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माही गिल: चोट खाई हुई, भूखी, ड्राइवर से प्रेम करने वाली कामुक मालकिन

उसकी हसरतें बहुत थीं और ये उसे खूबसूरत बनाता था.

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19 दिसंबर 2018 (Updated: 19 दिसंबर 2018, 06:44 IST)
Updated: 19 दिसंबर 2018 06:44 IST
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जानते हैं माही गिल किस तरह मेरी स्मृति में बसी हैं? 'देव-डी' वाली मॉडर्न पारो की तरह, जिसको अपने मॉडर्न देवदास से बड़ा प्यार था. इतना कि साइकिल के ऊपर से उसे गद्दा दिखाया था, ताकि दोनों खेतों में जाकर उसका सही इस्तेमाल कर सकें. याद इसलिए है क्योंकि वो उन बहुत कम लड़कियों में से थी, जो फिल्म के हीरो से खुलकर कहती थी कि हां, मैं कामुक हूं. शारीरिक संबंध की ओर पहला कदम वो खुद उठा रही थी. उसे इस बात की शर्म नहीं थी. उस उम्र में मेरे लिए बड़ा अजीब था कि पुरुष से आकर्षण और उससे सेक्स की चाह लड़की भी व्यक्त कर सकती है.
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ध्यान पाने की आदत और न मिलने पर ध्यान खींचने की हिम्मत.


और हां, जिस पुरुष को वो खेत में लेकर जाती है, अंततः बुरा निकलता है. वो उसपर शक करता है क्योंकि वो अपनी कामुकता इतने खुले तरीके से जाहिर कर सकती है. आज सोचती हूं तो पारो को समझ सकती हूं. ध्यान पाने की आदत और न मिलने पर ध्यान खींचने की हिम्मत, फिर भले ही उसके लिए कोई उसे कुलटा कह दे.

इसे अच्छी बात कहें या बुरी, पारो की शादी उस व्यक्ति से नहीं होती. किसी और लड़के के शादी कर लेना उसके लिए जल्दी में लिया गया फैसला था. उसे पता था कि प्यार-व्यार सब ठीक है, मगर आत्मसम्मान भी कोई चीज़ होती है. फिर चाहे अगला व्यक्ति आपके बारे में कुछ भी सोचे, उसे कुलक्षिणी घोषित कर दे.
माही का असल नाम रिंपी कौर गिल है. गुलाल में छोटे से रोल के साथ डेब्यू किया था. फिर पारो. बस बाक़ी इतिहास है.

बात 'साहिब, बीवी और गैंगस्टर' की. माही ने माधवी देवी का किरदार किया. सेक्स, ड्रग्स और पागलपन से अलग माधवी एक औरत थी जिसे अपने पति का अटेंशन चाहिए था. प्रेमी का ध्यान चाहिए था. ये 'साहिब, बीवी और गुलाम' का मॉडर्न वर्जन था मगर दोनों फ़िल्में अलग थीं. माही गिल मीना कुमारी से अलग थीं.
माधवी खतरनाक औरत थी. क्योंकि वो अटेंशन पाने के लिए कुछ भी कर सकती थी. ड्राइवर के साथ अफेयर भी. और इसलिए भी क्योंकि वो बहुत महत्वाकांक्षी थी.
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उसपर मन खीज उठता था कि वो इतनी चालाक कैसे हो सकती थी. माधवी की यही खूबसूरती थी.


ध्यान के साथ-साथ उसके लिए पैसा भी ज़रूरी था. वो चोटिल थी, कामुक और भूखी थी. उससे नफरत होती थी, प्रेम होता था, उसपर दया आती थी. उसपर मन खीज उठता था कि वो इतनी चालाक कैसे हो सकती थी. माधवी की यही खूबसूरती थी.
पारो हो या माधवी, माही के किरदार जानते थे, उन्हें क्या चाहिए. वो गलतियां करती, रोती, मगर कभी शर्मिंदा नहीं होती. शराब पीती, गाली देती. मगर उसका दिल- हाय! प्रेम करती तो यूं टूटकर कि अगले पुरुष की मौत अपने सर ले ले. वो पुरुष के साये सी शुरुआत करती, फिर उससे बड़ी हो जाती.
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उसका दिल- हाय! प्रेम करती तो यूं टूटकर कि अगले पुरुष की मौत अपने सर ले ले.


माही ने बताया कि संभोग में सुख है. रिझाना एक कला है और 'गंदी बातों' में औरतों को मजा आता है.


 

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