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पैसा लेकर उड़ते प्लेन से कूद गया, कहानी DB कूपर की, जिसे FBI आज तक नहीं ढूंढ पाई

अमेरिका में एक शख्स ने प्लेन हाइजैक कर लिया. और बदले में दो लाख डॉलर की डिमांड की. अमेरिका ने उसकी मांग मान ली. पैसै भी दे दिए. उसके बाद हाइजैकर प्लेन से बाहर कूद गया. इसके बाद शुरू हुई उसकी तलाश जो आज भी जारी है. क्या कैसे हुआ? सब जानिए

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DB कूपर केस अमेरिकी इतिहास का बहुत ही फेमस केस है.
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कमल
8 जून 2024 (Updated: 8 जून 2024, 02:37 PM IST)
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काला सूटकेस लिए एक शख्स प्लेन में चढ़ता है. और बिना एक भी शब्द बोले, प्लेन हाईजैक कर लेता है. उसकी मांग - दो लाख डॉलर, वरना वो प्लेन को बम से उड़ा देगा. सरकार हरकत में आती है. प्लेन को उतारा जाता है और लोगों की जान बचाने के लिए पैसे पहुंचा दिए जाते हैं. हालांकि एक और चीज थी, जो हाईजैकर ने मांगी थी - पैराशूट. प्लेन एक बार फिर टेक ऑफ करता है. हाईजैकर पायलट से कहता है, प्लेन को मेक्सिको ले चलो. पायलट कहता है - फ्यूल कम है. रिफ्यूलिंग के लिए एक बार फिर उतरना होगा. हाईजैकर मान जाता है. लेकिन इससे पहले कि प्लेन ईंधन भरने के लिए लैंड करता. बीच हवा में प्लेन का दरवाजा खुलता है. पैराशूट बांधकर हाईजैकर बीच हवा में प्लेन से छलांग लगा देता है. और गायब हो जाता है. लगभग 50 साल की तहकीकात के बाद दुनिया के सबसे ताकतवर देश की एजेंसी के पास सिर्फ एक नाम बचता है - DB कूपर.

हाइजैकिंग की अनसुलझी कहानी

आज हम आपको सुनाएंगे कहानी अमेरिकी इतिहास की इकलौती हाईजैकिंग की, जो आज तक सुलझ नहीं पाई. कहानी शुरू होती है 24 नवंबर, 1971 की तारीख से. अमेरिका के पोर्टलैंड शहर के एयरपोर्ट पर एक आदमी आता है. और काउंटर से सिएटल जाने वाली फ्लाइट का टिकट लेता है. और अपना नाम बताता है डैन कूपर. 40 की उम्र. काले बाल, भूरी आंखें, एक भूरा सूट, सफ़ेद शर्ट, काले रंग की एक पतली सी टाई, एक रेनकोट और भूरे जूते- ये उस आदमी का हुलिया था. हाथ में एक काला सूटकेस लिए वो जाकर सीधे अपनी सीट पर बैठ जाता है. टेक ऑफ करते ही वो फ्लाइट अटेंडेंट से एक ड्रिंक मंगाता है. एक बर्बन और 7 अप की एक बोतल. ड्रिंक पीने के बाद, वो आंख मूंद कर बैठ जाता है. और फ्लाइट अपने गंतव्य की ओर बढ़ जाती है. फ्लाइट में क्रू और यात्रियों को मिलाकर कुल 42 लोग सवार थे.

दोपहर 2 बजकर पचास मिनट पर टेक ऑफ के कुछ देर बाद डैन कूपर ने एक बार फिर फ्लाइट अटेंडेंट को बुलाया. और उसे एक कागज़ थमाया. एयर होस्टेस ने कागज़ खोला उसमें लिखा था मेरे पास बॉम्ब है. मैं चाहता हूं, तुम मेरे पास बैठ जाओ.

एयर होस्टेस जैसे ही कूपर के बगल में बैठी. कूपर ने अपना सूटकेस खोलकर दिखाया. उसमें लाल रंग के दो सिलेंडर, कुछ तार और बटन थे. दिखने में बम जैसा ही लग रहा था. इससे पहले आप सोचें कि कूपर ये सब लेकर प्लेन के कैसे चढ़ गया. तो ये उस दौर की बात है. जब प्लेन की हवाई यात्रा के लिए इतनी कड़ी चेकिंग नहीं होती थी. अमेरिका में भी नहीं.

