सालों से टट्टुओं के दम पर देश की सुरक्षा कर रहे जवानों की पहली तस्वीरें
इंडिया चीन के बॉर्डर पर ये पहरेदारी करते हैं. वहां की ज्योग्रफी दिमाग ख़राब करने वाली है. वहां ये आते-जाते कैसे हैं. पहली तस्वीरें आई हैं.
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फोटो - thelallantop
जब इन्हें कहीं आना-जाना होता है तो ये टट्टुओं का इस्तेमाल करते हैं. आईटीबीपी के जवान भीषण ठण्ड और भयानक ऊंचाई पर इन्हीं टट्टुओं की मदद से सीमा पर चौकसी बरत पाते हैं. वहां पैट्रोल बेस, ऑब्ज़र्वेशन पोस्ट्स, लिसनिंग पोस्ट्स और सीक्रेट बंकर होते हैं. ऐसी सभी जगहों पर सामान की आवाजाही, ज़रूरी मदद आदि इन्हीं जानवरों से पहुचाई जाती हैं.
अब तक ऐसा था कि इन जानवरों पर जवानों का आना-जाना सिर्फ कहानियों-किस्सों का हिस्सा था. इसे दुनिया ने देखा नहीं था. क्यूंकि किसी भी जर्नलिस्ट ने अब तक इसे कवर नहीं किया था. साथ ही ऐसी जगहों पर किसी भी जर्नलिस्ट को जाने की इजाज़त भी नहीं मिलती है.
समुद्र तल से 19,000 फ़ीट ऊपर किस तरह माइनस 48 डिग्री सेल्सियस में किस तरह टट्टू की पीठ पर बैठ एक बहती नदी क्रॉस की जाती है, इसे पहली बार देखने को मिला है अब. पहली बार पब्लिक डोमेन में ये फोटुएं आई हैं.

ये वो जगह है जहां खाने की किल्लत है. हालत ये है कि जवान नीम्बू देख ले उसका दिन नहीं हफ़्ता बन जाता है. हरी मिर्च और नीम्बू लग्ज़री आइटम है. आज के बाद जब कभी आधा कतय नीम्बू यूं ही किचन के काउंटर पर छोड़ रहे हों, और प्लेट में पड़ी हरी मिर्च यूं ही फेंक रहे हों तो ज़रा इन तस्वीरों को देख लीजियेगा.

Young Asstt Commandant(Vet) with his pony Neela
यहां इन टट्टुओं को लाइफलाइन कहते हैं. जीपीएस भी. कहते हैं कि इन टट्टुओं को रास्ते कभी नहीं भूलते. कितने ही दफ़े इन्होंने जवानों को भटकने से बचाया. वो भी ऐसे समय में जब ज़रा सा रास्ता भटकने पर जवान ठण्ड, बर्फ़ और नेचर की एक्सट्रीम कंडीशंस का शिकार होकर जान गंवा सकते हैं. ऐसे में ये टट्टू इन जवानों के लिए किसी फ़रिश्ते से कम नहीं होते. जवान भी इन्हें उतना ही प्यार देते हैं.

‘top of the world’ at 19500 feet is a resting place for the young AC(Vet) & his pony

ITBP Vet Officer enjoying the solitude with his pony and faithful dog Sheru


आईटीबीपी के ये जवान देश के सबसे कम जाने जाने वाले जवानों में एक हैं. ये वो हैं जिनके बारे में सबसे कम बात की जाती है और जिन्हें सबसे कम देखा गया है. ये जवान लगातार इस जुगत में लगे रहते हैं कि सन 62 जैसा माहौल देश को दोबारा न देखना पड़े. इसके लिए ये ज़्यादा से ज़्यादा सम्मान के हक़दार हैं.