मुंह की बदबू हटाने के लिए इस्तेमाल हो रहा LISTERINE असल में किस काम के लिए बना था?
बात LISTERINE माउथ वॉश की जो शायद असल में माउथ वॉश था ही नहीं. कीड़े मारने वाला या कोई एंटीसेप्टिक प्रोडक्ट था. जानें कैसे मुंह की बदबू, मतलब halitosis का डर पैदा कर कंपनी की विज्ञापन रणनीति ने कमाल किया और ये प्रोडक्ट इस बदबू के इलाज का पर्यायवाची बना.
पर्यायवाची शब्द का अगर सही उदाहरण देना हो तो एक प्रोडक्ट हम आपको बताते हैं, LISTERINE कहने को तो माउथ वॉश है मगर बिकता है मुंह की बदबू के इलाज के नाम पर. मुंह से आने वाली बदबू के इलाज का पर्यायवाची है LISTERINE. और ऐसा कोई साल दो साल से नहीं, पिछले एक दो दशक से नहीं बल्कि पिछली शताब्दी से है. अमेरिका और ब्रिटेन जैसे विकसित देशों की महिलाओं ने इस बात को माना. आप कहोगे भईया इसमें क्या बुराई. वाकई में प्रोडक्ट अच्छा है. हमने कब कहा गुरु की प्रोडक्ट बुरा है. लेकिन…
हम ये जरूर कह रहे कि LISTERINE तो कभी माउथ वॉश था ही नहीं. वो तो शायद पोछे का, कीड़े मारने वाला या कोई एंटीसेप्टिक प्रोडक्ट था. मुंह की बदबू मतलब halitosis से सीधे-सीधे कोई लेना-देना नहीं था. ये तो इसको बनाने वाली कंपनी का किया धरा है.
कमाल प्रोडक्ट मगर किसी काम का नहींसाल 1879 में Joseph Lawrence नाम के ब्रिटिश डॉक्टर ने एक कमाल का फॉर्मूला बनाया. लिक्विड बेस्ड इस फॉर्मूले की सबसे बड़ी खासियत ये थी कि इसका इस्तेमाल एंटीसेप्टिक से लेकर disinfectant, मतलब कीड़े मारने तक के काम में हो सकता था. Joseph Lawrence डॉक्टर Joseph Lister से खूब प्रभावित थे जिन्हें 'father of modern surgery' माना जाता है. उनके नाम पर उन्होंने इस फॉर्मूले का नाम ‘LISTERINE’ रखा.
Joseph Lawrence ने इस फॉर्मूले के लिए जो प्रोडक्ट इस्तेमाल किए वो उन्होंने Jordan Wheat Lambert नाम के फार्मासिस्ट से लिए थे. आगे चलकर Lambert ने इस प्रोडक्ट के अधिकार Lawrence से खरीद लिए और Lambert Pharmacal कंपनी बनाई. Lambert के पास बढ़िया प्रोडक्ट था, मतलब चोट लगने पर इस्तेमाल कीजिए या फिर सर्जरी वाले उपकरणों को साफ कर लीजिए. पानी में दो बूंद डालकर पोछा लगा लीजिए. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. उम्मीद से उलट प्रोडक्ट को कोई खास सफलता नहीं मिली. हालत ये हो गई कि सिर्फ कुछ सालों में प्रोडक्ट का कोई नाम लेवा नहीं रहा. फिर आया halitosis.
मुंह की बदबू ने गेम बदल दियाआम धारणा ये है कि halitosis, मतलब मुंह की बदबू, शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले LISTERINE बनाने वाली कंपनी ने किया. मगर इस शब्द का इस्तेमाल तो 1874 में फिजिशयन Joseph William ने किया था. मगर इसका सही इस्तेमाल किया Lambert के बेटों ने. उन्होंने अपनी टीम को LISTERINE के हर संभव इस्तेमाल के बारे में बताने को कहा और सबसे बड़ा फोकस रखा halitosis पर. क्योंकि प्रोडक्ट तो बना ही कीड़े मारने के लिए था, तो ये ट्रिक काम कर गई. इसके बाद आया डर का धंधा.
डर बीमारी का नहीं, इमेज काLISTERINE की मार्केटिंग करते समय इंसानी डर को टारगेट किया गया. कंपनी के हर विज्ञापन में इस बात पर जोर दिया जाता कि मुंह की बदबू से लोगों पर आपका प्रभाव गलत पड़ेगा. लोग आपकी इज्जत नहीं करेंगे. विशेषकर औरतों को कहा गया कि आप भले कितनी सुंदर हों, कितने अच्छे कपड़े पहने हों, लेकिन अगर आपके मुंह से बदबू आई तो आपका ब्याह नहीं होगा. एक विज्ञापन की लाइन पर गौर करें,
"No matter how charming you may be or how fond of you your friends are, you cannot expect them to put up with halitosis (unpleasant breath) forever. They may be nice to you – but it is an effort.”
मतलब
“इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने आकर्षक हैं या आपके दोस्त आपसे कितना प्यार करते हैं, आप उनसे यह उम्मीद नहीं कर सकते कि वे हमेशा मुंह से दुर्गंध (अप्रिय सांस) लेते रहेंगे. वे आपके लिए अच्छे हो सकते हैं - लेकिन यह (उनका) एक प्रयास है.”
कंपनी ने 19वीं सदी की शुरुआत से लेकर अगले कई सालों तक ऐसे विज्ञापन निकाले जो मुंह की बदबू को बहुत बड़ा बताते और उसका 'इलाज' सिर्फ और सिर्फ LISTERINE होता. डर का ये धंधा काम कर गया. जिसे भी मुंह की बदबू का डर सताता वो LISTERINE इस्तेमाल करता. हालांकि ये अलग बता है कि halitosis एक बीमारी है, जिससे आने वाली मुंह की दुर्गंध सिर्फ एक लिक्विड से ठीक नहीं होती.
रही बात मुंह की बदबू की तो वो तो कई बार देर तक पानी नहीं पीने से भी आती है. कई और कारण भी हैं. घर के बड़े बोलते हैं कि इस बदबू को लौंग खाकर या पानी पीकर भी खत्म किया जा सकता है. halitosis के लिए डॉक्टर से मिलना भी सही रहेगा.
बहरहाल, इस स्टोरी में बताई गई बातों का मकसद किसी भी बीमारी या इलाज पर उंगली उठाना नहीं है. किसी भी किस्म की बीमारी पर डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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