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ये कर लिया तो डेढ़ लाख तक का इनकम टैक्स सीधे-सीधे बच जाएगा!

80C के अलावा टैक्स बचाने के तरीक़े बहुत काम आएंगे.

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स्टोरी पढ़ लीजिए, फिर देखिए कहां-कहां बचा सकते हैं टैक्स. (सांकेतिक तस्वीर - आजतक)
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सोम शेखर
16 मार्च 2023 (Updated: 16 मार्च 2023, 11:55 AM IST)
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होली बीत गई. मार्च भी बीत जाएगा. वक़्त की रीत है. ठंड फीकी पड़ रही है और गर्मी ठीक सामने उबासी ले रही है. बसंत की चौखट के जैसे ही आता है मार्च. महीने कुल 12 होते हैं, लेकिन मार्च का अपना जलवा है. कुछ अर्थों में जनवरी से भी ज़्यादा. अर्थों में और अर्थ में. अर्थ की ज़ुबान में कहें, तो मार्च क्लोज़िंग का महीना है. वित्तीय वर्ष की क्लोज़िंग का महीना. वित्तीय वर्ष कैलेंडर वर्ष से अलग क्यों हैं, इसका कोई स्पष्ट कारण तो नहीं मालूम. लेकिन ब्रितानी हुक़ूमत से चला आ रहा है, कृषि-प्रधान देश है, भारतीय कैलेंडर का पहला महीना पड़ता है जैसे कुछ संभावित वजहें इंटरनेट पर मिल जाएंगी है. आज ये मार्च पुराण क्यों? क्योंकि वित्तीय साल की क्लोज़िंग से पहले भरना होता है टैक्स.. इनकम टैक्स.

आज, बसंत के सुकून की तरह ही हम आपके लिए ले कर आए हैं कुछ-एक तरीक़े, जिससे आप टैक्स बचा सकते हैं.

मार्च में ये टिप्स बहुत काम की हैं

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़, 31 जुलाई 2022 तक 5.83 करोड़ लोगों ने इनकम टैक्स भरा था. टैक्स रिजीम पर चर्चा हो, इससे पहले एक छोटी बात इनकम पर. इनकम का मतलब केवल सैलरी यानी वेतन के रूप में होने वाली कमाई से नहीं है. कुल पांच चीज़ों के समागम से बनती है इनकम.

सैलरी + हाउस प्रॉपर्टी + बिज़नेस + कैपिटल गेन + अदर सोर्सेज़ = इनकम

माने आपकी आय. वो कहीं से भी हो सकती है. जैसे अगर आप साउथ दिल्ली में छ: तल्ला मकान बनाकर लाखों का किराया वसूल रहे हैं, तो वो भी आपकी आय हुई. और आप 9 टू 6 जॉब नहीं करते हैं, लेकिन आपकी किराने की दुकान है जिसमें तीन लड़के भी रखें हैं सामान बांधने के लिए. तो इस दुकान से होने वाली कमाई भी तो आपकी आय हुई.

इतना तो आपको पता ही है कि देश में अलग-अलग आय के हिसाब से अलग-अलग टैक्स स्लैब्स निर्धारित हैं. अब बहुत हो गई भूमिका. अब आते हैं मुद्दे पर. 

टैक्स बचाएं कैसे?

नई टैक्स रिजीम तो अगले साल लागू होगी. लेकिन मौज़ूदा टैक्स रिजीम में भी सरकार ही ख़ुद नागरिकों को टैक्स बचाने के लिए निवेश करने को कहती थी. इनकम टैक्स के सेक्शन-80C में इनवेस्टमेंट्स की पूरी लिस्ट है, जहां निवेश कर आप टैक्स पर छूट पा सकते हैं. पब्लिक प्रोविडेंट फ़ंड PPF, जीवन बीमा पर भरे जाने वाले प्रीमियम, होम लोन, पांच साल की फ़िक्स्ड डिपॉज़िट, यहां तक कि बच्चों की फ़ीस पर भी छूट का प्रावधान है. क्या प्रावधान हैं, वो बताते हैं.

> घर ख़रीद रहे हैं? इसके लिए लोन लिया है तो आप 80-C के तहत घर के लिए गए कर्ज की मूलधन राशि या प्रिंसिपल अमाउंट पर डेढ़ लाख तक की छूट पा सकते हैं और सेक्शन-24 के तहत लोन के इंट्रेस्ट पर भी 2 लाख रुपये तक की छूट मिलती है.

> जीवन बीमा लिया है तो उसका प्रीमियम देते होंगे. तो आप प्रीमियम राशि पर भी छूट उठा सकते हैं. बशर्ते प्रीमियम, मैच्योरिटी अमाउंट के 10% से कम हो और आपकी पॉलिसी 1 अप्रैल, 2012 के बाद ख़रीदी गई हो. सेक्शन-10 के तहत लाइफ इंश्योरेंस की मैच्योर्ड राशी या बोनस पर कोई इनकम टैक्स नहीं लगेगा.

> ये तो हुई जीवन बीमा यानी लाइफ़ इंश्योरेंस की बात. अब बताते हैं हेल्थ इंश्योरेंस के बारे में. आप अपने और अपने पार्टनर या बच्चों के मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम के लिए 25,000 रुपये तक की छूट पा सकते हैं. अगर आपके माता-पिता की आयु 60 साल से कम है, तो आप उनके बीमा प्रीमियम के लिए भी 25,000 रुपये तक की छूट पा सकते हैं. और अगर वो 60 से ऊपर हैं, तो ये छूट भी 50,000 रुपये तक जा सकती है.

> स्टूडेंट हैं, तो आपको बता दें कि आयकर ऐक्ट के सेक्शन-10(16) के तहत छात्रों को मिलने वाली स्कॉलरशिप आयकर से मुक्त होती है.

> छात्रों से ही जुड़ा एक और फ़ायदा है. वो भी बता देते हैं -- स्टूडेंट लोन. सेक्शन-80E को रेफ़र करें, तो मालूम होगा कि स्टूडेंट लोन पर भरे जा रहे ब्याज पर कोई टैक्स नहीं लगता. और, इस कैटग्री में कोई साफ़ स्लैब भी नहीं है.

> भारत से बाहर हैं, तो आपके NRE अकाउंट पर छूट मिल जाएगी. जमा की राशी और फ़िक्स्ड डिपॉज़िट पर टैक्स नहीं देना होगा.

> 1 लाख तक के कैपिटल गेन पर इनकम टैक्स नहीं देना होता.

> शादी में दिए जाने वाले तोहफ़ों पर भी टैक्स नहीं देना होता. लेकिन इसकी भी अपर लिमिट है: 50,000. पचास हज़ार रुपये से ज़्यादा का गिफ़्ट देने पर स्लैब के हिसाब से टैक्स भरना पड़ेगा.

> कृषि से आने वाली आय आयकर मुक्त होती है. हालांकि, आयकर ऐक्ट में ही कृषि आय वसूलने के लिए एक इनडायरेक्ट तरीक़ा है.

> वसीयत से या क़ानूनी उत्तराधिकारी को जो पैसा मिलता है, उस पर नो टैक्स. क्योंकि भारत में कोई उत्तराधिकार कर या inheritence tax नहीं है.

> PF पर कुछ भी इंट्रेस्ट मिले, तो उस पर भी टैक्स नहीं लगेगा.

> सेक्शन 80G में दान या चैरिटी पर टैक्स छूट के प्रोविज़न हैं. अगर आप विशेष राहत कोष और चैरिटी संगठनों में दान कर रहे हैं, तो टैक्स नहीं लगेगा. लेकिन ये हर राहत कोष या संगठन पर मान्य नहीं है.

> बाक़ी किसी पॉलिटिकल पार्टी को चंदा देने पर कर कटौती की कोई ऊपरी सीमा नहीं है. ये कटौतियां धारा 80GGC के तहत आती हैं.

80C के अलावा क्या तरीक़े हैं?

अब ये तो हमने आपको बता दिया कि किन-किन चीज़ों पर टैक्स नहीं लगता. इसके अलावा कुछ और ज़रिए भी हैं. जैसे PPF, EPF, NABARD Rural Bonds, Unit Linked Insurance Plans. इसके अलावा कई ऐसी स्कीम्स हैं, जिनमें निवेश पर आपको छूट मिल सकती है. मगर ये सब 80-C के अंतर्गत ही आता है. और, 80-C से कुल डेढ़ लाख तक की छूट ले सकते हैं. ऐसा नहीं है कि इधर से भी ले लिया, उधर से भी. कुल डेढ़ लाख की ही छूट मिलेगी.

इसमें ज़रूरी ये है कि अगर आप इनमें से किसी भी सेक्टर में निवेश कर रहे हैं, तो इनकम टैक्स भरने से पहले आपको बहुत ध्यान से प्लैन करना होगा कि आप क़ानूनन कितनी छूट के लाभार्थी हैं. इसके लिए या तो आप ख़ुद अपने ख़र्च का रिकॉर्ड रखें, या किसी CA से सलाह लें. जैसे हमने ली. हमने बात की CA राहुल गुप्ता से. राहुल ने हमें कुछ ऐसे तरीक़े भी बताए, जो आमतौर पर लोगों को नहीं मालूम.

“80-C के अलावा NPS के सब्सक्राइबर्स 50,000 तक की छूट और पा सकते हैं, अगर वो NPS में निवेश कर रहे हैं. 

एक छूट बहुत कम लोग जानते हैं. अगर आप इलेक्ट्रिक गाड़ी ख़रीदते हैं, तो उस पर भी आपको डेढ़ लाख रुपये तक की टैक्स छूट मिलती है."

हमने आपको मोटे तौर पर बताया कि आप अपना टैक्स कैसे बचा सकते हैं. अगर आपको इसके अलग-अलग सेक्शन्स पर डिटेल्ड वीडियो चाहिए, तो हमें कॉमेंट सेक्शन में बताइए. 

वीडियो: खर्चा पानी: इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय चेक कर लें ये चीजें, वरना पछताएंगे!

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