बहरहाल कूपर ने अपना सूटकेस बंद किया. और एयर होस्टेस को अपनी कुछ मांगे बताई. उसकी मांग थी - दो लाख डॉलर और चार पैराशूट. पैसों के मामले में उसकी खास शर्त थी कि सारा पैसा 20 डॉलर के बिल में होने चाहिए.

एयर होस्टेस ने ये बात जाकर प्लेन के पायलट को बताई. पायलट नहीं चाहता था कि कोई पैनिक करे इसलिए बाकी यात्रियों की इसकी कोई खबर नहीं दी. एयर होस्टेस को कूपर ने पैसे मंगाने का पूरा प्लान भी बताया. जो कुछ इस प्रकार था,

प्लेन अपने गंतव्य सिएटल पर उतरेगा, वहां एक फ्यूल ट्रक प्लेन को रिफ्यूल करेगा. एयर होस्टेस बाहर जाकर पैसे और पैराशूट अंदर ले आएगी. इसके बाद यात्रियों को उतार दिया जाएगा. और प्लेन एक बार फिर टेक ऑफ करेगा.

क्रेडिट- इंडिया टुडे
हाइजैकर की मांग मान ली गई

कूपर की ये मांग पायलट ने ATC तक पहुंचाई. और वहां से ये मामला गया FBI के पास. दोबारा बता दें, ये वो अमेरिका नहीं था, जो आतंकियों से नेगोशिएट नहीं करता. तब FBI ने यात्रियों की जान बचाने के लिए कूपर को पैसे भी भिजवाए. और पैराशूट भी. जैसे कूपर की मांग थी. पूरा पैसा 20 डॉलर के बिल में था. और हर नोट का सीरियल नंबर L से शुरू होता था. पैसे देने से पहले FBI ने सारे नंबर नोट करके रख लिए. ताकि नोटों की शिनाख्त कर बाद में हाईजैकर को पकड़ा जा सके.

ये पैसा जैसे ही कूपर तक पंहुचा, वो सभी यात्रियों को छोड़ने के लिए राजी हो गया. यात्री विमान से उतर गए. हालांकि उन्हें अभी इस बात का इल्म नहीं था कि हाईजैकिंग हुई है. ये बात उन्हें प्लेन से उतरने के बाद पता चली. वहीं दूसरी तरफ कूपर ने यात्रियों को छोड़ने के बाद पायलट से कहा कि वो प्लेन को एक बार फिर टेक ऑफ करे. अबकी बार उसके साथ फ्लाइट में सिर्फ क्रू मेंबर थे. टेक ऑफ के बाद कूपर ने पायलट से प्लेन को मेक्सिको ले जाने को कहा. पायलट ने उसे जवाब दिया कि प्लेन में इतना फ्यूल नहीं है. पायलट ने उसे समझाया कि बीच में एक बार रिफ्यूलिंग के लिए उतरना होगा. कूपर मान गया. पायलट उम्मीद में था कि रीफ्यूलिंग के लिए उतरते वक्त कूपर को शायद पकड़ लिया जाए. लेकिन कूपर का असली प्लान क्या था, इस बात से कूपर के अलावा सभी अनजान थे.

