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'ये जवानी है दीवानी' के बनी के नाम उसकी एक फैन का खुला ख़त

खत लिखना थोड़ा ओल्ड फैशन है मगर इसमें कुछ अलग ही फीलिंग आती है यार.

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फोटो - thelallantop
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मेघना
29 सितंबर 2021 (Updated: 29 सितंबर 2021, 11:16 AM IST) कॉमेंट्स
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डियर बनी, वैसे इस नाम से तुम्हारे दोस्त तुम्हें बुलाते हैं. बट, पिछले आठ सालों से छिप कर तुम्हें एडमायर किया है. यू-ट्यूब पर फुल वॉल्यूम में तुम्हारे गाने सुने हैं, 'कबीरा' सुनकर कई बार रोयी हूं, आठ सालों में कम से कम 80 बार तुम्हारी फिल्म देख डाली है. तो तुम्हारे ऊपर इतना हक बनता है मेरा कि मैं तुम्हें कबीर नहीं बनी बुलाऊं. वैसे तो इंटरनेट और फोन कॉल्स के ज़माने में खत लिखना काफी ओल्ड फैशन है, लेकिन जब तुमने अदिती का वीडियो मैसेज और अवि के फोन कॉल्स नहीं उठाए तो मैंने सोचा तुम्हें लेटर ही लिख देती हूं. शायद कभी फुर्सत में पढ़ लो.

Ranbir 6

इस खत में बहुत सी बातें कहनी हैं. तुम्हें बताना है कि जब तुम कंधे पर ट्राईपॉड और दाहिने हाथ में घड़ी पहनकर पेरिस में सनसेट की फोटो ले रहे थे, तब से मैं तुम्हारी फैन हूं. तुम्हें इतना पसंद करने लगी कि कुछ सालों तक फोटोग्राफी करने का भूत सवार हो गया. हालांकि मैं फोटोग्राफर नहीं बन पाई. पर ये भी तुम्हीं ने सिखाया कि जो दिल करे और जिस चीज़ में इंट्रेस्ट हो उसी फील्ड में आगे बढ़ो. रिस्क लेना सीखो. ये बात तुम्हीं ने सिखाई कि कुछ हटकर सपने देखने के लिए ज़रूरी नहीं आप रिच हों. तुम भी तो मिडिल क्लास फैमिली से ही थे ना. पापा का सपोर्ट मिला और देखो तुम अपनी ज़िंदगी जी गए. एक दिन कभी जो खुद को तराशे, मेरी नज़र से तू ज़रा तुम शरारती तो शुरू से थे बनी, नो डाउट. ट्रेन में नैना की टांग तुमने खींची. ट्रेकिंग पर नैना का पैर तुमने बांधा. मगर दिल के कभी बुरे नहीं थे तुम. तभी तो नैना, पार्टी से दूर उदास बैठकर जब किताब पढ़ रही थी, तो तुमने उसे सबके साथ चलने को मना लिया. वैसे नैना की जगह मैं होती तो शायद मैं भी उदास होती. वो तुम्हारा अटेंशन चाहती थी. जब तुम प्रीति के पीछे लट्टू थे. मगर उस रात जब तुमने कहा तुम बाहर पढ़ने जा रहे हो तो मेरा दिल टूट गया. अदिति, अवी और नैना की तरह नहीं मगर मुझे थोड़ा सा बुरा लगा. तुम अपने दोस्तों को ऐसे ही छोड़कर कैसे जा सकते थे बनी? कम से कम एक बार बता तो दिया होता. तुम्हारे जाने के बाद कितनी बार नैना रोई होगी. अवि ने तुम्हें कितनी गालियां दी होंगी. अदिति ने तुम्हें कितना मिस किया होगा. मगर तुम्हें किसी भी चीज़ की परवाह नहीं थी?

