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कैसे होती है किसी की मानहानि, 500, 1000 करोड़ का केस कैसे बन जाता है?

हाल में KRK और रामदेव मानहानि को लेकर ख़बरों में हैं.

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इज्जत भी संपत्ति से कम नहीं. ऐसा हम नहीं, कानून भी कहता है. तभी किसी के सम्मान को ठेस पहुंचाई तो मानहानि का मुकदमा हो सकता है.
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अभिषेक त्रिपाठी
2 जून 2021 (Updated: 2 जून 2021, 09:35 AM IST) कॉमेंट्स
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ख़बर 1 – कथित फिल्म क्रिटिक KRK ने सलमान खान की हालिया रिलीज़ फिल्म ‘राधे-योर मोस्ट वांटेड भाई’ का रिव्यू किया. बहुत मज़ाक उड़ाया, भद्दी बातें भी कहीं. वो अक्सर इसी तरह से फिल्मों के 'रिव्यू' करते हैं. सलमान खान ने KRK के ख़िलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज करा दिया. इस संबंध में KRK को नोटिस भी भेजा गया है. ख़बर 2 - उत्तराखंड IMA यानी इंडियन मेडिकल असोसिएशन ने योगगुरु बाबा रामदेव को कानूनी नोटिस भेजा है. इस नोटिस में कहा गया है कि योगगुरु रामदेव एलोपैथी पर दिए अपने विवादित बयान के खंडन का वीडियो जारी करें और IMA से 15 दिनों में लिखित माफी मांगे. ऐसा नहीं करने पर एक हजार करोड़ की मानहानि का केस किया जाएगा. बात इन दोनों में से किसी ख़बर की नहीं होनी है. बात होनी है दोनों ख़बरों के एक कॉमन पॉइंट पर. मानहानि पर. क्या होती है मानहानि? दुनिया के सबसे विशाल साम्राज्य में से एक हुआ है- रोमन साम्राज्य. 27 ईसा पूर्व से शुरू होकर पांचवी सदी तक रोमन साम्राज्य कायम रहा. रोमन साम्राज्य में एक नियम निकाला गया, जो उस वक्त बड़ा अनूठा था. कहा गया कि साब, कोई जना एक-दूसरे पर सबूत के बिना अनर्गल आरोप नहीं लगाएगा, बिना सबूत के बेइज्जती करने वाली बातें नहीं करेगा. वरना मिलेगी सज़ा. ऐसा इसलिए ताकि लोग सिर्फ बोलने के लिए न बोल दें. जब किसी के बारे में बोलें तो पूरे पूछ-परख करके. बाद में रोमन साम्राज्य का पतन हुआ. धीरे-धीरे दुनिया में अंग्रेजी शासन ने पांव पसारे. कई नियम-कायदे बदले, लेकिन ये वाला नियम लेकर आगे बढ़े. धीरे-धीरे अंग्रेजी शासन भी भूतकाल की बात हुई. भारत सहित तमाम देशों ने अपना संविधान बनाया, लेकिन ये नियम 'शर्माइन के सोफे' की तरह कायम रहा, बल्कि कानून की शक्ल ले ली. नाम मिला - मानहानि का कानून. Defamation.
कोई ऐसा बयान, कोई ऐसा डॉक्यूमेंट, कोई ऐसा पब्लिश मटीरियल, जिससे किसी व्यक्ति या किसी संस्था की छवि खराब होती है, ग़लत जानकारी प्रसारित होती है तो मानहानि के तहत केस दर्ज हो सकता है. किसी व्यक्ति को ऐसा लगता है कि उसके ख़िलाफ कोई झूठा आरोप लगाया गया है तो भी वह मानहानि का केस कर सकता है. लेकिन व्यक्ति हो या संस्था, उसे ये बात न्यायालय के सामने साबित करनी होगी कि उसकी मानहानि हुई है.
