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वो सीरियल किलर 'डॉक्टर', जो ड्राइवरों को मारने के बाद शव मगरमच्छ वाली नहर में फेंक देता था

पुलिस ने गिरफ्तार किया है. पूछताछ में उसने कहा, '50 हत्याओं के बाद गिनती करनी छोड़ दी.'

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देवेंद्र शर्मा 2002 के एक हत्या के मामले मेें 16 साल से उम्रकैद की सज़ा काट रहा था. 20 दिन की पैरोल मिलने के बाद वो वापस जेल नहीं लौटा. इसके बाद पुलिस ने उसकी तलाश शुरू की. फोटो: Twitter
देवेंद्र शर्मा 2002 के एक हत्या के मामले मेें 16 साल से उम्रकैद की सज़ा काट रहा था. 20 दिन की पैरोल मिलने के बाद वो वापस जेल नहीं लौटा. इसके बाद पुलिस ने उसकी तलाश शुरू की. फोटो: Twitter
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निशांत
30 जुलाई 2020 (Updated: 30 जुलाई 2020, 11:05 AM IST)
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करीब 50 टैक्सी ड्राइवरों की हत्या, मगरमच्छों से भरी एक नहर, गैस सिलिंडरों की चोरी, अवैध किडनी ट्रांसप्लांट का रैकेट और सबके केंद्र में एक सीरियल किलर, जो कथित तौर पर पेशे से डॉक्टर है. एक क्राइम थ्रिलर फिल्म या नॉवेल के लिए इतना प्लॉट ही काफी है.
आयुर्वेद के डॉक्टर देवेंदर शर्मा को 29 जुलाई को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया है. उस पर साल 2000 के दशक की शुरुआत में कम से कम 50 टैक्सी ड्राइवरों की हत्या में शामिल होने के आरोप हैं. यही नहीं, सबूत मिटाने के लिए इनकी डेडबॉडी मगरमच्छों से भरी नहर में फेंक दी जाती थी. नकली गैस एजेंसी चलाने जैसे छोटे अपराधों से लेकर अवैध किडनी ट्रांसप्लांट और फिर हत्याओं तक, उसके क्राइम का ग्राफ बढ़ता चला गया.
उस दौर की कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जाता है कि वो 100 से ज़्यादा हत्याओं में शामिल रहा है. उस पर दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान में कई मामले दर्ज रहे हैं. इंडियन एक्सप्रेस
  
की रिपोर्ट के मुताबिक, इस पर देवेंद्र शर्मा कहता है कि 50 हत्याओं के बाद उसने गिनती करनी छोड़ दी.
जेल वापस नहीं गया
देवेंद्र शर्मा जयपुर की सेंट्रल जेल में उम्रकैद की सज़ा काट रहा था. छह महीने पहले 20 दिनों के लिए परोल पर बाहर आया था, लेकिन उसने इसका उल्लंंघन किया और गायब हो गया. दिल्ली पुलिस के मुताबिक, 62 साल के देवेंद्र शर्मा को दिल्ली के बापरौला में उसके घर से गिरफ्तार किया गया.
डीसीपी (क्राइम ब्रांच) राकेश पवेरिया ने कहा,
जयपुर में परोल का उल्लंघन करने के बाद वो अपने गांव चला गया. इसके बाद दिल्ली आया, जहां उसने एक महिला से शादी की, जिसका पति गुज़र चुका था. इसके बाद वो बापरौला में रहने लगा. उसने प्रॉपर्टी का बिजनेस शुरू किया. जयपुर के एक आदमी को कनॉट प्लेस में ज़मीन बेचने को लेकर बिचौलिए का काम किया. ये भी एक घोटाला था.
डीसीपी ने कहा,
इलाके के वांछित अपराधियों की जानकारी इकट्ठा करने के बाद दिल्ली पुलिस के एक इंस्पेक्टर को शर्मा की जानकारी मिली कि वो बापरौला में रह रहा है. हमें एक हफ्ते पहले ये जानकारी मिली. एक टीम उसकी तलाश में लगाई गई.
देवेंद्र शर्मा ने नकली गैस एजेंसी के ज़रिए अपराध की दुनिया में कदम रखा था. फोटो: India Today
देवेंद्र शर्मा ने नकली गैस एजेंसी के ज़रिए अपराध की दुनिया में कदम रखा था. फोटो: India Today
'50 के बाद गिनना छोड़ दिया'
पुलिस ने कहा कि वो बहुत शांत था और उसने भागने की कोशिश नहीं की. उससे पूछताछ शुरू की गई. जब उससे पुरानी मीडिया रिपोर्ट्स के बारे में पूछा गया कि वो 100 से ज़्यादा हत्याओं में शामिल रहा है, इस पर उसने पुलिस को जवाब दिया,
'मैंने 50 के बाद गिनना छोड़ दिया...100 हो सकता है. याद रखना आसान नहीं है.'
11 लाख का नुकसान और अपराध की दुनिया में एंट्री
दिल्ली पुलिस के मुताबिक, देवेंद्र शर्मा उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ का रहने वाला है. उसने बिहार के सीवान से बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी (BAMS) की डिग्री हासिल की. उसने राजस्थान के जयपुर में 1984 में एक क्लीनिक खोला- जनता हॉस्पिटल एंड डायग्नोस्टिक्स, जो अगले 11 साल चला.
'इंडिया टुडे' की रिपोर्ट के मुताबिक, 1994 में भारत फ्यूल कंपनी की तरफ से गैस डीलरशिप का एक ऑफर दिया गया. गैस डीलरशिप लेने के लिए देवेंद्र शर्मा ने 11 लाख रुपए निवेश कर दिए. अचानक वो कंपनी गायब हो गई और निवेशकों के साथ धोखाधड़ी हो गई. देवेंद्र के 11 लाख डूब गए. इसके बाद 1995 में उसने एक नकली गैस एजेंसी खोली. अलीगढ़ के छारा गांव में.
पहले वो लखनऊ से कुछ कुकिंग गैस लाता था, लेकिन अलीगढ़ से लखनऊ जाना उसके लिए मुश्किल था. ऐसे में वो कुछ लोगों के संपर्क में आया, जो ट्रक में लदे एलपीजी गैस सिलेंडर लूटते थे. इन सिलेंडरों को देवेंद्र की नकली गैस एजेंसी में अनलोड किया जाता था. ड्राइवर को मारकर ट्रक के पुर्ज़े मेरठ में अलग-अलग कर दिए जाते थे.
डेढ़ साल बाद उसे फेक गैस एजेंसी चलाने को लेकर गिरफ्तार किया गया. 2001 में उसने एक बार फिर अमरोहा में गैस एजेंसी चालू की, लेकिन फिर उसके खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया. अपनी गैस एजेंसी बंद करने के बाद वो जयपुर चला आया और यहां फिर से क्लीनिक चालू कर दिया, जो 2003 तक चला.
जयपुर में क्लीनिक चलाने के दौरान वो टैक्सी ड्राइवर को मारकर टैक्सी बेचने के धंधे में उतरा. आरोप है कि वो करीब 50 टैक्सी ड्राइवरों की हत्या का मास्टरमाइंड है. फोटो: India Today
जयपुर में क्लीनिक चलाने के दौरान वो टैक्सी ड्राइवर को मारकर टैक्सी बेचने के धंधे में उतरा. आरोप है कि वो करीब 50 टैक्सी ड्राइवरों की हत्या का मास्टरमाइंड है. फोटो: India Today

किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट
इसी दौरान वो अवैध किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट में शामिल हो गया. जयपुर, बल्लभगढ़, गुड़गांव में ये रैकेट फैला था. 2004 में उसे गुड़गांव के अनमोल नर्सिंग होम मामले में अवैध किडनी ट्रांसप्लांट के लिए गिरफ्तार किया गया. इस मामले में नर्सिंग होम चलाने वाले डॉक्टर अमित के अलावा कई डॉक्टर भी गिरफ्तार किए गए थे. पूछताछ के दौरान, उसने खुलासा किया कि 1994 से 2004 के बीच उसने 125 से ज़्यादा किडनी ट्रांसप्लांट किए और इसके लिए उसे पांच से सात लाख रुपए मिले. उसकी आपराधिक गतिविधियां देखकर 2004 में उसकी पत्नी और बच्चों ने उसे छोड़ दिया.
50 टैक्सी ड्राइवर की हत्या, मगरमच्छों की नहर और टैक्सी बेचना
वो ऐसे अपराधियों के संपर्क में भी था, जो अलीगढ़ जाने के लिए टैक्सी हायर करते थे. ड्राइवर को किसी सुनसान जगह पर मार डालते थे और गाड़ी बेच देते थे. इस अपराध में देवेंद्र शामिल हो गया. पुलिस का कहना है कि ये लोग अलीगढ़ के रास्ते में कासगंज की हज़ारा नहर में शव फेंक देते थे. इस नहर में मगरमच्छ थे. इससे सबूत गायब हो जाते थे. देवेंद्र कासगंज में टैक्सी बेच देता था या मेरठ में उसके पुर्जे खुलवा देता था. उसे 25,000 रुपए प्रति वाहन मिलते थे. देवेंद्र की गिरफ्तारी के बाद वो लोग भी गिरफ्तार हुए, जिन्होंने उससे गाड़ियां खरीदी थीं. कहा गया कि वो ऐसे 50 टैक्सी ड्राइवरों की हत्या का मास्टरमाइंड था.
16 साल की जेल, पैरोल और गिरफ्तारी
दिल्ली पुलिस डीसीपी (क्राइम ब्रांच) ने बताया कि उसे 2002-04 में कई हत्या के मामलों में गिरफ्तार किया गया था और छह-सात मामलों में दोषी पाया गया. 2002 के एक ड्राइवर की किडनैपिंग और हत्या मामले में उसे उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई थी. 16 साल जयपुर सेंट्रल जेल में रहने के बाद उसे 20 दिनों की परोल पर छोड़ा गया था. उसका कहना है कि वो दिल्ली आया, क्योंकि वो नया जीवन शुरू करना चाहता था और शांति से जीना चाहता था.
राजस्थान जेल की ऐडिशनल डीजी मालिनी अग्रवाल ने कहा,
उसे 28 जनवरी को पैरोल दी गई थी और 16 फरवरी को उसे वापस आना था, लेकिन वो अलीगढ़ चला गया और वापस नहीं आया. परोल ज़िला कलेक्टर ने कई सारे वेरिफिकेशन के बाद दी थी और उसे जेल में व्यवहार के आधार पर परोल दी गई थी. उसे दिल्ली में गिरफ्तार कर लिया गया है और वो तिहाड़ जेल में है.
जयपुर पुलिस को गिरफ्तारी के बारे में सूचित कर दिया गया है और उसे कोर्ट के सामने पेश किया जाएगा.


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