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दुनिया का सबसे पुराना 'स्माइली' मिल गया है

आज वर्ल्ड हैप्पीनेस डे है, तो मैडागास्कर की पेंगुइन की तरह मुस्कुरा कर हाथ हिलाओ बच्चों, मुस्कुराओ सब के सब!

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20 मार्च 2019 (Updated: 19 मार्च 2019, 04:04 IST)
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टेक्नोलॉजी के जमाने में हमारे इमोशंस भी हाईटेक हो गये हैं. अगर आपके पास स्मार्टफोन है तो इमोजी या स्माइली का मतलब खूब समझते होंगे. मूड के हिसाब से अलग-अलग इमोजी का इस्तेमाल होता है. वॉट्सएप, मेल, फेसबुक चैट हर जगह इमोजी ने कब्जा जमा रखा है. चैट में कभी-कभी सिर्फ इमोजी ही भेज देते हैं और सामने वाला समझ जाता है कि दोस्तों का मूड कैसा है. डिजिटल गप्पों, खासकर वॉट्सएप पर इसका उपयोग जमकर होता है.
पिछले 4-5 सालों से इमोजी का खूब इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन 2015 में ये कुछ ज्यादा ही फेमस हो गया. जिसके बाद 2015 में ही ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ने इसे वर्ड ऑफ द ईयर चुना. और इमोजी हो गया डिक्शनरी में शामिल. डिक्शनरी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि 2015 में लोगों ने सबसे ज्यादा हंसते-हंसते रोने वाली इमोजी का यूज किया गया था.
face with tears of joy emoji
'face with tears of joy' emoji


लेकिन वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने दुनिया की सबसे पुरानी इमोजी ढूंढ निकाली है.  1635 में इसका इस्तेमाल स्लोवाकिया के म्यूनिसिपल अकाउंट के दस्तावेज में किया गया है. वैज्ञानिकों का कहना है कि स्लोवाकिया के स्ट्रजोव माउंटेन के पास एक गांव में एक वकील ने डॉक्यूमेंट्स का रिव्यू करते हुए अपने सिग्नेचर के साथ गोला बनाकर बीच में 2 डॉट देकर एक छोटी लाइन खींच दी है. जिसका आजकल हम यूज मुस्कराने के लिए करते हैं. इस हिसाब से इमोजी लगभग 400 साल पुरानी होगी.

स्लोवाकिया के नेशनल आर्काइव के प्रमुख पीटर ब्रिंजा कहते हैं कि मैं नहीं जानता कि यह स्लोवाकिया की सबसी पुरानी इमोजी है या नहीं. लेकिन यह स्लोवाकिया के ट्रेंचीन शहर की सबसे पुरानी इमोजी है.

इमोजी का चलन आया यहां से

इमोजी जापानी शब्द है.  1990 में जापान की डोकोमो-आई-मोड मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर कंपनी ने टेक्स्ट मैसेज में इमोजी यूज करने की सुविधा दी थी. जापानी टेलीकॉम कंपनी डोकोमो के कर्मचारी शिगेताका कुरीता ने इमोजी को बनाया था. दिलचस्प बात ये है कि शिगेताका कुरीता न तो डिजाइनर थे और न कंप्यूटर इंजीनियर. उन्होंने अर्थशास्त्र की पढ़ाई की थी. जापान की डिक्शनरी में इमोजी को 1997 में ही शामिल कर लिया गया था. लेकिन ये पहली बार हुआ कि ऑक्सफोर्ड ने शब्द के अलावा पिक्टोग्राफ यानी चित्र को अपनी डिक्शनरी में जगह दी है.

आज के समय में इमोजी हमारी लाइफ का जरूरी हिस्सा सा बन गया है. हमें अपनी फीलिंग बताने के लिए लंबा-चौड़ा लिखने की जरूरत नहीं पड़ती है. अगर आप पार्टी कर रहे हैं तो बियर ग्लास की फोटो भेज देते हैं. किसी की बात से सहमत होते है तो 'थम्ब' का इस्तेमाल करते हैं. कहीं जा रहे हैं तो फ्लाइट या कार वाली इमोजी भेज देते हैं. खुशी, दुख, क्रोध, प्यार जताने से लेकर हर एक एक्शन के लिए इमोजी भरी पड़ी है. लेकिन इसके साथ-साथ इमोजी हमारी भाषा में कुछ ऐसे बदलाव भी ला रही हैं जिनके बारे में हम सोच ही नहीं पा रहे हैं.

इमोजी आपको धोखा दे सकती हैं. सामने वाला शायद बहुत दुखी हो लेकिन उसने हंसते हुई स्माइली भेज दी तो हम समझते हैं कि वो खुश है. लेकिन ऐसा होता नहीं है. अगर हम फोन या मैसेज के जरिये बात करें तो आवाज और शब्द से हम समझ जाते हैं लेकिन इमोजी से नहीं है. इमोजी भले ही नये जमाने की नई भाषा बन गई है लेकिन इसके चक्कर में हम शायद रियल फीलिंग से दूर होते जा रहे हैं.

ये शायद इमोजी का नहीं, इस पूरे डिजिटल युग का श्राप है कि हम टाइप किए शब्दों में भावनाएं खोजने को मजबूर हैं. शब्दों से आवाज नहीं आती, इमोजी के जरिए आप किसी को छू नहीं सकते. किसी पर ज्यादा प्यार आ जाए तो एक के बजाय 5 दिल बनाकर भेज सकते हैं. लेकिन अगले को समझा नहीं सकते कि उसका होना हमारे लिए कितना अनमोल है. हम अपने साथी की हर मिनट की खबर रख सकते हैं, मगर फिर भी उसके करीब नहीं रह सकते. इंसान की आवाज और स्पर्श का कोई रिप्लेसमेंट नहीं होता.
लेकिन इमोजी का महत्व कम नहीं होता. जहां टीचर पहले कॉपी में बच्चों को स्टार दिया करते थे, अब इमोजी देते हैं. इमोजी के चलते ऑफिस के बोरिंग और फॉर्मल ईमेल में भी जान आ जाती है. इमोजी बनाते रहें. :-)
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