दरअसल न्यायालय और संविधान, दोनों इंसान या संस्था की प्रतिष्ठा को भी उसकी संपत्ति के तौर पर मानता है. इसलिए प्रतिष्ठा की हानि को संपत्ति की हानि माना जाता है और व्यक्ति को यह अधिकार मिलता है कि वह इसके ख़िलाफ न्यायालय में जा सके. सुप्रीम कोर्ट इस संबंध में एक बार टिप्पणी भी कर चुका है कि अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार में ख्याति का अधिकार (Right to Reputation) भी शामिल है. दीवानी, फौजदारी केस हो सकते हैं मानहानि कितना गंभीर मसला है, इसको इस बात से समझ सकते हैं कि इसमें सिविल और क्रिमिनल यानी दीवानी और फौजदारी दोनों तरह के केस दर्ज हो सकते हैं. सिविल मानहानि - मानहानि के अधिकतर मामलों में सिविल के तहत ही मुकदमा चलता है. इसके तहत जिस व्यक्ति की मानहानि हुई है, वो सामने वाली पार्टी से इसके बदले में आर्थिक मुआवजे की मांग कर सकता है. ये रकम कैसे तय होती है, इस पर अभी हम आगे बात करेंगे. रामदेव पर सिविल मानहानि का केस ही हुआ है. क्रिमिनल मानहानि -  अगर व्यक्ति या संस्था को लगता है कि पानी सिर से ऊपर निकल गया है और उसकी मानहानि आर्थिक मुआवजे से भी बड़ी है, तो वह क्रिमिनल केस दर्ज करा सकता है. इसमें दोषी को दो साल तक की सज़ा या अर्थदंड या दोनों हो सकते हैं. पत्रकार प्रिया रमानी ने जब Me Too के तहत पत्रकार और तत्कालीन मंत्री एमजे अकबर पर आरोप लगाए थे तो बदले में अकबर ने रमानी पर क्रिमिनल मानहानि का केस ही किया था. एक और अंतर है. क्रिमिनल मानहानि भारतीय दंड संहिता की धारा 499 के तहत अपराध है. इसमें पीड़ित को न्यायालय के सामने साबित करना होता है कि उसकी मानहानि हुई है. वहीं सिविल मानहानि कॉमन लॉ के तहत अपराध है. इसमें न्यायालय पुराने फ़ैसलों की नज़ीर सामने रखकर और स्वविवेक से निर्णय सुनाता है. मानहानि होती कैसे है? मोटे तौर पर इन गतिविधियों को मानहानि के दायरे में रखा गया है.
आपत्तिजनक टिप्पणी या बयान का कहा जाना या पढ़ा जाना. आपत्तिजनक टिप्पणी या बयान का प्रकाशित होना. किसी को अपमानित करने के उद्देश्य से की गई कोई हरकत.
इसमें एक बात ये ख़ास है कि जिस किसी भी ज़रिये से मानहानि हुई है, उसका पब्लिक फोरम में उपलब्ध होना आवश्यक है. उदाहरण के लिए अगर किसी के बयान से किसी अन्य की मानहानि हुई है तो इस बात का सबूत होना चाहिए कि फलां ने फलां को या उनके बारे में ऐसा कहा. अगर x ने y के कान में कुछ कह दिया, जिससे y को अपनी मानहानि लग रही तो इस पर वो केस नहीं कर पाएगा, क्योंकि कान में कही बात वो साबित कैसे करेगा? मृत व्यक्ति की भी मानहानि हो सकती है. इस स्थिति में उनके रिश्ते-नातेदार मुकदमा कर सकते हैं. लिबेल और स्लेंडर CrPC की धारा 499 कहती है कि किसी व्यक्ति द्वारा बोले गए, पढ़े गए शब्दों से, संकेतों से, चित्रों से किसी दूसरे व्यक्ति या संस्था पर ग़लत लांछन लगता है तो वह मानहानि की श्रेणी में आएगा. लेकिन मानहानि किस तरह हुई है, इसे लेकर भी दो प्रकार होते हैं.
