The Lallantop
Advertisement

नई पेंशन में ऐसा क्या तिकड़म है, जो अब कांग्रेस के बाद AAP ने भी पुरानी वाली लागू करने को कहा है?

छत्तीसगढ़, राजस्थान और झारखंड के बाद अब पंजाब सरकार ने पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने को कहा है.

Advertisement
ops-vs-nps
गहलोत सरकार ने राजस्थान के सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम बहाल कर दी थी. (फोटो - PTI)
pic
सोम शेखर
21 सितंबर 2022 (Updated: 21 सितंबर 2022, 09:52 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

पंजाब (Punjab) में आम आदमी पार्टी सरकार पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) लागू करने वाली है. इस संदर्भ में 19 सितंबर को मुख्यमंत्री भगवंत मान ने घोषणा की थी कि उनकी सरकार OPS को वापस लाने पर विचार कर रही है. इसके लिए उन्होंने अपने मुख्य सचिव से स्कीम को लागू करने की व्यावहारिकता और तौर-तरीकों को समझने के लिए कहा है.

पंजाब चौथा राज्य है, जो ओपीएस बहाल करने पर विचार कर रहा है. छत्तीसगढ़ पहला राज्य था. इसके बाद झारखंड और राजस्थान ने भी पुरानी व्यवस्था लागू करने की घोषणा की. लेकिन सवाल ये है कि NPS और OPS में अंतर क्या है?

क्या अंतर है?

पेंशन स्कीम असल में एक तरह की बचत योजना है, जो रिटायरमेंट के बाद काम आती है. 2004 से पहले भर्ती हुए कर्मचारियों को पेंशन के लिए एक भी पैसा देना नहीं पड़ता था. नौकरी के आख़िरी महीने में जो भी तनख़्वाह मिलती थी, उसी का आधा (50%) पेंशन बन जाता था. माने अगर आपकी लास्ट सैलरी एक लाख है, तो आपको हर महीने 50,000 रुपये पेंशन मिलेगी.  

फिर सरकार लाई नई स्कीम. NPS. नेशनल पेंशन स्कीम. 31 दिसंबर, 2004 के बाद जिन भी सरकारी कर्मचारियों की भर्ती हुई, केंद्र सरकार ने तय किया कि उनकी बेसिक सैलरी में से हर महीने 10% काटा जाएगा. पेंशन के लिए. सरकार ने तय किया कि जितनी रकम कर्मचारियों का कटती है, उतनी ही रक़म सरकार की ओर से भी जमा की जाएगी. हालांकि, बाद में मोदी सरकार ने सरकार का हिस्सा 10 से बढ़ाकर 14 फीसदी कर दिया.

जब ये योजना शुरू हुई, तो केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए डिज़ाइन की गई थी. फिर 2009 में इसे भारत के सभी नागरिकों के लिए खोल दिया गया.

आम तौर पर सरकारी स्कीम्स में या एफ़डी वग़ैरह में एक निश्चित ब्याज़ मिलता है. ये सिस्टम भी बदला. तय हुआ कि NPS में जमा होने वाले पैसों पर कोई निश्चित ब्याज़ नहीं मिलेगा. बल्कि इन पैसों को बाज़ार में लगाया जाएगा. अलग-अलग स्कीम्स के तहत. इक्विटी, डेट या सराकारी बॉन्ड्स में. तो इस चक्कर में पेंशन के पैसे पर रिस्क आ गया. अब ये तो बाज़ार का बेसिक नियम है. जितना रिटर्न का चांस, उतना ही रिस्क.

तो इससे सीधे तौर पर कोर्पस पर असर पड़ेगा. कोर्पस बोले तो इकट्ठा हुए पैसे. NPS के तहत,

कोर्पस = आपका योगदान + सरकार का योगदान +/- मार्केट ने इसपर जो रिटर्न दिया.
(ग़ौर से पढ़िए: +/- मार्केट का रिटर्न)

अब सवाल है कि हमारी तरफ़ से हमारा पैसा लगाता कौन है? इसके लिए एक फंड मैनेजर है. PFRDA. पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी. वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली एक स्वायत्त संस्था. यही तय करती है कि आपका वेरियेबल अमाउंट, जो मार्केट में लगाया जाएगा, वो कैसे लगाया जाएगा. किस स्कीम के तहत लगाया जाएगा. तो कर्मचारियों को दिक़्क़त इतनी भर नहीं है कि हर महीने पैसे कटवाने पड़ रहे हैं. दिक़्क़त ये भी है कि रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली रक़म भी बहुत कम होगी. महंगाई जैसे फ़ैक्टर्स ध्यान में रखेंगे, तो OPS और NPS में मिलने वाली पेंशन में बहुत अंतर है.

कोर्पस से जुड़ा एक और पॉइंट है. जैसे OPS में आपकी मासिक पेंशन आपकी आख़िरी तनख़्वाह पर आधारित थी, इस स्कीम में कोर्पस पर आधारित होता है दूसरे पहलू पर. ये पहलू है कि 60 वर्ष की उम्र में जो पैसा या कोर्पस बनेगा, उसी से आपकी रिटायरमेंट के बाद का मासिक वेतन तय होगा. आप इस अमाउंट का 60% तक एकमुश्त निकाल सकते हैं. बचा 40%, मासिक पेंशन में कन्वर्ट कराना पड़ता है. इस 40% हिस्से को एन्यूटी कहते हैं.

पुरानी स्कीम में पेंशन सीधे सरकार देती थी. नई वाली का हिसाब-किताब अलग है. सात इंश्योरेंस कंपनीज़ हैं, जिनमें से पेंशनर किसी एक का पेंशन प्लान चुन सकता है. 

# LIC पेंशन फंड लिमिटेड
# SBI पेंशन फंड्स प्राइवेट लिमिटेड
# UTI रिटायरमेंट समाधान लिमिटेड
# HDFC पेंशन मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड
# ICICI प्रूडेंशियल पेंशन फंड मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड
# कोटक महिंद्रा पेंशन फंड लिमिटेड
# आदित्य बिड़ला सनलाइफ पेंशन मैनेजमेंट लिमिटेड

अब आख़िरी बात. जब इस स्कीम में नुक़सान ही नुक़सान है, तो ये स्कीम क्यों? दरअसल, पुरानी पेंशन स्कीम राज्य के लिए एक नुक़सान का सौदा है. ट्रेज़री पर बोझ है. सामाजिक तौर पर तो वेलफ़ेयर है, लेकिन इसकी आर्थिक व्यावहारिकता एक बहुत बड़ा क्वेश्चन मार्क है. इसीलिए CM मान साहब ने अपने सचिव को इसकी व्यावहारिकता का अध्ययन करने के लिए कहा है.

टैक्स सेविंग के बावजूद कर्मचारियों को NPS पसंद क्यों नहीं आया?

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement