हाई-प्रोफाइल डकैती में पकड़े गए लोगों ने कहा, मुख्यमंत्री ने करवाया था ये कांड!
इस डकैती के बाद कई लोगों की मौत होती चली गई. अब नाम आया है मुख्यमंत्री का.
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90 के दशक में जयललिता ने नीलगिरी में एक चाय बागान खरीदा था. वो अक्सर छुट्टियां बिताने यहां आती थीं. उनकी मौत के बाद 2017 में यहां उनके बंगले पर चोरी हुई. इसके बाद कुछ संदिग्ध मौतें भी हुईं. इस केस में अब तमिलनाडु के CM पलनिस्वामी पर उंगली उठी है (फोटो: इंडिया टुडे+रॉयटर्स)
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलनिस्वामी से इस्तीफ़ा मांगा जा रहा है. इस्तीफ़ा मांगने की वजह- डकैती. मुख्यमंत्री का नाम एक बेहद हाई-प्रोफाइल डकैती के केस में आया है. ये डकैती हुई एक रहस्यमय बंगले के भीतर. बस डकैती नहीं हुई. इसके बाद कुछ मौतें भी हुईं. ये पूरा केस कहलाता है- कोडनाड एस्टेट केस.क्या और कहां है ये कोडनाड एस्टेट? नीलगिरी में बसा एक गांव है कोडनाड. यहां का एक खूबसूरत 900 एकड़ लंबा-चौड़ा चाय बागान. चारों तरफ लगभग दर्ज़नभर गेट्स. किला ही समझ लीजिए. यहां बना है एक बंगला. एक दर्ज़न से भी ज्यादा कमरों वाला. एक वक़्त था, जब जयललिता होती थीं. तब ये उनकी पसंदीदा जगह हुआ करती थी. वो गर्मी की छुट्टियां बिताने यहां आती थीं. बीमार होतीं, तो आराम करने भी यहां आया करतीं. 90 के दशक में जयललिता नीलगिरी में किसी माकूल प्रॉपर्टी की तलाश कर रही थीं. बहुत सारी जगहें देखीं, तब जाकर इस कोडनाड एस्टेट पर नज़र ठहरी. 1864 में अंग्रेजों के हाथ का बनाया चाय बागान. बहुतों के हाथ से होते-गुजरते ये प्रॉपर्टी पीटर जोन्स ऐंड फैमिली के पास आई थी. कहते हैं, जोन्स प्रॉपर्टी बेचना नहीं चाहते थे. मगर जयललिता और उनके लोगों ने डरा-धमकाकर, प्रेशर बनाकर उन्हें ये बेचने पर मजबूर किया. औने-पौने दामों में.
बहुत रहस्यमय था ये बंगला बहुत गिने-चुने लोग थे, जिन्हें जयललिता के इस बंगले में एंट्री मिलती थी. जयललिता और इस बंगले का रिश्ता तकरीबन 25 साल चला. जैसे कहानियां दिल्ली की फतेहपुर मस्जिद में लाहौर तक जाने वाली किसी गुप्त सुरंग की बातें कहती हैं. ऐसे ही इस बंगले को लेकर किस्से तैरते हैं. लोग कहते, बंगले में बहुत माल है, बेशकीमती चीजें हैं, कागज़ात हैं, जिनमें एक से एक रहस्य छुपे हैं. लोग कहते, जयललिता ने यहां खजाना छुपा रखा है. जो भी हो, सब पीछे छूट गया और जयललिता गुजर गईं.Social activist Traffic Ramaswamy has filed a PIL in the Supreme Court seeking a CBI investigation into the alleged Kodanad estate controversy. SC has not given any date for hearing the PIL
— ANI (@ANI) January 14, 2019
रात के वक़्त हुई एक डकैती 23 अप्रैल, 2017. कोडनाड एस्टेट से एक खबर आई. कोकनाड एस्टेट के पहरेदार ओम बहादुर का मर्डर हो गया था. दूसरा चौकीदार कृष्ण बहादुर भी बहुत जख़्मी था. छानबीन हुई, तो आस-पास रहनेवालों ने बताया. मर्डर वाले दिन आधी रात के करीब कुछ गाड़ियां एस्टेट के अंदर दिखी थीं. पुलिस ने बताया, एक गैंग डाका डालने आया था. करीब 10 लोग थे उस गिरोह में. उन्होंने ही ओम बहादुर को मारा. पुलिस का दावा था कि बस कुछ घड़ियां और एक क्रिस्टल पेपरवेट ही गायब हुआ है. मगर बहुतों को पुलिस की इस बात का भरोसा नहीं हुआ. खबरें आईं कि बेशकीमती चीजें उड़ाई गई हैं. साथ में तीन सूटकेस भरकर प्रॉपर्टी के कागज़ात भी उड़ा लिए गए. ये थी Kodanad estate case की शुरुआत.
...और फिर शुरू हुआ ऐक्सिडेंटल मौतों का सिलसिला कुछ दिन बीते. एक और खबर आई. एस्टेट में लगे CCTV कैमरों को ऑपरेट करने वाले दिनेश ने आत्महत्या कर ली है. उसने अपने कमरे के पंखे से लटक कर जान दे दी थी. फिर खबर आई सी कनागराज की. ये आदमी जयललिता का ड्राइवर रह चुका था. एक रिश्तेदार के घर जा रहा था कि रोड ऐक्सिडेंट में मौत हो गई. कनागराज इस डकैती के केस का कथित मास्टरमाइंड था. ये आखिरी हादसा नहीं था. कुछ दिनों बाद के वी सायन के ऐक्सिडेंट की खबर आई. ये भी जयललिता का कर्मचारी रह चुका था. हादसे में सयान बच गया, मगर उसकी पत्नी और बच्चा दोनों मारे गए. सायन भी इस डकैती का एक आरोपी था.