प्लेन के उड़ान भरने के कुछ ही मिनट का वक्त बीता था कि कूपर ने एयर होस्टेस को एक बार फिर बुलाया. और उससे कहा कि वो प्लेन से उतरने वाली सीढ़ी खोल दे. एयर होस्टेस ने समझाया कि दरवाजा खोलते ही सब लोग हवा के प्रेशर से बाहर खींच लिए जाएंगे. लेकिन कूपर अपनी मांग पर अड़ा रहा. एयर होस्टेस ने कहा कि वो खुद को एक सीट से बांधना चाहती है. ताकि वो प्लेन के बाहर न चले जाए. तब कूपर ने कुछ सोचा और उससे कॉकपिट के अंदर जाने को कहा. इसके बाद उसने खुद प्लेन का दरवाजा खोला. और पैराशूट बांधकर प्लेन से बाहर कूद गया. प्लेन का पूरा क्रू इस बात से अनजान था. उन्होंने कूपर को आवाज देकर एक दो बार पूछने की कोशिश भी की. लेकिन कोई जवाब नहीं आया. पायलट ने प्लेन को रेनो नाम की जगह पर लैंड कराया. जैसे ही प्लेन लैंड हुआ. सुरक्षा फोर्सेस ने उसे घेर लिया. वो प्लेन के अंदर घुसे और उसकी पूरी चेकिंग की. लेकिन कूपर गायब था. साफ़ था कि कूपर बीच फ्लाइट, पैराशूट पहनकर प्लेन से कूद गया था. लेकिन वो गया कहां, और वो था कौन? ये सवाल अब जांच एजेंसियों के सामने थे.

DB कूपर केस की पहेली

हाईजैकर ने अपना नाम डैन कूपर बताया था. लेकिन ये ही उसकी असली पहचान थी या नहीं, ये भी पक्का नहीं है. कूपर के फिंगरप्रिंट से भी उसकी पहचान नहीं हो पाई. पुलिस ने यात्रियों और क्रू से बातचीत कर उसका हुलिया पता करने की कोशिश की. कुछ संदिग्ध लोगों से पूछताछ शुरू की. पूछताछ किए जाने वाले लोगों में एक का नाम DB कूपर था. DB कूपर असली अभियुक्त नहीं था. पुलिस ने जल्द ही उसे शक के घेरे से भी हटा दिया. लेकिन जब तक ये होता, ये मामला हाई प्रोफ़ाइल बन चुका था. प्रेस में इस केस से जुडी ख़बरें छपीं. और इसी सिलसिले में DB कूपर का नाम भी प्रेस में आ गया. DB कूपर डैन कूपर नहीं था. लेकिन प्रेस ने उसका नाम इतना उछाला. कि यहां से आगे ये केस DB कूपर केस के नाम से ही फेमस हो गया. आज भी ये अमेरिकी इतिहास का एक बहुत ही फेमस केस है. जिसे सब DB कूपर केस के नाम से जानते हैं.

बहरहाल मीडिया की कारस्तानियों से आगे बढ़ते हुए जानते हैं, इस केस में आगे हुआ क्या? कई लोगों से पूछताछ के बाद भी जब कोई सुराग नहीं मिला. पुलिस ने कूपर के जम्प करने का एरिया पहचान कर 50 किलोमीटर के एरिया में खोज शुरू कर दी. कई दिनों तक खोज चलती रही. लेकिन कूपर का कुछ अता-पता नहीं चला. उसके पैराशूट का भी कहीं कोई निशान नहीं था.

कूपर को पकड़ने के लिए FBI ने एक सिमुलेशन भी करके देखा. एक 91 किलो का बक्सा हवा से फेंका गया. ठीक वैसे ही जैसे कूपर कूदा था. हालांकि इससे भी कोई मदद नहीं मिली. FBI ने सारे तरीके आजमाए. उसके स्केच बनाकर जारी किए, लेकिन कोई तरकीब काम नहीं आई.

अंत में FBI के पास सिर्फ एक उम्मीद बची थी. वो पैसे जो फिरौती के रूप में कूपर को दिए थे. उन रुपयों के सीरियल नंबर का पूरा लेखा जोखा FBI के पास था. कहीं भी उन्हें खर्च किया जाता, FBI को तुरंत पता चल जाता. FBI ने ये नंबर पब्लिक में भी जारी कर दिए. लेकिन कभी, कहीं इन पैसों के खर्च होने की बात सामने नहीं आई?

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फिर ये पैसे गए कहां?

कूपर के गायब होने के मामले को 9 साल बीत गए. मामला प्लेन हाईजैकिंग का था. इसलिए FBI ने जांच जारी रखी. लेकिन सब मानकर चल रहे थे कि कूपर की मौत हो गई होगी. जिस एरिया में वो कूदा, वहां घने जंगल थे. और गवाहों के अनुसार उसके पास स्काई डाइविंग के लिए सही कपड़े और औजार नहीं थे. इस बात की बहुत संभावना थी कि कूपर की मौत हो गई.

