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इजराइल की किलिंग मशीन मोसाद के 3 खूंखार कारनामे

दुनिया की सबसे खूंखार खुफिया एजेंसी.

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महमूद अल मबूह की हत्या की हत्या पर बनी फिल्म का सीन
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ऋषभ
19 अक्तूबर 2016 (Updated: 7 फ़रवरी 2017, 06:11 AM IST) कॉमेंट्स
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मोसाद. दुनिया की सबसे खूंखार खुफिया एजेंसी. जिसके नाम पर कहानियां चलती हैं. मोसाद को इजराइल की किलिंग मशीन कहा जाता है. ये लोग इजराइल के दुश्मनों को पूरी दुनिया में खोज के मारते हैं. मारने का मकसद सिर्फ मारना ही नहीं होता. बल्कि डर पैदा करना होता है कि इजराइल से पंगा ना लो. चारों ओर से अपने दुश्मनों से घिरे इस नन्हें से देश को बड़ा क्रूर बनना पड़ता है जिंदा रहने के लिये. आइये पढ़ते हैं मोसाद के कारनामों के बारे में जिन्होंने कभी डर पैदा किया कभी बेइज्जती भी कराई:

1. ऑपरेशन रैथ ऑफ गॉड (खुदा का कहर)

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1972 में म्यूनिख ओलंपिक के लिये दुनिया भर से खिलाड़ी इकट्ठा हुये थे. इसी दौरान एक खतरनाक घटना हुई. इजराइल ओलंपिक टीम के 11 खिलाड़ियों को उनके होटल में मार दिया गया. इसका आरोप लगा दो आतंकवादी संगठनों पर- Black September और Palestine Liberation Organization.
इसके बाद इजराइली सरकार भड़क गई. बदले के लिये प्लान किया जाने लगा. 11 लोग हिट लिस्ट में थे. फिर मोसाद ने जो काम किया वो सीधा फिल्मों की तरह था. फोन बम, नकली पासपोर्ट, उड़ती हुई कारें, जहर की सुई सब इस्तेमाल हुआ. जैसे जेम्स बांड किसी भी देश की परवाह नहीं करता मारते वक्त, उसी अंदाज में मोसाद एजेंटों ने कई देशों का प्रोटोकॉल तोड़ा. एजेंट मिडिल ईस्ट के कई देशों की सुरक्षा एजेंसियों में घुस गये थे. चुन-चुन के मारा गया अपराधियों को.
अपने टारगेट को निपटाने के पहले मोसाद टारगेट की फेमिली को बुके भेजता था. जिस पर लिखा होता था- ये याद दिलाने के लिये कि हम ना तो भूलते हैं, ना ही माफ करते हैं. मोसाद के एजेंटों ने हर टारगेट को 11 बार गोली मारी. मरे हुये 11 इजराइली खिलाड़ियों में से हर एक की तरफ से.
ये ऑपरेशन बीस साल तक चला. पूरे यूरोप में घूम-घूमकर मारा गया. इसी क्रम में नॉर्वे में एक वेटर गलती से मार दिया गया. इंटरनेशनल मीडिया में इसकी कड़ी निंदा हुई. मोसाद ने निंदा के बाद कई और मर्डर किये.

