परशुराम ने सहस्त्रबाहु अर्जुन को तो मौत के घाट उतार ही दिया था क्योंकि वो उड़ बहुत रहा था. पर सहस्त्रबाहु के लड़कों के अंदर जल रही थी बदले की आग. पता नहीं क्यों परशुराम हर बार मौके पर गायब रहते थे. इस बार भी जंगल में भाइयों के साथ घूम रहे थे कि सहस्त्रबाहु के लड़के आ गए. और मम्मी रेणुका के बहुत हाथ पैर जोड़ने के बावजूद भी पापा जमदग्नि का खून कर दिया.
पति को मरते देख रेणुका की चीख पूरे जंगल में गूंजी. चीख सुनकर परशुराम घर पहुंचे तो पापा की डेड बॉडी देख कर जी हिल गया. बस उन्होंने उठाया अपना फरसा और निकल गए सारे क्षत्रियों की खोज में. इतने गुस्सा हुए कि इक्कीस बार, पूरे इक्कीस बार धरती से सारे क्षत्रिय खत्म कर दिए. खून खराबा इत्ता हुआ कि धरती पर खून के पांच तालाब बन गए. ऐसे पूरा किया परशुराम ने अपना बदला.
(स्रोत: श्रीमद्भागवत महापुराण)