मूसली के इस्तेमाल से ब्रूसली जैसी चुस्ती फुर्ती हासिल होने का दावा करते हैं डॉक्साब लेकिन मानी बात ये है कि ब्रूसली ने मूसली खाकर बॉडी नहीं बनाई होगी. दवा के रूप में जो इस्तेमाल की जाती है वो है सफेद मूसली, और ये एक पौधे की जड़ होती है जिसकी बड़े पैमाने पर की जाती है खेती. अब देखो इस मर्दानगी की दवाई का कच्चा चिट्ठा.
सफेद मूसली का वैज्ञानिक नाम है च्लोरोफ्य्तुम बोरिविलिअनुम, न पढ़ने में आए तो दिमाग पर ज्यादा जोर डालने की जरूरत नहीं है, आगे बढ़िए. हर तरह की जमीन में पैदा होने वाला इसका पौधा नम मौसम की डिमांड करता है. काले रंग के नुकीले बीज होते हैं जो बोए जाते हैं. इसका फल कैप्सूल जैसा होता है. सबसे काम की चीज होती है इसकी जड़, इसी को मूसली बोला जाता है. मोटी, गोल और रेशेदार जड़ें जमीन में 10 इंच तक चली जाती हैं. यही है असली चीज, जिसका इस्तेमाल तमाम आयुर्वेदिक दवाएं बनाने में किया जाता है. भारत में इसकी खेती मध्य प्रदेश, गुजरात और आंध्र प्रदेश में होती है.
आदमी के शरीर मे सबसे बड़ी बीमारी होती है कमजोरी की, ये आ जाए तो सब रोग आकर चढ़ जाते हैं. लेकिन यहां कमजोरी का मतलब सिर्फ सेक्स क्षमता की कमजोरी से लगाया जाता है बाकी कमजोरी जाए भाड़ में. यही वजह है कि कमजोरी का नाम आते ही डॉक्साब मन ही मन मुस्काते हुए मूसली पाग बढ़ा देते हैं कि ल्यो हर मर्ज का रामबाण इलाज. जबकि मूसली काम आती है सांस, गठिया, बवासीर और डायबिटीज जैसे रोगों में भी. कौन कौन सी बीमारी में मूसली कितने परसेंट फायदा करती है इसका फैसला तो रामदेव ही करेंगे, जब तक वो मूसली पर कॉपीराइट नहीं कराते तब तक शांति से मूसली फांकते रहें और सेक्स पॉवर बढ़ाते रहें.
इधर ये जनाब दे रहे हैं मूसली परखने के टिप्स. इनका जोर है कि आप इंडियन मूसली ही खरीदें
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