे हुए तर्कों से दिया है? टूटा हुआ, दफनाया हुआ. 18 अप्रैल 2014 'तुम्हें पता है कि मुझे तुम्हारे बारे में लोगों ने आगाह किया था?' लड़के की ओर आश्चर्य से देखते हुए लड़की ने कहा था, मानो उसी ने आसमान में सभी तारे जड़ दिए हों. और अपनी अधखिली हंसी के खास अंदाज़ में उसके बालों को सहलाते हुए लड़के ने फुसफुसाते हुए कहा था, 'लेकिन तुम तो हो न यहां.' और मैंने आसमान में किसी के हौले-हौले कराहने की आवाज़ सुनी थी. ज़रूर ही चांद उसे सितारों से मिलवा रहा होगा. 3 जुलाई 2015 वह दिलों को इकट्ठा करती है पर इसके बाद उसे उनकी कोई चिंता नहीं रहती. गीली रेत में पैरों के निशान की तरह, बच्चे की मुस्कुराहट की तरह वह ज़िंदगी पर हमला करती है. अकेली रातों में तेज़ बरसातों की तरह वह एक मरहम जैसी है जो जलाती है. सबको पता है कि वह लोगों की जान लेती है, आपकी ज़िंदगी को बेमतलब बना देती है लेकिन फिर भी उससे आज तक कोई बच नहीं पाया है- मौत की तरह, प्यार की तरह. कुछ लोग कहते हैं कि उसका कोई मकसद है जैसे कि दुनिया को बचाना. उसे कैसे बताऊं कि मैं भी उसी दुनिया का एक हिस्सा हूं. कुछ लोग कहते हैं कि वह सबसे प्यार करती है फिर मैं सबमें शामिल क्यों नहीं? मैं जिस किसी होंठ को चूमता हूं उसमें मुझे अकेलेपन का अहसास मिलता है. हर आलिंगन मुझे और भी सिकुड़ा जाती है. शराब का हर प्याला उस बुजुर्ग की तरह लगता है जिसकी सलाह का मतलब मुझे ढूंढ़ना है. क्या मुझे इस बात के लिए दुखी होना चाहिए कि मैंने उससे इस ज़िंदगी में प्यार नहीं किया? या कि मुझे खुश होना चाहिए कि मुझे एक और ज़िंदगी जीने का मकसद मिल गया? अप्रकाशित लेखन का भावानुवाद (इसे पहले तेलुगु में लिखा गया था जिसे बाद में फेसबुक पर पोस्ट करने के लिए अनूदित किया गया- संपादक)

c. अपने बारे में कुछ

21 अप्रैल 2011 मुझे आज एक बात का पता चला. मेरे ऊपर परीक्षा से संबंधित कोई शाप है. भले ही मैं कितनी भी मेहनत क्यों न करूं, मैं परीक्षा में अच्छा नहीं कर सकता. मैं इस शिक्षा से बिलकुल ऊब चुका हूं. मैंने इस विषय में पढ़ाई करने का फैसला क्यों किया? इस भीड़ में मैं अपने को बिलकुल अलग-थलग पाता हूं. 9 अगस्त2011 संगीत से सुकून मिलता है. जब हर चीज़ बदल जाती है तब भी गीत नहीं बदलते. मेरा अनुमान है कि अगर आप अपने दिल की बात कहने की कोशिश करें तो आपकी ज़ुबान बंद हो जाती है. 12 मार्च2012 ज़िंदगी उस सिगरेट की तरह है जो एक तरफ से जल रही है. चाहे आप इस पिएं या न पिएं, यह खत्म हो जाने वाली है. इसी तरह ज़िंदगी भी खत्म हो जाती है, चाहे आप इस का मज़ा लें या इसे बीतते हुए देखें. फैसला आपके हाथ में होता है. इसलिए सावधानी से चुनाव करना चाहिए. वैसे, मैं अच्छा सिगरेट पीने वाला इंसान हूं. 15 अप्रैल 2012 मेरे शब्दों में आंतरिक अर्थ होते हैं. मेरे चुप रहने के कई कारण हैं. आखिर में हरेक चीज़ का मतलब साफ़ हो जाएगा. मुझ पर भरोसा रखो. 23 फरवरी 2013 तुम अगर अपने चारों तरफ नज़र दौड़ाओगे तो वैसे लोग दिखाई देंगे जैसे हमारे चारों तरफ़ (गरीब और बूढ़े लोग- संपादक) दिखाई देते हैं. हमारे पास उन्हें देने के लिए पैसे तो नहीं हैं, लेकिन उनके साथ मुस्कुरा कर और गर्म जोशी से मिलने से ही उन्हें खुशी मिलती है और उनकी ज़िंदगी में उम्मीद जगती है. बुज़ुर्गों से बात करो. तुम्हें उनसे सीखने को मिलेगा. तुम्हारी बात से उनका दिल भी सुकून मिलेगा. बूढ़े लोग मानो अनुभवी बच्चों की तरह होते हैं. हमें अपनी क्षमता के मुताबिक उनका खयाल रखना चाहिए. 24 फरवरी 2013 हम मानव इतिहास के सबसे बेहूदा वक्त में जी रहे हैं. हम असुरक्षा की भावना से घिरे हुए हैं न कि उत्साह से. हम पैसे से प्रेरित हो रहे हैं, अपनी भावना से नहीं. हम भूल चुके हैं कि हम कैसे ज़िंदगी जीते थे. हमें आज की तुलना में 10 गुणे से भी कम पैसा मिलता था लेकिन हम मस्ती से दोपहर में झपकी ले सकते थे. हम नाम गाम के पीछे नहीं भागते थे. हमें सहानुभूति और ईमानदारी की फिक्र होती थी. हम गलत चीज़ों पर सवाल उठाने और उनसे लड़ने से डरते नहीं थे. हमें दूसरों की मदद करने में घबराहट नहीं होती थी, नहीं पैसों के नुकसान से. हम कभी दूसरों से अपनी तुलना नहीं करते थे क्योंकि हम सोचते थे कि हम सभी एक परिवार के सदस्य हैं और हमें लालची होने की ज़रूरत नहीं है.
