Love letter to Jugal Hansraj by a Lucknowi Girl

जब जुगल हंसराज को लखनऊ की एक लड़की ने लव लेटर लिखा

जुगल, मुझे तुम्हारे साथ सेल्फी नहीं चाहिए.
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डियर जुगल,
इस समय मेरी हालत बिल्कुल वैसी हो रही है, जैसे फ़िल्मों में लव लेटर लिखते वक़्त हिरोइन को दिखाते हैं. बिस्तर पर पेट के बल लेटी लड़की जिसने तकिया चिपका रखा हो. सामने सादा कागज़ हो और पेन दांतों के बीच. एक के बाद एक कागज़ फाड़े जा रहे हैं, लेकिन लिखा कुछ नहीं जा रहा. फर्क ये है कि कागज़ फाड़ने की बजाय मैं बैकस्पेस दबा रही हूं. क्या लिखूं तुम्हें? जुगल, जग्गू या भूरी आंखों वाला लड़का? मैं बिल्कुल वैसी फ़ैन नहीं हूं, जो देखते ही मुंह खोलकर 'ऑ' वाला मुंह बनाए या रात में तकिये के नीचे तुम्हारी तस्वीर रखकर सपने देखे, तुमसे मिलने के.
तुम मेरे लिए मेरे बचपन की याद हो. वो हो जिसका गाना सुनते ही मैं टीवी की तरफ़ दौड़ जाती हूं. अब भी जब मेरे पास स्मार्टफ़ोन और जियो दोनों हैं. तुम वो हो जिसे पहली बार मैंने 'देखा'. वैसे जैसे एक लड़की ख़ुश होकर किसी लड़के को देखना चाहती है.
जब कोई किसी से पूछ रहा हो कि अरे वो 'मासूम' में छोटा लड़का कौन था, या फलाने गाने में कौन है तो मैं बिना जगह देखे चिल्ला पड़ती हूं, जुगल हंसराज. और मेरे चेहरे पर मुस्कराहट आ जाती है.
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'घर से निकलते ही' गाने का सीन

आज जब मुझे लेटर (जिसे तुम्हारे नाम लिखा लव लेटर कहा जाएगा) लिखने का मौका मिला है तो मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं तुम्हें क्या बताऊं. तुम्हारे बारे में सोचकर मुझे अच्छा लगता है. बहुत अच्छा. जब मैं 'घर से निकलते ही, कुछ दूर चलते ही' देखती थी, तो तुम्हारी नकल करती थी. घर के सीमेन्टेड फर्श को ही समंदर का किनारा बना लेती. गिटार की जगह मेरा बैट होता और किसी भी कॉपी के पीछे से फाड़ा गया एक पन्ना. मुझे वो नकल करने में बड़ा मज़ा आता. उस वक़्त मुझे 'क्रश' का मतलब नहीं पता था. अब कोई पूछता है पहला क्रश, तो मुझे तुम याद आते हो.
1996 में जब 'पापा कहते हैं' आई थी. उसके प्रीमियर में तुम क्या धांसू लग रहे थे. उस प्रीमियर में सैफ, ऐश्वर्या, गोविंदा सब तुम्हारी तारीफ़ कर रहे थे. तुम्हारी तारीफ़ अच्छी लगती है. फिर जब 'प्यार इम्पॉसिबल' के सेट पर तुम्हारा बर्थडे मनाया गया तो मेरा भी मन हुआ कि वो केक खाऊं, जो तुमने उस बच्ची को खिलाया था.
एक इंटरव्यू देखा था तुम्हारा. उसमें तुम्हारी फ़िल्म 'रोडसाइड रोमियो' की बात हो रही है. 2008 में तुमने एनिमेटेड फ़िल्म 'रोडसाइड रोमियो' डायरेक्ट की. लिखा भी तुमने ही. वीडियो में तुम्हारे स्टाइल ने मेरे बचपन का क्रश ताज़ा कर दिया. तुम फिर अच्छे लग रहे हो. शरमाता, मुस्कराता जुगल. जिस तरह तुमने अपनी दोस्त जैसमीन से सादगी के साथ शादी की. मुझे वो भी अच्छा लगा.

मैं भी देखूंगीं तुम्हारी पसंद की फ़िल्म

मुझे पता चला कि तुम्हें एक एनिमेटेड फ़िल्म Ratatouille बहुत पसंद आई थी. इसमें चूहे की कहानी थी जो शेफ बनना चाहता है. तुम इस फ़िल्म के चक्कर में घंटों अपने टीवी से चिपके रहते थे. मुझे अब ये फ़िल्म देखनी है. तुम हैरान थे कि कैसे एक चूहे से किचन में कारीगरी कराई गई. तुमने रोडसाइड रोमियो के लिए मुंबई में घूमते हुए कुत्तों में 'प्यार' खोज लिया. कितनी क्यूट है ये बात. तुम अपने किरदारों को इतना चाहने लगे थे कि उन्हें किसी और 'डायरेक्टर' को सौंपना नहीं चाहते थे. इसलिए तुमने ख़ुद ही फ़िल्म डायरेक्ट करने की ठान ली. मुझे तुम्हारा ये स्टाइल भा गया.
'मासूम' फ़िल्म में जुगल
'मासूम' फ़िल्म में जुगल

लकड़ी की काठी वाले 'मासूम' तुम किसी तरह का कोई नशा नहीं करते ये जानकर तुम और भी अच्छे लगते हो. तुम वो हो जो मेरी नज़र में कभी बड़ा न हुआ. तुम अब भी 'घर से निकल' रहे हो. इसीलिए मैंने तुम्हें 'आप' नहीं लिखा.
किसी सुपरस्टार की तरह तुमने हर साल कोई ब्लॉकबस्टर नहीं दी. ख़ानों की तरह 'पॉपुलर' नहीं हो. पर मुझे बहुत अच्छे लगते हो. बहुत अच्छे. जिस तरह तुम अपने पार्टनर के बारे में बात करते हो, मेरे दिल में तुम्हारे लिए इज़्ज़त बढ़ जाती है. अपने पार्टनर को अपना सबसे अच्छा दोस्त कहने वाला और उसके साथ को अपनी बेस्ट कंपनी बताने वाला प्यारा जग्गू.
जुगल मैं तुमसे मिलने की चाहत नहीं रखती. न ही मुझे फ़ोटोग्राफ, सेल्फी या ऑटोग्राफ चाहिए. तुम जो अलग-अलग काम करके सरप्राइज़ करते रहते हो वो अच्छा है. जब भी मूड अपसेट होता है, मैं 'घर से निकल' लेती हूं. ये गाना हर बार मुझे मुस्कराहट दे जाता है. मेरे बचपन में ले जाता है और याद दिलाता है मुझे मेरा पहला क्रश.
जाते-जाते अपना वो गाना देखते-सुनते जाओ जो मैं अक्सर सुना करती हूं.



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