जवानी उधार लेकर भोग विलास करने के बाद ययाति बोले 'सब मोह माया है'
राजा ययाति जिसने बेटे से जवानी उधार लेकर किया रोमांस.
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फोटो - thelallantop
एक थे राजा ययाति जो अपने बेटे से जवानी उधार लेकर 'प्रसंग' करने के लिए मशहूर हैं. उनकी कहानी सुनिए.
ययाति नहुष और विरजा के बेटे थे. इंद्र ने ययाति को बेहद प्रकाशमान रथ दिया था, जिसके जरिये उन्होंने 6 रातों में ही पूरी पृथ्वी, देवताओं और दानवों को भी जीत लिया और पांचों बेटों में प्रॉपर्टी बांट दी.
इसके बाद राजा ययाति रिलैक्स मोड में आ गए. वह अपने बेटे यदु से बोले कि तुम मेरा बुढ़ापा ले लो और मुझे अपनी जवानी दे दो, जिसे लेकर मैं इस पृथ्वी में हर जगह टहलूंगा. यदु बोला कि बुढ़ापे में बहुत परहेज करना पड़ता है, हमसे न हो पाएगा.
नाराज ययाति उसको शाप देकर अपने दूसरे, तीसरे और चौथे बेटे के पास गए, पर सबने बहाना मारकर टरका दिया. ययाति सबको शाप देते चले गए. छोटा बेटा पूरु आज्ञाकारी था. उसने पिता का बुढ़ापा ले लिया और उन्हें अपनी जवानी दे दी.
बेटे पूरु की जवानी उधार लेकर राजा ययाति की मौज आ गई. घूमते घूमते वे चैत्ररथ नाम के एक जंगल पहुंचे तो वहां उन्हें विश्वाची नाम की एक सुंदरी मिली. उससे इनका ईलू ईलू हो गया और मामला फिजिकल विजिकल भी हो गया.
कई दिनों के बाद जब ययाति काम और भोग से छक गए तो लौट आए और पूरु से अपना बुढ़ापा वापस ले लिया. तब उन्होंने असली फिलॉसफर की तरह ज्ञान की गंगा बहाई कि भोग की इच्छा भोगने से शांत नहीं होती, इसलिए मोह में नहीं पड़ना चाहिए वगैरह वगैरह. ऐसी चार-छह बातें कहकर वो जंगल चले गए और वहां बहुत दिनों तक तपस्या की. तपस्या खतम करके वो भृगुतुंग नाम के तीर्थ में सद्गति पा गए.
स्रोत: ब्रह्मपुराण, गीता प्रेस, पेज- 34