नीतीश और बीजेपी से ज्यादा तेजस्वी यादव के खिलाफ आक्रामक क्यों हैं प्रशांत किशोर? वजह ये तो नहीं...
Prashant Kishor की पदयात्रा अब अपने अंतिम दौर में है और 2 अक्टूबर के दिन पीके आधिकारिक तौर पर अपनी पार्टी 'जन सुराज' को लॉन्च करने जा रहे हैं. प्रशांत किशोर की पदयात्रा जैसे जैसे बढ़ रही है वो बिहार के नेता प्रतिपक्ष Tejaswi Yadav के खिलाफ आक्रमक होते जा रहे हैं.

“बिहार में जो स्कूल नहीं गया. फेल हुआ. पिछली बेंच पर बैठा वही यहां का नेता है. अभी आपने कुछ दिन पहले देखा होगा कि महाज्ञानी तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार की जीडीपी सबसे ज्यादा है. उनको ये समझ ही नहीं है कि जीडीपी है क्या?” जन सुराज अभियान के सर्वेसर्वा प्रशांत किशोर ने ये बातें 29 फरवरी 2024 को कहीं. “तेजस्वी यादव की क्या पहचान है, वे नौंवी फेल आदमी हैं. वह क्रिकेट खेलने गए तो वहां पानी ढोते थे. लालू यादव के लड़के हैं इसलिए सब लोग जानते हैं. लालू के लड़के हैं इसलिए राजद के नेता भी हैं.” ये भी बयान प्रशांत किशोर का ही है जो 25 मई 2024 को दिया गया. करीब तीन महीने के बाद प्रशांत किशोर का एक और बयान सामने आया. उन्होंने कहा, “तेजस्वी यादव के वक्तव्य पर टीका टिप्पणी करना वो भी विकास के मामले में. इसमें उनकी समझ कितनी है. तेजस्वी यादव जात, रंगदारी, बालू माफिया पर बोलें तो उस पर टीका टिप्पणी हो सकती है. तेजस्वी यादव विकास के मॉडल पर चर्चा करें ये हास्यास्पद लगता है.”
ये टाइमलाइन प्रशांत किशोर के बयानों का है. जिनकी जल्द ही बिहार के सियासी अखाड़े में आधिकारिक तौर पर एंट्री होनी है. उनके इन बयानों को पढ़ कर लगेगा कि बिहार के मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव हैं. अब सवाल उठता है कि आखिर तेजस्वी यादव प्रशांत किशोर के फायरिंग रेंज में सबसे आगे क्यों हैं? और राज्य में एनडीए गठबंधन की सरकार होने के बावजूद उनके निशाने पर सबसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पहले तेजस्वी यादव क्यों हैं? हम इसको समझने की कोशिश करेंगे. लेकिन पहले प्रशांत किशोर के जन सुराज अभियान के बारे में थोड़ी बात कर लेते हैं.
जन सुराज: पदयात्रा से राजनीतिक दल की यात्रा2 अक्टूबर 2022. प्रशांत किशोर ने पश्चिमी चंपारण के ऐतिहासिक भितिहरवा गांव स्थित गांधी आश्रम से अपनी 3500 किलोमीटर लंबी पदयात्रा शुरू की. जहां से महात्मा गांधी ने साल 1917 में अपना पहला सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया था. सबकुछ जन सुराज अभियान के बैनर तले हो रहा था. इस अभियान के तहत दो साल से गांव-गांव घूम रहे प्रशांत किशोर 2 अक्टूबर 2024 को इस अभियान को राजनीतिक दल का रूप देने जा रहे हैं. इस बात की तस्दीक वो कई मौकों पर कर चुके हैं. पिछले दिनों उन्होंने जन सुराज के पदाधिकारियों के साथ एक बड़ी बैठक की थी. और पार्टी के संगठनात्मक ढांचे के बारे में जानकारी दी थी. मसलन पार्टी का अध्यक्ष कौन होगा? और टिकट बंटवारे का फॉर्मूला क्या रहेगा. लगे हाथ उन्होंने ये भी बता दिया कि पार्टी की कमान उनके हाथ में नहीं होगी.