अभियोग पत्र (Libel) बदनामी (Slander)
लिबेल – किसी झूठे स्टेटमेंट या पब्लिश मटीरियल के माध्यम से मानहानि करना. जैसे- कोई लेख, किसी अख़बार की ख़बर, कोई तस्वीरें वगैरह. माने जब किसी लिखित दस्तावेज की वजह से मानहानि हो. स्लेंडर – किसी के कहे शब्दों से या इशारों से मानहानि. कैसे तय होती है रकम? अब सवाल कि मानहानि के मामलों में 100 करोड़, 500 करोड़, एक हज़ार करोड़ तक मामले कैसे बन जाते हैं. ये समझने के लिए हमने बात की सुप्रीम कोर्ट के वकील डीबी गोस्वामी से. उन्होंने बताया,
मानहानि का मुकदमा कितना बड़ा फाइल करना है, ये पूरी तरह उस व्यक्ति की रेप्युटेशन पर निर्भर करता है, जिसकी मानहानि हुई है. इसका कोई सेट फॉर्म्यूला नहीं है. जिस व्यक्ति को लगता है कि उसकी मानहानि हुई है, वो अपने वकील के माध्यम से अपनी साख़ और मानहानि के कारण हुई मानसिक प्रताड़ना को आधार बनाकर एक तय रकम का क्लेम कर सकता है. फिर न्यायालय पर निर्भर करता है कि वो इस पूरी रकम का क्लेम मंजूर कर ले या अपने विवेक के आधार पर इसे कम कर दे.
उन्होंने आगे बताया, इसमें एक पेंच और है. जितने का मानहानि केस फाइल होता है, उसका 10 फीसदी कोर्ट फीस के तौर पर जमा करना पड़ता है. मान लीजिए x को लगता है कि उसकी मानहानि हुई है और वह 10 करोड़ का केस करता है. ऐसे में उसे मानहानि की रकम से 1 करोड़ रुपये कोर्ट फीस भी देनी होगी. इसलिए कोई व्यक्ति चाहे कि वो कितनी भी रकम मानहानि के बदले मांग ले तो उसे ये ध्यान रखना पड़ेगा कि 10 फीसदी कोर्ट फीस भी देनी है. कुछ चर्चित केसकेस 1 - सुपरहिट हॉलीवुड फिल्म 'पाइरेट्स ऑफ कैरिबियन' वाले 'कप्तान जैक स्पैरो' यानी एक्टर जॉनी डेप के बारे में अख़बार The Sun ने लिखा कि वे अपनी पत्नी को पीटते रहे हैं. डेप ने अख़बार पर मानहानि का केस कर दिया. डेप केस हार गए क्योंकि अख़बार ने जो कुछ लिखा था, वो सही साबित हुआ. कोर्ट ने कहा कि कोई मानहानि नहीं हुई. केस 2 - 2020 में मॉडल-एक्ट्रेस पायल घोष ने अनुराग कश्यप पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. एक्ट्रेस ऋचा चड्ढा के बारे में भी टिप्पणियां की थीं. ऋचा ने पायल पर सिविल मानहानि का केस किया. पायल घोष ने ऋचा से माफी मांगी, तब जाकर केस सेटल हुआ. केस 3 - 'द वायर' वेबसाइट ने साल 2017 में एक रिपोर्ट छापी, जिसके मुताबिक- मोदी सरकार आने के बाद अमित शाह के बेटे जय शाह की कंपनी ने जमकर आर्थिक तरक्की की. जय शाह ने वेबसाइट और रिपोर्ट लिखने वाली पत्रकार पर 100 करोड़ रुपये की मानहानि का केस कर दिया. लेकिन द वायर ने अपनी रिपोर्ट के पक्ष में आते हुए माफी मांगने से साफ मना कर दिया. मामला लंबित है.

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