हादसों और मौतों के कारण बातें उठनी शुरू हुईं एक के बाद एक होने वाली इन मौतों से लोगों का माथा ठनका. कहीं ऐसा तो नहीं कि ये सारे लोग कोई राज़ जानते थे. और इसी वजह से उन्हें मारा जा रहा हो! मौत पर शक न हो, इसीलिए उसे दुर्घटना की शक्ल दी जा रही हो! जयललिता की सबसे करीबी थीं शशिकला. जयललिता की मौत के बाद ये एस्टेट शशिकला की कस्टडी में आ गया. फिर शशिकला चली गईं जेल. पीछे उनके भतीजे टी टी वी दिनाकरण के हाथ में आ गया ये एस्टेट. फिर दिनाकरण भी जेल गए. चुनाव आयोग के अधिकारियों को रिश्वत देने की कोशिश के आरोप में. लोगों ने कहा, ये एस्टेट किसी को नहीं फलता.

पुलिस का कहना था कि बस ये घड़ियां और क्रिस्टल का पेपरवेट ही चोरी गया था (फोटो: इंडिया टुडे)
चार घड़ियां और क्रिस्टल का एक गैंडा मई 2017 की बात है. खबर आई कि तमिलनाडु पुलिस ने डकैती का केस सुलझा लिया है. कि लूट के बाद एक रात पुलिस ने एक फोर्ड ऐन्डेवर कार रोकी थी. कार केरल के त्रिशूर जा रही थी. पुलिस को कार के अंदर मिली चार सुनहरे रंग की घड़ियां, जिनके डायल में जयललिता की तस्वीर बनी थी. इनके साथ एक क्रिस्टल का गैंडा भी मिला. पुलिस को नहीं पता था कि ये चोरी की चीजें हैं. पुलिस ने उन्हें जाने दिया. बाद में CCTV फुटेज खंगाला गया और इस गाड़ी पर शक गया. फिर जांच हुई और पुलिस इन लोगों तक पहुंच गई.
पुलिस के मुताबिक ऐसे हुई थी लूट पुलिस की तरफ से बताया गया कि कानागराज (जो ऐक्सिडेंट में मारा जा चुका था) ही डकैती का मास्टरमाइंड था. उसने अपने साथियों को ये बताकर साथ किया था कि बंगले के अंदर 200 करोड़ रुपये हैं. और वहां न कोई कैमरा है, न कुत्ता. केरल में ही पुलिस ने मनोज नाम के एक शख्स को अरेस्ट किया. पुलिस ने बताया कि इसी मनोज ने 24 अप्रैल को कोकनाड एस्टेट के बंगले में घुसने का इंतज़ाम करवाया था. कुल मिलाकर 10 लोगों को गिरफ़्तार किया पुलिस ने. मगर पुलिस की थिअरी पर सवाल उठते रहे. लोग कहते, लूट से पहले एस्टेट की सुरक्षा ढीली की गई. CCTV कैमरे बंद करवा दिए गए. कि जितना दिख रहा है, उससे गहरा है ये मामला.
मुख्यमंत्री पर किसने उठाई है उंगली? 11 जनवरी, 2018. पत्रकार मैथ्यू सैमुअल ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई. इसमें उन्होंने एक वीडियो जारी किया. इसमें कोडनाड एस्टेट में हुई लूट के दो संदिग्धों की कही कुछ बातें रिकॉर्ड थीं. ये दोनों थे- के वी सायन और वालायार मनोज. इन दोनों ने वीडियो में उस इंसान का नाम बताया था, जिसने कथित तौर पर कोडनाड एस्टेट में चोरी करवाई. ये नाम था पलनिस्वामी का. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री. सायन और मनोज के मुताबिक, कनकराज ने उन्हें बताया था कि पलनिस्वामी से उसकी बहुत करीबी है.
CM पर आरोप है और वो खुद ही खुद को क्लीन चिट दे चुके हैं पलनिस्वामी ने जवाब दिया. बोले, इल्ज़ाम झूठे हैं. कहा, वीडियो के पीछे जो-जो हैं सबकी जांच होगी. उन्होंने मैथ्यु सैमुअल पर केस भी लिखवा दिया. तमिनलाडु पुलिस ने दिल्ली पहुंचकर सायन और मनोज को अरेस्ट कर लिया. मैथ्यु सैमुअल का कहना है कि वो अब भी अपनी कही बातों पर कायम हैं. इधर DMK के नेता स्तालिन इसी केस पर अब पलनिस्वामी का इस्तीफ़ा मांग रहे हैं. उन्होंने इस मामले की SIT जांच करवाने की मांग की है. कांग्रेस भी ये मांग कर चुकी है. इस केस में एक जनहित याचिका भी दाखिल की गई है सुप्रीम कोर्ट में. इसमें CBI जांच करवाए जाने की अपील की गई है. उंगली मुख्यमंत्री पर उठी है. वो खुद को निर्दोष बता चुके हैं. मगर सवाल फिर भी रहेगा. कि मुख्यमंत्री खुद ही खुद को क्लीनचिट कैसे दे सकते हैं?
योगी आदित्यनाथ ने बताया क्यों हो रही है राम मंदिर निर्माण में देरी?

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