बिहार युवा संवाद में तेजस्वी पर निशानाइसके अलावा प्रशांत किशोर के जिस सम्मेलन की सबसे ज्यादा चर्चा हुई. वो है बिहार युवा संवाद. खचाखच भरे पटना के बापू सभागार में पीके (प्रशांत किशोर को लोग इस नाम से भी बुलाते हैं) एंट्री होती है. पूरा हॉल जय बिहार के नारे से गूंजने लगता है. इस सम्मेलन में प्रशांत किशोर ने राजनीति में युवाओं के भागीदारी की बात की. लेकिन घूम फिर कर उनके निशाने पर तेजस्वी यादव ही रहे. उन्होंने इस सभा में राजनीति में आने की न्यूनतम योग्यता पर बात की. उन्होंने कहा कि बिहार के युवा 10वीं फेल लोगों के नेतृत्व में काम नहीं करना चाहते हैं. फिर तेजस्वी यादव का नाम लिए बगैर तंजिया लहजे में उन्होंने कहा कि याद रखिए, मैंने 10वीं फेल कहा है. 9वीं फेल नहीं कहा है.

आखिर प्रशांत किशोर ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बजाए तेजस्वी यादव को अपने निशाने पर सबसे आगे क्यों रखा है. इसके पीछे की सियासत के बारे में दैनिक जागरण के वरिष्ठ पत्रकार अरविंद शर्मा बताते हैं,
बिहार में नीतीश कुमार की राजनीति लगभग ढलान पर है. और प्रशांत किशोर अपनी पहचान बनाने को लेकर संघर्ष कर रहे हैं. एक बात तो स्थापित है कि बिहार में बीजेपी की पॉलिटिक्स रहेगी. दूसरा, राजद में पीढ़ी परिवर्तन हुआ है तो लालू यादव की तुलना में तेजस्वी थोड़े कमजोर नजर आ रहे हैं. अब प्रशांत किशोर को यहीं पर स्पेस दिख रहा है. इसीलिए उनके टार्गेट में तेजस्वी यादव सबसे आगे हैं. जिस तरह का नीतीश कुमार का स्वास्थ्य है उससे लग नहीं रहा है कि वो ज्यादा लंबे वक्त तक राजनीति में सक्रिय रह पाएंगे. और उनके बाद उनकी पार्टी का जो हश्र होगा उससे सबलोग परिचित हैं. उनकी पार्टी आज की तरह बनी रहेगी इसमें संदेह है. तो अब एंटी बीजेपी फ्रंट की पॉलिटिक्स कौन करेगा. प्रशांत किशोर इसको बेहतर समझ रहे हैं. और प्रशांत किशोर एंटी बीजेपी फ्रंट में तेजस्वी यादव को पीछे छोड़कर आगे बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं. इसीलिए वो तेजस्वी और राजद को ज्यादा टार्गेट कर रहे हैं.
अरविंद शर्मा आगे जोड़ते हैं कि आरजेडी को भी इस बात का एहसास है. इसलिए कुछ हफ्ते पहले राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को पत्र जारी कर अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को आगाह करना पड़ा कि वो प्रशांत किशोर के बहकावे में ना आएं.
मुसलमान वोटों की रहनुमाई का मसलाइसी साल 14 जुलाई को प्रशांत किशोर पटना के हज भवन में एक कार्यक्रम में शामिल हुए. ‘बिहार का सियासी मंज़र नामा और मुसलमान’, इस कार्यक्रम में कई मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने शिरकत की. यहां भी प्रशांत किशोर के निशाने पर राजद और तेजस्वी यादव ही रहे. उन्होंने कहा कि बिहार में मुसलमानों की हालत सबसे खराब है. अब समय आ गया है कि मुसलमानों को अपनी रहनुमाई खुद करनी पड़ेगी. आप लालटेन में केरोसिन तेल बनकर जलते रहे और रोशनी आपके यहां नहीं, कहीं और हो रही है. प्रशांत किशोर अपनी सभाओं में भी मुसलमानों की हालत को लेकर राजद और तेजस्वी यादव पर हमलावर रहते हैं.
