एक भौकाली राजा था सगर. भौकाली इसलिए कि जब वो कोख में था, तब कुछ जलनखोर औरतों ने उनकी मम्मी को जहर खिला दिया कि बच्चा पेट में ही मर जाए. पर बच्चा उस जहर यानि 'गर' को लेकर ही पैदा हो गया इसलिए नाम उसका पड़ा सगर.
तो सगर ने कराया अश्वमेध यज्ञ. यज्ञ में जो घोड़ा छोड़ा गया वो इंद्र ने चुरा लिया. सगर ने अपने 60 हज़ार लड़के घोड़े की खोज में दौड़ा दिए. घोड़ा न मिलने पर लड़कों ने धरती को हर जगह खोद डाला जिससे धरती के बीच समुद्र बन गए. खोदते-खोदते उनको नार्थ-ईस्ट की दिशा में कपिल मुनि दिखे. उन्हीं के पास खड़ा था घोड़ा. लड़के पहले तो कपिल मुनि को सौ गाली दिए. फिर तीर-भाला लेकर आगे बढ़े पर कपिल मुनि ने ऑफेंड होकर उन्हें अपनी शक्ति से जला दिया.
सगर को दूसरी पत्नी से असमंजस नाम का बेटा था. असमंजस का बेटा था अंशुमान. अंशुमान पिछले जन्म में योगी था और पिछले जन्म की बातें उसको याद थीं. जान-बूझकर वो ऐसी हरकतें करता था कि उसके पापा उसे घर से निकाल दें क्योंकि वो संन्यासी बनना चाहता था. एक दिन उसने खेलते हुए बच्चों को नदी में डुबो दिया. उनके दादा सगर ने उनको लात मारकर घर से भगा दिया.
घर से कटते ही अंशुमान अपने असली अच्छे वाले नेचर में वापस आ गया और सबसे पहले तो उसने बच्चों को ज़िंदा कर दिया. जब सगर को पता लगा कि उनका पोता असली में क्या चीज़ है, तो उन्होंने सॉरी बोलते हुए कहा- भइया हमारा एक घोड़ा कपिल मुनि के बेसमेंट में बहुत दिनों से पार्क किया हुआ है. उसे छुड़ा लाओ. तुम्हारा भला होगा.
अंशुमान ने कपिल जी की खूब पूजा की. फाइनली कपिल ने खुश होकर उसके 60 हजार चाचाओं की मुक्ति के लिए गंगाजल दिया और घोड़ा भी वापस कर दिया.
(श्रीमद्भागवत महापुराण)