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पहलगाम में पर्यटकों की जान लेने वाले आतंकी संगठन TRF के बारे में सबकुछ जानिए

यह पहला मामला है जब जम्मू-कश्मीर में इस तरह से पर्यटकों को निशाना बनाकर हमला किया गया है. और इसमें हाथ है द रजिस्टेंट फोर्स (TRF) का.

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TRF
सांकेतिक तस्वीर. (India Today)
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सौरभ
22 अप्रैल 2025 (Updated: 22 अप्रैल 2025, 11:54 PM IST) कॉमेंट्स
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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है. इस हमले में 26 लोगों के मारे जाने की खबर है. खबर लिखे जाने तक सरकार की तरफ से 16 मृतकों के नाम भी सामने आ चुके हैं. इनमें दो विदेशी नागरिक भी शामिल हैं. यह पहला मामला है जब इस तरफ से पर्यटकों को निशाना बनाकर हमला किया गया है. और इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली है ‘द रजिस्टेंट फोर्स’ (TRF). पिछले कुछ सालों में कश्मीर में जो आतंकी हमले हुए हैं उनमें से ज्यादातर में इस संगठन का नाम आया है. कश्मीर में टारगेटेड किलिंग इसी आतंकी संगठन ने शुरू की. हालांकि, इस आतंकी संगठन में कुछ नया नहीं है, सिर्फ नाम ही बदला है.

TRF का इतिहास

साल 1985 में पाकिस्तान के रहने वाले आतंकवादी हाफ़िज़ मोहम्मद सईद और ज़फ़र इकबाल ने मिलकर जमात-उद-दावा की नींव रखी. एजेंडा - इस्लाम के सलाफ़ी आंदोलन को आगे बढ़ाना. साल 1986 - आतंकी ज़कीउर्रहमान लखवी के पास जिहादियों का अपना एक गुट हुआ करता था, लखवी ने उसे हाफ़िज़ सईद के जमात में मिला दिया. नए गुट का नाम हुआ - मरकज-उद दावा-अल-इरशाद. साल 1990 - अफगानिस्तान के कुनार प्रांत में एक मीटिंग हुई. इस मीटिंग में साल 1986 में बने मरकज से लश्कर-ए-तैयबा का जन्म हुआ.

गठन की इस कार्रवाई को अंजाम देने के लिए बहुत सारे पैसे की जरूरत थी. और ये पैसे की जरूरत पूरी हुई अल-कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन से. उसने हाफ़िज़ सईद, ज़फ़र इकबाल और लखवी को पैसा खिलाया, ताकि लश्कर का काम पूरा हो सके.

लश्कर का एजेंडा - कश्मीर को भारत से अलग करना. इसलिए लश्कर के अधिकतर ऑपरेशन जम्मू-कश्मीर पर केंद्रित रहे. साल 1992 से लश्कर-ए-तैयबा की जम्मू-कश्मीर में एक्टिविटी शुरू हुई. इन शुरुआती एक्टिविटी में घुसपैठ करना, स्थानीय कश्मीरी पंडितों पर हमले करना, स्थानीय लोगों को बरगलाकर उनके हाथों में बंदूक थमाना जैसे काम शामिल थे.

भारत सरकार ने लश्कर को प्रतिबंधित संगठनों की सूची में डाल दिया. फिर भी लश्कर देश में कई आतंकी हमलों और निर्दोष लोगों की हत्याओं की कार्रवाइयों को अंजाम देता रहा. साल 2019. भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को निष्प्रभावी कर राज्य का स्पेशल स्टेटस खत्म कर दिया. जिसके बाद लश्कर के निष्क्रिय पड़े आतंकियों ने एक नया संगठन बनाया. साथ मिला कश्मीर में एक्टिव रहे एक अन्य आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों का. नए संगठन को नाम मिला - The Resistance Force. उर्फ TRF.

और तब से लेकर अब तक जम्मू-कश्मीर में लश्कर अपनी कार्रवाइयों को TRF के जरिए अंजाम देता आया है

TRF के हमले

अप्रैल 2020 - केरन घाटी में TRF के दो आतंकियों ने भारत की पैरामिलिट्री फोर्स के 5 जवानों की हत्या कर दी, साथ ही सोपोर में भारतीय सेना के तीन जवानों का भी कत्ल किया.

मई 2020 - भारतीय सेना के एक कर्नल, एक मेजर, दो जवानों समेत एक पुलिस अधिकारी की हत्या कर दी.

मई 2020  - CRPF के 4 जवानों समेत एक विकलांग कश्मीरी की हत्या कर दी. CRPF के जवानों को हथियार भी लूटे.

जून 2020 - अनंतनाग में एक कश्मीरी पंडित सरपंच अजय पंडिता की हत्या कर दी.

अक्टूबर 2020 - कुलगाम में तीन भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या.

फरवरी 2021 - श्रीनगर में दो पुलिसवालों की हत्या.

जून 2021 - पुलवामा में बेटी और पत्नी समेत एक पुलिस अधिकारी की हत्या.

अक्टूबर 2021 - श्रीनगर में एक कश्मीरी पंडित व्यवसायी की हत्या.

अक्टूबर 2021 - श्रीनगर के एक स्कूल में एक सिख और एक हिन्दू अध्यापक की हत्या.

फिर आया साल 2023, जब भारत सरकार ने TRF को प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया.

ध्यान दें कि ये कुछ ही अटैक हैं, जिनके लिए TRF जिम्मेदार हैं. पूरे जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग इलाकों में आतंकी हमले गाहे-बगाहे होते रहे हैं. जिनके लिए TRF के अलावा दूसरे संगठनों के हाथ भी खून से रंगे हुए हैं.

रोचक बात ये है कि इस TRF को बनाने-चलाने वाला शेख सज्जाद गुल खुद श्रीनगर का रहने वाला है, और उसने बेंगलुरू से MBA की पढ़ाई की है. TRF के गठन के पहले उसका नाम साल 2018 में कश्मीरी पत्रकार शुजात बुखारी के मर्डर में आता है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा उस पर 10 लाख रुपए का इनाम घोषित किया गया है. वहीं TRF के दो और कुख्यात आतंकियों पर NIA ने 10-10  लाख का इनाम रखा हुआ है.

वीडियो: किससे जुड़ा है Ganderbal Terror अटैक में हमला करने वाला TRF, लश्कर से क्या रिश्ता?

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