कार का इंश्योरेंस लिया, दिल्ली ब्लास्ट में जान गई, क्लेम मिलेगा क्या?
Delhi Blast में तबाह गाड़ियों को Insurance Claims मिलेगा? भारत में इसको लेकर क्या नियम कानून हैं? अगर कंपनी बीमा क्लेम अप्रूव नहीं कर रही है तो आप क्या कर सकते हैं? आर्टिकल में ये सब जानिए विस्तार से.
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हरियाणा के जाफरपुर गांव के रहने वाले सकीर खान की सुबह दिल्ली की सुबह से कम धुंधली नहीं थी, जब उन्होंने फोन पर चमकता ये नोटिफिकेशन देखा कि उनकी कार की 21 हजार 730 रुपये की EMI 5 दिसंबर को जमा करनी है. लेकिन कमाई तो हो नहीं रही. काम तो बंद है. जिस गाड़ी का कर्जा भरना है वो तो दिल्ली के लालकिले वाले ब्लास्ट में तबाह हो गई. अब तो सिर्फ उसका एक ढांचा बचा है, जो थाने में कबाड़ की तरह धूल फांक रहा है.
TOI में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी में ही तो उन्होंने नई चमचमाती अर्टिगा ली थी. उसे टैक्सी के तौर पर रजिस्टर कराया. सोचा बढ़िया कमाई होगी. गरीबी दूर हो जाएगी लेकिन एक धमाके ने सब बदल दिया. बच्चों की फीस, घर के खर्चे, मां-बाप की दवाई और गाड़ी की EMI- सब अस्पताल में भर्ती सकीर खान की खाली जेब की ओर मुंह ताक रहे हैं.
टेरर अटैक में तबाह गाड़ियों का बीमा क्लेमइस मुसीबत में सकीर खान अकेले नहीं हैं. कई ऐसे लोग हैं, जिनकी टैक्सी, जिनकी गाड़ी लाल किले वाले ब्लास्ट में तबाह हो गई. जिन्हें शरीर की चोट उतना दर्द नहीं दे रही, जितना खाली बैंक खाते और रोजी-रोटी का जरिया बनी टैक्सी का तबाह होना दे रहे. सेविंग अब कुछ नहीं बची. सरकारी मुआवजे का कुछ पता नहीं है. एक सबसे बड़ी उम्मीद ये है जो उनके ध्वस्त जीवन को थोड़ा सहारा दे सकती है और वो है गाड़ी का बीमा क्लेम. इंश्योरेंस का पैसा. लेकिन क्या भारत में आतंकवादी हमले में तबाह हुई गाड़ियों पर बीमा क्लेम मिलता है? जवाब है- हां.
वरिष्ठ वकील नवीन दुबे बताते हैं कि जब भी कोई इंश्योरेंस होता है तो उसमें एक ‘फोर्स मेजर क्लॉज’ कवर होता है. इसके अंतर्गत बाढ़ या त्रासदी की वजह से होने वाले डैमेज शामिल होते हैं. किसी भी इंश्योरेंस कंपनी को ये क्लेम कंसीडर करने ही पड़ते हैं और क्लेम देना ही पड़ता है. उन्होंने कहा,
जैसे दिल्ली में जो ब्लास्ट हुआ और इससे जो भी गाड़ियां डैमेज हुईं या जो भी ह्यूमन लाइफ डैमेज हुआ. लोगों की जानें गईं. उन सबका क्लेम इंश्योरेंस कंपनी को देना ही पड़ेगा.

नवीन दुबे के मुताबिक, कंपनियां इसमें आनाकानी भी नहीं कर सकतीं. जैसे आप ड्रिंक एंड ड्राइव कर रहे हो तो उसमें इंश्योरेंस कंपनी चैलेंज कर सकती है कि आपने लापरवाही से गाड़ी चलाई. इसलिए क्लेम नहीं मिल सकता. यहां तो समझ में आता है लेकिन ब्लास्ट वाली जगह पर कोई जबर्दस्ती या जानबूझकर तो जाएगा नहीं. इसलिए यहां ऐसी कोई दलील काम नहीं करती. वो तो नॉर्मल ट्रैवल कर रहे थे और वहां अगर ब्लास्ट हुआ तो डेफिनेटली उनको क्लेम मिलना चाहिए और मिलेगा.
गाड़ी के इंश्योरेंस के नियम-कानूनIRDAI यानी इंश्योरेंस रेग्युलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया भारत में बीमा क्षेत्र की देखरेख और निगरानी करने वाला एक सरकारी (वैधानिक) संस्थान है. इसका काम पॉलिसी लेने वालों के हितों की रक्षा करना और बीमा कंपनियों के सही और पारदर्शी तरीके से काम करने पर नियम बनाना है. इसकी वेबसाइट पर बताया गया है, कि मोटर इंश्योरेंस आपकी दो तरह से मदद करता है. एक तो अगर आपकी गाड़ी को कोई नुकसान होता है तो यह उसकी भरपाई करता है. दूसरा, अगर आपकी गाड़ी से किसी तीसरे व्यक्ति यानी थर्ड पार्टी को चोट लगे या उसकी किसी चीज का नुकसान हो जाए तो उसके खर्च या मुआवजे को कानून के हिसाब से भरता है.
मोटर इंश्योरेंस में आमतौर पर दो तरह की पॉलिसी होती है. एक तो लाइबिलिटी ओनली पॉलिसी, जो कानूनन अनिवार्य है. यह पॉलिसी सिर्फ थर्ड पार्टी को हुए नुकसान या चोट का खर्च कवर करती है. दूसरा है, पैकेज पॉलिसी.इसमें थर्ड पार्टी के नुकसान के साथ-साथ आपके अपने नुकसान की भी भरपाई की जाती है.
मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी में जो-जो चीजें कवर की जाती हैं, उनमें आगजनी, धमाका, बिजली गिरना, बाढ़, तूफान, दंगा हड़ताल में नुकसान, टक्कर, रेल, रोड, नदी, लिफ्ट, एलिवेटर से ट्रांसपोर्ट के दौरान नुकसान, चट्टान खिसकने से या भूस्खलन से होने वाला नुकसान, चोरी और आतंकवादी गतिविधियों से होने वाला नुकसान भी शामिल है.

नवीन दुबे ने बताया कि जब मुंबई में 26 नवंबर 2008 को आतंकवादी हमला हुआ था, तब इसमें डैमेज गाड़ियों के क्लेम कंसीडर हुए थे और लोगों को उनका पैसा दिया गया था.
अब ये तो तय है कि बीमा क्लेम मिलता है लेकिन कैसे मिलेगा. प्रॉसेस क्या है? इसके लिए आपको अपनी बीमा कंपनी के हिसाब से नॉर्मल बीमा क्लेम की प्रक्रिया फॉलो करनी है. ब्लास्ट वाले केस में कंपनी आपसे एफआईआर की कॉपी और डैमेज गाड़ी का वीडियो-फोटो भी मांगती है.
लेकिन गाड़ियों के तो परखच्चे उड़ गए थे. केवल ढांचा बचा है. ये बताएंगे कैसे कि हमारी ही गाड़ी है जो तबाह हुई है और आतंकवादी धमाके में ही तबाह हुई है? कंपनी के सामने क्लेम कैसे प्रूव करेंगे? और कंपनी क्लेम देने में आनाकानी करती है तो क्या करेंगे?
इस पर नवीन दुबे कहते हैं कि ‘आप कोर्ट जा सकते हैं. कहीं कोई आतंकवादी हमला होता है तो पुलिस मौके की एक रिपोर्ट बनाती है. इसमें जो भी गाड़ियां डैमेज होती हैं, उन गाड़ियों की लिस्ट होती है. उनके गाड़ी नंबर होते हैं. अगर गाड़ी बुरी तरह जल गई है और नंबर प्लेट भी नहीं बचता तो गाड़ी के चेचिस या इंजन नंबर से गाड़ी का नंबर निकाला जाता है. उसके मालिक का पता किया जाता है. जब NIA धमाके की जांच कर रही होती है तो वह एक-एक पॉइंट को ट्रेस करती है. उसकी रिपोर्ट बनाती है. इसमें क्लियर लिखा होता है कि गाड़ी का ओनर कौन है? ये सारी चीजें ऑटोमेटिकली ऑन रिकॉर्ड होती हैं. कोर्ट तो सामान्य सी एफआईआर को कंसिडरकर लेता है. ब्लास्ट तो बड़ा मैटर है. इसकी रिपोर्ट भी बड़ी बात है. ये रिपोर्ट या इससे जुड़ा कोई डॉक्युमेंट देकर आप क्लेम कर सकते हैं.’
अगर ये रिपोर्ट आपको नहीं मिलती तो क्या करें? इसका जवाब है कि कोर्ट में जब आपके मामले की सुनवाई होती है और आप रिकॉर्ड एक्सेस में होने वाली ये परेशानी जज को बताएंगे तो वह NIA से सीधे रिपोर्ट मंगवा सकते हैं.
क्या परेशानी आ रहीदिल्ली ब्लास्ट के कई पीड़ित परेशानी में हैं क्योंकि वह अपनी गाड़ी का फोटो और वीडियो नहीं ले पा रहे हैं. कैब चलाने वाले जोगिंदर टीओआई को बताते हैं कि वह एक थाने से दूसरे थाने भागादौड़ी ही कर रहे हैं. अपनी गाड़ी ढूंढ रहे हैं लेकिन वो अब तक नहीं मिली. अब वो समझ नहीं पा रहे कि बीमा का दावा कैसे शुरू करें.
इस मामले में कई लोग बता रहे हैं कि बीमा के लिए कार की फोटो लेने जैसे छोटे–छोटे काम भी उनके लिए मुश्किल हैं. गाड़ियां थाने के अंदर बंद हैं. वहां एंट्री नहीं मिल रही. हालांकि, इस पर दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने दावा किया कि उन्होंने समस्या हल कर दी है. मामला उनके संज्ञान में आया था, जिसके बाद उन्होंने फोटो–वीडियो लेने की अनुमति दे दी है.
सरकारी मुआवजे को लेकर भी पीड़ितों को परेशानी हो रही है. लंबी लाइनों और ऊबाऊ पेपरवर्क के बाद भी मुआवजा के कागज प्रॉसेस हो रहे हैं या नहीं, किसी को नहीं पता. दिल्ली सरकार के अफसरों का कहना है कि देर उनकी तरफ से नहीं है. मुआवजे का सारा पेपरवर्क उनके स्तर पर पूरा हो चुका है. एजेंसियों से लगातार संपर्क किया जा रहा है क्योंकि जब तक NIA यह नहीं कह देती कि ये लोग धमाके के आरोपियों से जुड़े नहीं हैं, मुआवजा रिलीज नहीं किया जा सकता.
जाते-जाते एक बात साफ कर दें कि गाड़ी के बीमा क्लेम से आपको जो पैसे मिलेंगे, वो सरकार के घोषित मुआवजे से अलग होंगे. सरकार ने जो मुआवजा घोषित किया है, वह तो सरकार ही देगी. गाड़ी का क्लेम कंपनियों की ओर से मिलेगा.
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