The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Lallankhas
  • Funny Indians: what happens when a poet joins Traffic police

ट्रैफिक हवलदार कल्लन चच्चा की शायरी

प्रॉब्लम ये है जिस आदमी को जहां नहीं होना चाहिए, वो वहीं खूंटा गाड़ कर बैठा है. अगर आदमी को अपने इंट्रेस्ट से बाहर काम मिलता है तो कुछ यूं होता है.

Advertisement
Img The Lallantop
फोटो - thelallantop
pic
आशुतोष चचा
31 जनवरी 2015 (Updated: 31 जनवरी 2016, 05:28 AM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
हिंदुस्तान में अपने शौक को पेशा बना पाना निहायत मुश्किल काम है. आदमी वो छोड़ के सब कुछ बन जाता है जो वो बनना चाहता है. लल्लन प्रदेश के एक चचा हैं कल्लन. बचपन से क्रिएटिव थे मन में साध थी कलमतोड़ शायर बनने की. लेकिन हालात और घर वालों के दबाव ने पुलिस का नौकर बना दिया. इन दिनों वह ट्रैफिक डिपार्टमेंट में हैं लेकिन शायरी का शौक ज्यों का त्यों है. एक दिन बीस मिनट उनके साथ खड़े हो जाओ तो बाकी शायरों को भूल जाओगे. एक दिन मैंने उनको चौराहे पर बाइक वालों की धरपकड़ करते देखा. वे डंडा फटकार रहे थे और शायरी के लहजे में यूं कहते जाते थे:
जिंदगी में मिलेंगे कहीं अंधेरे कहीं उजाले ओ बिना हेलमेट वाले गाड़ी साइड में लगा ले
गर दोस्त करे गुनाह तो दुश्मन संभाल ले अब देर न कर बेट्टा कागज़ निकाल ले
तमाम उनकी यादों का दर्द है और ज़िंदगी कम है ये देख बच्चा तेरा इन्श्योरेंस भी खतम है
उफ़ नसीब मेरे महबूब से यूं न जुदा कर अबे घोंचू डी एल तो लेकर के चला कर
हर कदम पर आजमाती है किस्मत जब इन्सां सफर पे हो चालान फौरन काटते हैं गर हेलमेट न सर पे हो
हर सुख़नवर को जहां में सदमा शदीद है एक भी तो नहीं तेरा कागज कम्प्लीट है
हमने उनसे की वफ़ा की उम्मीद जो न जाने वफ़ा करना सौ रुपये करो ढीले गर चाहते हो सब रफा दफा करना
न जाने क्यों नहीं मिलता पता उसके मिजाज़ का सौ नहीं हैं तो नोट एक होगा पचास का
रेत को मुश्किल है मुट्ठी में भर के उड़ा देना साले भिखारी गाड़ी अब कचहरी से छुड़ा लेना
traffic
आपको भी इस टाइप की मॉडर्न शायरी आती है तो लिखिए कमेंटबॉक्स में. कल्लन चचा को आपका कलाम पसंद आया तो यहां छापा भी जाएगा.

Advertisement