प्रशांत किशोर की इस रणनीति के बारे में इंडिया टुडे मैग्जीन से जुड़े पुष्यमित्र बताते हैं,
मुस्लिम वोटर्स फिलहाल तेजस्वी की कमजोर कड़ी हैं. जबसे राजद की कमान तेजस्वी के हाथों में गई है. मुसलमानों को लग रहा है कि तेजस्वी उनकी उपेक्षा कर रहे हैं. उनको टिकट देने की दर घटी है. लालू यादव के समय मुसलमानों को ज्यादा टिकट मिलता था. तेजस्वी के समय यह संख्या कम होती गई है. इस बार लोकसभा चुनाव में इन्होंने 2 ही मुस्लिमों को टिकट दिया. तेजस्वी के आसपास जो चेहरे आपको दिखते हैं जो उनकी कोर टीम कही जाती है. उसमें भी कोई मुस्लिम चेहरा नहीं है. इसके अलावा इस बार तेजस्वी ने लोकसभा में ऐसे लोगों पर भरोसा जताया जो बीजेपी को हराने में सक्षम नहीं थे. सिवान में लोगों को मानना था कि हेना शहाब को मनाना चाहिए था. और अगर वो नहीं मान रही थीं तो उनके खिलाफ कैंडिडेट नहीं देना चाहिए था. इस तरह की बहुत सी चीजें हुईं जिससे मुस्लिमों को लगने लगा कि MY समीकरण सिर्फ एक छलावा है. जिसकी आड़ लेकर उनकी उपेक्षा की जा रही है. प्रशांत किशोर इस चीज को भांप रहे हैं. और मुसलमानों को अपने पाले में लाने के लिए तेजस्वी और राजद पर हमला कर रहे हैं.
प्रशांत किशोर अलग-अलग मंचों से लगातार मुस्लिम वोटर्स पर डोरे डाल रहे हैं. क्योंकि कहीं न कहीं उनको इस बात का अनुमान है कि यदि एंटी बीजेपी फ्रंट की पॉलिटिक्स में अपनी जगह मजबूत करनी है तो तेजस्वी यादव के M-Y समीकरण में सेंधमारी करनी ही होगी. प्रशांत किशोर की इस रणनीति के बारे में अरविंद शर्मा बताते हैं,
तेजस्वी की सबसे बड़ी मजबूती है MY समीकरण. जब तक MY समीकरण दरकेगा नहीं तब तक तेजस्वी यादव या आरजेडी की सियासत बनी रहेगी. यादव और मुस्लिम मिलाकर बिहार में 32 फीसदी वोट हो जाते हैं. इसमें यादव तो टूटने से रहे इसलिए प्रशांत किशोर की कोशिश है कि जो MY समीकरण है उससे मुस्लिम को हटा दिया जाए. और जब मुस्लिम दूर हो जाएगा तो आरजेडी के पास सिर्फ 14 फीसदी वोट बच जाएगा. और तेजस्वी यादव की ताकत आधी हो जाएगी. इसके बाद प्रशांत किशोर को अपना स्पेस बनाने में सहूलियत हो जाएगी. इसलिए वो मुस्लिम वोटरों को ज्यादा टार्गेट कर रहे हैं. प्रशांत किशोर ये मानकर चल रहे हैं कि एंटी बीजेपी फ्रंट की पॉलिटिक्स में जगह बनाने के लिए तेजस्वी यादव का खत्म होना जरूरी है. और उनकी पॉलिटिक्स तभी खत्म होगी जब MY समीकरण टूट जाएगा.
एक तरफ जहां तेजस्वी यादव प्रशांत किशोर के लाइन ऑफ अटैक में सबसे आगे हैं. वहीं प्रशांत किशोर नीतीश कुमार पर भी जुबानी तीर चलाने का कोई भी मौका चूकते नहीं हैं. 2025 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने नीतीश कुमार की पार्टी को 25 से भी कम सीट मिलने की भविष्यवाणी की है. इन सबमें जो एक चीज काबिल-ए- गौर है. वो पीके का बीजेपी को लेकर स्टैंड. लोकसभा चुनावों में उनकी भविष्यवाणी बीजेपी के पक्ष में थी. और बिहार में बीजेपी का क्या होगा इस पर एक चुप्पी है. अब ये प्रशांत किशोर की कोई चुनावी स्ट्रेटजी का हिस्सा है या फिर कुछ और, ये तो आगे पता चलेगा. लेकिन एक चीज तय है कि आगे भी तेजस्वी यादव प्रशांत किशोर के निशाने पर बने रहेंगे.
वीडियो: 'ये गठबंधन भी बहुत नहीं चलेगा', प्रशांत किशोर ने नीतीश की 'वापसी' की तारीख बता दी

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