4 मार्च 2016 (Updated: 4 मार्च 2016, 02:14 PM IST) कॉमेंट्स
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देवताओं-राक्षसों में इंडो-पाक मची रहती थी. एक बार भयंकर युद्ध हुआ तो दोनों साइड के लोग भगवान ब्रह्मा के पास पहुंचे और पूछे कि प्रभु इत्ता बता दीजिए कि जीतेगा कौन?
भगवान ब्रह्मा घुमा-घुमाकर कहने के आदी थे नहीं. सीधे बोल दिए कि पृथ्वी पर एक राजा है रजि नाम का. वो जिसकी तरफ से लड़ेगा, वही जीतेगा.
यह सुनकर दोनों पक्ष वहां से गोली हुए और फल-फ्रूट लेकर पहुंचे राजा रजि के यहां. रजि ने देवताओं से रखी शर्त कि अगर जीतने के बाद मुझे अपने राजा इंद्र का पद दोगे, तभी लड़ूंगा. देवताओं ने प्रपोजल एक्सेप्ट कर लिया.
राजा रजि ने राक्षसों से भी यही बात कही. पर राक्षस थे बद्तमीज. बोले तुम घुइयां ले लो, हमारे राजा तो प्रह्लाद ही होंगे. तब राजा रजि ने मारे गुस्से के हथियार उठा लिया और देवताओं की तरफ से ऐसा लड़े कि सारे दानव उनके आगे चीं बोल गए. इनमें कुछ दानव तो ऐसे थे जिन्हें मारना इंद्र के लिए भी पॉसिबल नहीं था.
युद्ध खत्म होने पर इंद्र सब देवताओं को लेकर राजा रजि को थैंक्यू कहने पहुंचे और बोले- तात आप हमारे बाप हैं और मैं आज से आपका बेटा. रजि इंद्र से प्रसन्न हुए. बोले- तथास्तु. कहानी खतम.
स्रोत: ब्रह्मपुराण, गीता प्रेस, पेज- 31