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धत्तेरे की पाकिस्तानी आर्मी! आतंकियों के चक्कर में छतें गायब कर दीं

यहां घरों से छतें गायब हो गई हैं. हो नहीं गईं, कर दी गई हैं.

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Photo: Reuters
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कुलदीप
2 जून 2016 (Updated: 2 जून 2016, 11:50 AM IST) कॉमेंट्स
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घरों से छतें गायब हो गई हैं. हो नहीं गईं, कर दी गई हैं. यह हुआ है पाकिस्तान के साउथ वजीरिस्तान में. यह पाकिस्तानी सेना का नया तरीका है, आतंकियों को खोज निकालने का. सेना के हेलिकॉप्टर घरों के ऊपर गश्त लगाते रहते हैं, ताकि कोई आतंकियों को शरण दे तो पता लग जाए.
साउथ वजीरिस्तान कभी पाकिस्तानी तालिबान का मजबूत गढ़ हुआ करता था. सेना का कहना है कि अब यह इलाका आतंकियों के असर से पूरी तरह मुक्त है. अफगानिस्तान सीमा से सटा यह इलाका पाकिस्तान के फेडरली ऐडमिनिस्ट्रेटेड ट्राइबल एरियाज (FATA) में आता है. तालिबान के चरम के समय जो परिवार यहां से विस्थापित हुए थे, वे अब लौटकर अपने घरों को आ रहे हैं.
सेना इन परिवारों पर नजर रख रही है और इसीलिए उनके घरों की छतें हटा दी गई हैं. वजह, बेहतर एरियल व्यू मिल सके और आतंकी इन घरों में पनाह न ले पाएं. हालांकि सेना का कहना है कि इनमें से कुछ छतें मौसमी वजहों से डैमेज हो गई थीं. यह साफ नहीं है कि इनमें से कितनी छतें सेना ने हटाईं और कितनी मौसम ने बर्बाद कर दीं. पाकिस्तानी सेना ने तहरीके-तालिबान पाकिस्तान (TTP) और उसके लीडर बैतुल्लाह मसूद के खिलाफ 2009 में 'राह-ए-निजात' ऑपरेशन चलाया था. सेना के आंकड़ों के मुताबिक, इस ऑपरेशन में 72 हजार से ज्यादा परिवार विस्थापित हो गए थे. 7 साल बाद 42 हजार परिवार वापस बसाए गए. इस साल के अंत तक और 30 हजार परिवारों को यहां लाने की योजना है.

बाकी सुविधाएं हैं, लेकिन छत नहीं है 

पाकिस्तानी प्रशासन ने वहां दोबारा सड़कें बना दी हैं. मेडिकल सुविधाएं को इंतजाम किया गया है, स्कूल बन गए हैं और पानी की सप्लाई भी शुरू हो गई है. लेकिन फिर भी वहां के लोकल लोग छतों के न होने से नाराज हैं. जाहिर है, घरों में औरतें भी होती हैं और मौसम का भी असर होता है. साउथ वजीरिस्तान में मकानों की छतें लड़की और लोहे की शीट से बनाई जाती हैं. सर्दी में यहां भारी बर्फबारी होती है. लेकिन फिलवक्त हेलिकॉप्टरों से घरों के अंदर तक झांका जा सकता है. सरकार का कहना है कि वह परिवारों को 4 लाख रुपये तक की रकम घरों को दोबारा बनाने के लिए देगी. लेकिन वहां के लोकल इस अमाउंट से भी खुश नहीं हैं.
शाम 7 से सुबह 7 बजे तक यहां कर्फ्यू लग जाता है. लोग बाजार भी नहीं जा पाते हैं. एक सीनियर मिलिट्री अफसर ने एक न्यूज एजेंसी को बताया कि FATA में दोबारा कंस्ट्रक्शन के लिए 285 मिलियन डॉलर्स की जरूरत है. लेकिन सरकार ने अब तक 48 मिलियन डॉलर ही रिलीज किए हैं. इसमें से 12.5 मिलियन डॉलर परिवारों को बांटा जा चुका है.
लेकिन छतें खुली हुई हैं. हेलीकॉप्टर मंडरा रहे हैं. इस्लामाबाद में लोग दबी जुबान में कह रहे हैं, पाकिस्तानी सेना अपने ही लोगों पर यकीन नहीं करती.

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