दुनिया की 85 प्रतिशत आबादी ने देखा ऐतिहासिक Blood Moon का दुर्लभ नजारा
Nainital के Aryabhatta Research Institute of Observational Sciences में लगे देश के सबसे बड़े Devasthal Telescope से भी Blood Moon यह दुर्लभ घटना देखी गई.

साल 2025 का आखिरी चंद्रग्रहण (Lunar Eclipse) खत्म हो चुका है. भारतीय समयानुसार ये ग्रहण 7 सितंबर की रात 9 बजकर 58 मिनट से देर रात 1 बजकर 26 मिनट पर खत्म हुआ. आखिरी बार इस तरह का पूर्ण चंद्रग्रहण 2018 में दिखा था. यह दुर्लभ घटना खगोलशास्त्रियों से लेकर ज्योतिष का अध्ययन करने वालों के बीच कौतूहल का विषय बना रहा. इस बार चांद बिल्कुल लाल दिखा इसलिए इसे ब्लड मून (Blood Moon) भी कहा जा रहा है. नैनीताल के आर्यभट्ट प्रेक्षक विज्ञान शोध संस्थान (Aryabhatta Research Institute of Observational Sciences) में लगे देश के सबसे बड़े देवस्थल टेलीस्कोप (Devasthal Telescope) से भी यह दुर्लभ घटना देखी गई.
रात 11 बजकर 42 मिनट पर चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की छाया में ढक गया, जिसने इसे 'ब्लड मून' या यूं कहें कि एकदम लाल चांद का रूप दिया. आर्यभट्ट प्रेक्षक विज्ञान शोध संस्थान (ARIES) के देवस्थल से इस ग्रहण की शानदार तस्वीरें कैद हुईं, जो अब सोशल मीडिया और वैज्ञानिक समुदाय में चर्चा का विषय बनी हुई हैं. ARIES नैनीताल द्वारा इन तस्वीरों में चंद्रमा के लाल रंग और उसकी सतह की बारीकियों को बेहद स्पष्टता से दर्शाया है.
चंद्र ग्रहण के समय जब चंद्रमा लाल रंग का दिखता है तो इस घटना को 'ब्लड मून' कहते हैं. खगोलविदों के अनुसार, जब पृथ्वी की छाया सूर्य की रोशनी को रोक देती है, तब वातावरण में मौजूद धूल, गैस और अन्य कणों के कारण लाल रंग की किरणें ही चंद्रमा तक पहुंचती हैं. इसी वजह से चंद्रमा लाल दिखता है.
पूरी दुनिया की 85 प्रतिशत आबादी को ये चंद्रग्रहण नजर आया. वैज्ञानिकों की मानें तो चंद्रग्रहण को नंगी आंखों से देखा जा सकता है. इसे देखने के लिए किसी चश्मे या प्रोटेक्टिव ग्लास/फिल्टर जैसी चीज जरूरत नहीं पड़ती. इसके उलट सूर्यग्रहण में सोलर रेडिएशन का खतरा रहता है. यही वजह है कि सूर्यग्रहण को नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए. मशहूर यूट्यूब चैनल टाइम एंड डेट ने इस ग्रहण के दौरान लाइव स्ट्रीमिंग भी की जिससे लोग घर बैठे अपने मोबाइल या टीवी पर इस शानदार घटना को देख सकें.

चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य के ठीक बीच में आ जाती है. पृथ्वी सूर्य से आने वाले रोशनी को रोक लेती है, जिससे चंद्रमा पर छाया पड़ जाती है. इस छाया के कारण चंद्रमा बहुत धुंधला दिखाई देता है और कभी-कभी उसकी सतह का रंग चटक लाल हो जाता है जैसा 7 सितंबर को हुआ. चंद्रमा लाल इसलिए दिखाई देता है क्योंकि उसे रोशनी करने वाली रोशनी पृथ्वी के वायुमंडल से होकर गुजरती है, जो नीले रोशनी को बिखेरता है और लाल रोशनी को चंद्रमा की ओर मोड़ देती है. लाल रंग की तीव्रता इस बात से तय होती है कि चंद्रमा पृथ्वी की छाया में कहां है.
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