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ताना-बाना बोलते हुए कभी सोचा 'ताना' क्या है और 'बाना' क्या?

चर्चा का दौर शुरू हुआ तो बात GITN और बैठकी जैसे शो से होते हुए सर की फेमस ओपनिंग तक जा पहुंची. शोरूम वाले साहब बोले कि भाई क्या बढ़िया ओपनिंग देते हैं. ‘क्या ही शब्दों का ताना-बाना बुनते हैं!’ अपन कुछ कहते उससे पहले ही यही साहब बोले कि आपको पता है कि ये शब्द ताना-बाना आया कहां से.

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history behind words tana bana
ताना-बाना शब्द के मायने
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सूर्यकांत मिश्रा
30 जुलाई 2025 (Updated: 31 जुलाई 2025, 09:49 AM IST) कॉमेंट्स
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आज टेक की बात नहीं. बस एक बात बताने के लिए बात करेंगे. एक शब्द ने मन में उथल-पुथल मचा रखी है. गम-ए-रोजगार की बातों में अक्सर आ जाता है. किसी को मतलब पता हो या न हो, भावार्थ हर कोई भांप लेता है. ताना-बाना. आपने-हमने जीवन में इस शब्द का खूब प्रयोग किया है. मगर ये शब्द आया कहां से?

ताना-बाना शब्द आया कहां से?

दरअसल खाकसार एक दिन अपने एक दोस्त के लिए कुछ गिफ्ट तलाश रहा था. तलाश जा पहुंची एक देसी कपड़े के शोरूम पर. अंग्रेजीदां होकर कहें तो एथनिक वियर के शोरूम पर. अपनी पसंद का गिफ्ट तलाशते हुए चर्चा पहुंच गई अपने संपादक सौरभ द्विवेदी के परिधानों पर. चिंता मत कीजिए शोरूम का नाम बताएंगे मगर पहले जरा पूरी बात तो जान लीजिए.

चर्चा का दौर शुरू हुआ तो बात GITN और बैठकी जैसे शो से होते हुए सर की फेमस ओपनिंग तक जा पहुंची. शोरूम वाले साहब बोले कि भाई क्या बढ़िया ओपनिंग देते हैं. ‘क्या ही शब्दों का ताना-बाना बुनते हैं!’ अपन कुछ कहते उससे पहले ही यही साहब बोले कि आपको पता है कि ये शब्द ताना-बाना आया कहां से. 

अपन बोले नहीं. जवाब मिला ये शब्द आया है पारंपरिक बुनाई करने वालों हमारे बुनकरों से. अब तो अपनी भी दिलचस्पी बढ़ गई. अपन बोले, भईया जरा डिटेल में बताओ. जो पता चला वो जानकार कसम से मौज आ गई. बताते, मगर जरा इन साहब के परिचय की रिवायत पूरी कर देते हैं. ये साहब थे योगेंद्र सिंह जो Fabindia के पब्लिक अफेयर संभालते हैं और किस्मत से हम से टकरा गए. योगेंद्र ने बताया कि ताना-बाना शब्द बुनाई की सबसे पुरानी परंपरा में से एक है.

तस्वीर साभार: Fabindia
तस्वीर साभार: Fabindia

कई लोग मानते हैं कि बाना शब्द पुराने अंग्रेज़ी शब्द वेफ़ान (बुनना) से लिया गया है. जर्मन शब्द वेरफेन (वेरफेन) और डच शब्द वेरपेन (वेरपेन) से भी इसे जोड़ा जाता है. मगर सानू की, अपन तो अपनों की सुनते हैं. योगेंद्र के मुताबिक कपड़ों की पारंपरिक बुनाई के लिए करघे पर जो धागे पिरोये जाते हैं, उनको ताना-बाना कहा जाता है.

तस्वीर साभार: Fabindia
तस्वीर साभार: Fabindia

'ताना' मतलब वे धागे जो करघे में लंबाई में बुने जाते हैं और ‘बाना’ मतलब जो चौड़ाई में. जिस औजार से ये ताना-बाना बुना जाता है उसे भरनी कहते हैं. ये वही औजार है जो करघे पर बुनाई के दौरान इस्तेमाल होता है. एक दिलचस्प बात और पता चली. बुनकर सिर्फ कपड़ों का ताना-बाना नहीं बुनते बल्कि ये तो राजाओं की कार्य शैली का भी परिचय देते हैं.

तस्वीर साभार: Fabindia
भरनी (तस्वीर साभार: Fabindia)

जैसे महारानी अहिल्या बाई ने अपने शासन में महाराष्ट्र के बुनकरों को मध्य प्रदेश के महेश्वर में आने का न्योता दिया. दो राज्यों की संस्कृति का ये ताना-बाना आज भी जारी है. हमें लगा इतनी बढ़िया जानकारी मिली तो आपसे साझा करते हैं. वैसे योगेंद्र से हमारी बात कबीर के चदरिया झीनी रे झीनी और रंगरेज तक भी पहुंची. उसकी चर्चा फिर कभी.

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