आपने आदमी के प्रेग्नेंट होने की खबर इस दौर में तो सुनी होगी, लेकिन पौराणिक काल में भी ऐसी एक घटना हुई थी. वो भी सिर्फ इसलिए कि एक शख्स ने गलती से एक लोटा पानी पी लिया था.
इक्ष्वाकु वंश का एक राजा था- युवनाश्व. उसके बच्चे नहीं हो रहे थे. वो राजपाट छोड़ कर अपनी पत्नियों के साथ जंगल चला गया. वहां ऋषियों ने जब उसकी दुख भरी दास्तान सुनी तो बोले बच्चा टेंशन कोई नी. हम सब तुम्हारे लिए इंद्र का यज्ञ करेंगे.
यज्ञ हुआ, इंद्र ने एक लोटे में पानी दिया और बोले कि इसको पीने वाली औरत प्रेग्नेंट हो जाएगी. अब समस्या ये हुई कि रात में युवनाश्व को प्यास लगी. उठकर वो यज्ञ के वेन्यू पर गया तो देखा ऋषि लोग घोड़े बेचकर सो रहे हैं. उसने उठाया लोटा और पी गया पानी.
अगले दिन जब ऋषि लोग उठे, उन्हें पानी के गायब होने का राज पता चला. ऋषियों ने कहा कि भगवान की यही मर्ज़ी होगी कि युवनाश्व खुद अपने बच्चे को पैदा करें. श्रीमद्भागवत महापुराण में लिखा है कि जब 9 महीने पूरे हो गए, युवनाश्व की दाईं कोख फाड़कर एक बच्चा पैदा हुआ.
पैदा होते ही वो मां के दूध के लिए रोने लगा. तब इंद्र ने अपनी तर्जनी ऊंगली यानी इंडेक्स फिंगर को बच्चे के मुंह में डाल दिया. बच्चे का नाम पड़ा मान्धाता जिसका मतलब होता है- (मां के न होने पर) मेरे द्वारा धारण किया'. ऐसा इसलिए क्योंकि उसको इंद्र ने पाला. मांधाता को त्रसदस्यु भी कहते थे क्योंकि वो दस्युओं मतलब लुटेरों की बैंड बजाकर रखता था.
(श्रीमद्भागवत महापुराण)