हम अपना खाना, संपत्ति और प्यार लोगों के साथ बांटते थे. हम में देशभक्ति थी लेकिन अंध-देशभक्ति नहीं. हम पर्व त्योहार आपस में मिलने-जुलने के लिए मनाते थे न कि राजनीति के मकसद से या अपनी संख्या का ज़ोर दिखाने के लिए.एक बात सोच लो हम आज क्या कर रहे हैं? क्या हम सचमुच ज़िंदगी जी रहे हैं या बस प्रेतों की तरह समय बिता रहे हैं?
6 मई 2013 बचपन लाजवाब होता है. हमें (अपने कामों के बारे में- संपादक) किसी को कोई सफाई नहीं देनी होती. हम दुनिया की किसी भी चीज़ को पाने की चाहत रख सकते हैं, बिना परवाह किए कि हम उसके लायक हैं या नहीं. छोटी-सी झपकी के बाद हम सब कुछ भुला देते हैं. न कोई निराशा, न अकेलापना न आत्म-आलोचना, न अपने ऊपर किसी तरह का संदेह. न हमें अपने दिन की योजना बनाने की ज़रूरत होती है और न किसी समस्या से जूझने की ज़रूरत. बचपन! 13 मई 2013 कभी कभी सोचता हूं कि काश मैं अपने दिमाग का स्विच बंद कर पाता ताकि ऐसी बातों पर सोचने से बच पाता जिनकी व्याख्या करना ठीक नहीं होता. मैं सोचता हूं, बहुत ज़्यादा सोचता हूं और यही मेरी एक बड़ी समस्या है. 25 मई 2013 अपने अंदर के शैतान से तुम आखिरी बार कब मिले थे? वही शैतान जिसे तुम अपने समाज, परिवार, दूसरे लोगों से छिपाने की कोशिश में लगे रहते हो- वही तुम्हारे अंदर का अपना ही अंधकार पूर्ण, बल शाली और अजीबो गरीब स्वरूप. उसने आखिरी बार कब सामाजिक मर्यादाओं को तोड़कर तुम्हारी सोच और आचरण पर कब्ज़ा कर लिया था? कब? 3 मार्च 2014 मैं अंधकार और प्रकाश, सहानुभूति और ईर्ष्या, अच्छाई और विद्रूपता, प्यार और उदासीनता दोनों से बना हूं. तुम्हें मुझ से क्या मिलेगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि तुम मेरे किस पहलू को छूते हो. 3 जून 2014 चलो, इंतज़ार खत्म हुआ. मैं साइंस, टेक्नोलॉजी एंड सोसाइटी स्टडीज़ में पीएचडी के लिए चुन लिया गया हूं. 9 अगस्त 2014 लोग तुम पर बुरी मंशा रखने की तोहमत लगा सकते हैं लेकिन हमें उनके प्रति फिर भी सहानुभूति की भावना रखनी चाहिए. रहम दिल होना प्रतिभाशाली होने या सही होने से कहीं बेहतर है. 27 अक्टूबर 2014 हम सितारों की धूल और ओस की बूंदों से बने हैं. इस दुनिया में हमें कोई उपलब्धि मिले या न मिले, हम अद्भुत हैं क्योंकि हम साधारण नहीं. 31 जनवरी 2015 (अपने 18 दोस्तों को धन्यवाद देते हुए- संपादक) मेरे जन्मदिन को यादगार और खास बनाने के लिए शुक्रिया मेरे दोस्तों. पिछला साल मेरे लिए बहुत बुरा था. मुझे किसी ने धक्का दे दिया था, मैं गिर पड़ा था. मैं आक्रामक हो गया था और बेवजह के झमेलों में फंस गया था. कई बुरे पल गुज़रे. लेकिन इसी ने मुझे यह जानने का मौका भी दिया कि ऐसे वक्त में कौन मेरा साथ देगा और कौन नहीं. जब कभी ज़िंदगी ने मेरे साथ नाइंसाफी की, तुम लोगों ने मेरा हौसला बढ़ाया. दोस्ती निभाने और मेरा साथ देने के लिए तुम सभी का एकबार फिर शुक्रिया. ‘आश्चर्य चकित होना आनंददायक होता है, सपने देखना मज़ेदार होता है’ एलेन पो आओ हम साथ मिलकर सपना देखें. 15 मार्च 2015 मैंने शांत और स्थिर रहने की कोशिश की लेकिन मेरा इतिहास मुझे ऐसा नहीं करने देगा. 15 फरवरी 2015 बीयर पीने के बाद पानी का स्वाद हमेशा अद्भुत लगता है.
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