Ranbir Kapoor

मैंने जब अपने दोस्तों को तुम्हारे बारे में बताया तो वो सब तुम्हें स्वार्थी कहने लगे. कहते हैं तुम सेल्फिश थे जो सबको छोड़कर चले गए. लेकिन तुम नहीं जाते तो इतने यंगस्टर्स को उनका सपना पूरा करने का मौका कैसे देते बनी. कितने ही लोग तुम्हें देखकर ट्रैवल फोटोग्राफर, ट्रैवल ब्लॉगर और गाइड बनने की राह पर निकल पड़े. कभी-कभी मुझे लगता है तुम वापिस लौटते भी तो किसके लिए? पापा गुज़र चुके थे. मां से तुम्हारे इतने गहरे रिश्ते कभी नहीं रहे थे. दो दोस्त थे और एक नैना. जो तुमसे प्यार करती है. मगर इस बात का पता तुम्हें बाद में चला. जब तुम उसके साथ राजस्थान घूमने निकले. जब तुम लौट के आए न, तो मैं अदिति और अवि जितना ही खुश थी. तुम बिल्कुल नहीं बदले थे . वैसे ही थे. हर चीज़ को एक्सप्लोर करने वाले. इंटरनेट पर कई लोगों ने तुम्हारे खिलाफ लिखा. कहा तुम सिर्फ सपना दिखाते हो. हकीकत में ऐसी ज़िंदगी नहीं होती. लोगों ने शुद्ध हिंदी में कहा तुम यथार्थवादी नहीं हो. लोगों के मन में कुंठा पैदा करते हो. तुम लोगों को वो बनाने के लिए उकसाते हो, जो वो इतनी सारी ज़िम्मेदारियों के बीच नहीं बन सकता. वो अपने घर को, घरवालों को छोड़कर तुम्हारी तरह अकेले दूर नहीं रह सकता.

Bunny

तुम्हें सिड याद है! वो भी फोटोग्राफर था बनी. उसके बाप के पास बहुत पैसा था. मगर सिड ने अपनी ज़िम्मेदारी तभी सीखी जब वो बाहर रहा. जब आएशा के साथ वो एक फ्लैट में रहता है. खुद से हाफ-फ्राई बनाता है, घर साफ करता है, बर्तन धुलता है, कपड़े धोता है, सिर्फ वीडियो गेम में घुसा रहने वाला सिड मैग्ज़ीन्स के लिए फोटोज़ खींचने लगता है.

Wake Up Sid

अच्छा छोड़ो, तुम्हें वेद याद है. जिसे 'तमाशा' या कहानियां बहुत पसंद थीं. कहानियां बनाने का शौक, कहानियां सुनने का शौक उसे बचपन से था. जब तारा से मिला तब भी खूब कहानियां बनाई. दोनों की जोड़ी हमें पसंद भी आई. लेकिन सो कॉल्ड ज़िम्मेदारी के चक्कर में जब उसने टिपिकल नाइन टू फाइव बॉय बनने की कोशिश की, तो वो हमें नहीं पसंद आया. तारा को प्रपोज़ करना, दोस्तों के साथ कैजुअल मीटिंग्स अटेंड करना, किस करते समय घड़ी निकालना, उसकी ये सारी हरकतें इरीटेट करने लगी. लास्ट में फ्रस्टेट होकर जब वो अपनी ही कहानी अपने घर वालों को सुनाता है तो जैसे मन की भड़ास निकल जाती है. फिर वो अपने सपनों को जीता है और अपनी ज़िम्मेदारियों को भी निभाता है.Ranbir Kapoor पॉइंट बस ये है कि हम खुद को ज़िम्मेदारियों के नीचे इतना धंसा लेते हैं कि सपने भूल जाते हैं. मगर ज़िम्मेदारियों को निभाते हुए भी अपने सपने पूरे कर सकते हैं. जैसे तुमने किया, सिड ने किया वेद ने किया. वैसे लिखा तो तुम पर बहुत कुछ जा सकता है. तुम्हारे एक्टिंग टैलेंट पर, फिल्में ना चल पाने के स्ट्रगल पर, सुपरस्टार का बेटा होने के प्रेशर पर, लेकिन लोगों को तुम्हारे लव अफेयर्स ही नज़र आते हैं. खैर, तुमसे बस इतना ही कहना है बनी, जैसे हो वैसे रहो, यंगस्टर्स को इंस्पायर करो. उन्हें उनके सपने से प्यार करवाना सिखाते रहो. अच्छा, चलती हूं, दुआओं में याद रखना...तुम्हारी,बड़ी वाली फैन.

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