2. दुबई में छुपे महमूद अल मबूह की हत्या

CCTV Footage
एजेंटों की CCTV Footage

दुबई. जहां दुनिया भर के रईसों का होता है जमावड़ा. कहते हैं कि यहीं से दुनिया भर के आतंकवादियों को भी पैसा जाता है. जनवरी में दुबई का मौसम सुहाना हो जाता है. रोज एक लाख लोग दुबई एयरपोर्ट पर आते हैं इस मौसम में. 19 जनवरी 2010 को इसी शहर के होटल अल बुस्तान रोताना में एक मर्डर हुआ जिसने इंटरनेशनल मीडिया में सनसनी फैला दिया. क्योंकि दस दिन लग गये थे दुबई पुलिस को ये निश्चित करने में कि ये मर्डर ही है. तब तक यही लग रहा था कि ये नैचुरल डेथ है. मरने वाले आदमी का नाम था महमूद अल मबूह. जो हमास के लिये हथियार की खरीद-बिक्री करता था. और ऐसे लोग ब्रेन हैमरेज से नहीं मरते जो कि पोस्टमार्टम में आया था.
फिर पता चला कि अल मबूह के पैर में सक्सिनीकोलीन का इंजेक्शन दिया गया था. जिससे पैरालाइसिस हो जाता है. फिर उसके मुंह पर तकिया रखकर सफोकेट कर दिया गया था.
हिट स्क्वॉड ने अल मबूह के कमरे के सामने ही अपना कमरा बुक किया था. जब वो अपने कमरे से बाहर गया तो स्क्वॉड ने इलेक्ट्रॉनिक डोर की सेटिंग चेंज कर दी. और जब वो वापस आया तो मार के निकल गये.
सबसे खतरनाक बात थी कि अल मबूह से 21 साल पुराना बदला लिया गया था. अल मबूह फिलिस्तीनी ग्रुप हमास के मिलिट्री विंग का फाउंडर था. 1989 में दो इजराइली सैनिकों को मारने का आरोप था उस पर. अल मबूह को अंदाजा जरूर था कि मरना तो है. पर ये अंदाजा नहीं था कि ऐसी जगह पर मारा जायेगा जो उसके लिये सेफ है और मारने वालों के लिये खतरनाक.
इस काम में मोसाद के 33 एजेंट लगे थे. स्क्वॉड का कोड नाम था सीजेरिया. फिलिस्तीन के एक पुराने शहर के नाम पर. जहां पर कुछ यहूदी शहीद हुये थे. एजेंटों ने इंग्लैंड, फ्रांस, आयरलैंड से लेकर सीरिया, अरब का पासपोर्ट बनवा रखा था. ये एजेंट अलग-अलग जगहों से दुबई आये और मार के चलते बने. जब तक दुबई पुलिस ये तय कर पाई कि ये हत्या ही है, ये लोग इजराइल पहुंच चुके थे.

3. सत्तर गोलियां

फिलिस्तीन के नेता यासिर अराफात का दाहिना हाथ खलील अल वजीर ट्यूनीशिया में रह रहा था. उसे अबू जिहाद कहा जाता था. इसको मारना मोसाद की लिस्ट में था. इसके लिये 30 एजेंट काम में लगे. धीरे-धीरे कर टूरिस्ट बनकर पहुंचे ट्यूनीशिया. कुछ ने तो बाकायदा वहां की आर्मी की यूनिफॉर्म पहन रखी थी. फिर सारे एजेंट अबू जिहाद के घर की तरफ पहुंचे. उस वक्त इजराइल का जहाज बोइंग 707 शहर के ऊपर मंडरा रहा था. यूं ही नहीं. उसने वहां के कम्युनिकेशन सिस्टम को ब्लॉक कर दिया था. हिट स्क्वॉड उसके घर में घुस गया. पहले तो नौकरों को मारा. फिर अबू के परिवार के सामने उसे 70 गोलियां मारीं.

4. एक ऐसा ऑपरेशन जिसमें मोसाद की बड़ी बेइज्जती हुई 

1997 में मोसाद का एक ऑपरेशन फेल हुआ था. जॉर्डन में. मोसाद के दो एजेंट कनाडियन टूरिस्ट बनकर आये हमास के लीडर खालिद मशाल को मारने. हथियार था एक जहर जो स्किन से होकर शरीर के अंदर चला जाता है. अटैक फेल हो गया और मशाल के बॉडीगार्डों ने एजेंटों को दौड़ा कर पकड़ लिया. फिर पता चला कि चार एजेंट अपने बारे में सब कुछ बताकर जॉर्डन में ही इजराइली दूतावास में छुपे हुये थे. इजराइल के पीएम बेंजामिन नेतान्याहू को ये बात माननी पड़ी. उनको तुरंत आना पड़ा ज़ॉर्डन. भड़के जॉर्डन किंग ने मिलने से मना कर दिया. फिर बहुत मनुहार के बाद माने. इजराइल ने जहर का एंटिडोट भी दिया मशाल को. इसके अलावा अपनी कस्टडी से हमास के शेख अहमद यसीन और उसके साथियों को छोड़ना भी पड़ा.
इस घटना के बाद मोसाद कुछ दिन तक शांत रहा था. क्योंकि बड़ी बेइज्जती हुई थी.


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