लेकिन फिर साल 1980 में FBI को ऐसा सुराग मिला, जिसने इस केस में एक बार फिर जान फूंक दी. फरवरी की एक सुबह आठ साल का ब्रायन एक नदी के पास खेल रहा था. जब अचानक उसे रेत के नीचे नोटों की तीन गड्डियां दिखाई दीं. ब्रायन ने ये बात अपने पिता को बताई. मामला पुलिस और वहां से FBI के पास पहुंचा. पता चला कि ये वही नोट थे, वो डैन कूपर को दिए गए थे. नोट फटे गले थे लेकिन गड्डियां ज्यों की त्यों थी. और उन्हें खोला तक नहीं गया था. ये पैसे कोलंबिया नाम की नदी के किनारे मिले थे. इसलिए थियोरी बनी कि कूपर जहां कूदा वहां से बहते हुए ये पैसे ब्रायन के पास तक पहुंचे होंगे.

लेकिन फिर थोड़ी और तहकीकात के बाद पता चला कि कोलंबिया नदी का बहाव उल्टी तरफ था. यानी जहां कूपर कूदा, वहां से पैसे ब्रायन तक पहुंचने के लिए उन्हें उल्टी दिशा में बहना होता. जो कि संभव ही नहीं था.

कूपर का केस लगातार उलझता रहा. पुलिस ने सैकड़ों संदिग्धों से पूछताछ की. लेकिन डैन कूपर की पहचान नहीं हुई. हां कुछ नकली डैन कूपर जरूर पैदा हो गए. डैन कूपर हाईजैकिंग के अगले ही साल अमेरिका में 31 हाईजैकिंग हुईं. इनमें 15 मामले ऐसे थे, जिनमें हाईजैकर ने डैन कूपर की माफिक अपने लिए पैराशूट मांगे थे. ये सभी लोग पकड़े गए, लेकिन डैन कूपर नहीं पकड़ा गया.

डैन कूपर का क्या हुआ?

FBI ने कुल 45 साल तक इस मामले की तहकीकात की. लेकिन डैन कूपर कौन था, और वो गया कहां, इसका पता कभी नहीं चल पाया. साल 2016 में FBI ने ये केस ठंडे बस्ते में डाल दिया. बची तो सिर्फ कुछ थियोरीज़. मसलन FBI ने कूपर की एक प्रोफ़ाइल बनाई थी. जिसके अनुसार संभवतः वो मिलिट्री में काम कर चुका था. इसलिए स्काई डाइविंग से अच्छी तरह परिचित था. प्लेन से कूदने से पहले एयर होस्टेस ने उससे पूछा था, 

क्या तुम्हें इस प्लेन कंपनी से बदला लेना है

तब कूपर ने जवाब दिया,

इस कंपनी से नहीं

कूपर के जवाब से पता चलता है कि वो बहुत लम्बे समय से इस हाईजैकिंग की प्लानिंग कर रहा था. अब सवाल है कि क्या कूपर मर गया था? ये भी पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता. FBI रिपोर्ट के अनुसार जहां कूपर कूदा था. उसी दिन उस जगह से कुछ दूर किसी शख्स ने एक दुकान लूटी थी. चश्मदीदों के अनुसार हालांकि वो शख्स कूपर वाली घटना के कुछ घंटे के बाद ही दुकान में आया था. खाने का कुछ सामान, और मरहम पट्टी- सिर्फ यही चीजें वो लेकर गया था. क्या ये डैन कूपर था? इस बारे में भरोसे से कुछ नहीं कहा जा सकता.

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लेकिन कूपर की कहानी ऐसी कतरने सालों से जमा होती रही हैं. अमैच्योर जासूस सालों से कूपर को ढूंढ रहे हैं. इनमें से एक शख्स ने कूपर की टाई के परीक्षण से पता लगाया कि उसमें टाइटेनियम के अवशेष थे. जिसका मतलब था वो मनुफैक्रिंग के क्षेत्र में काम करता था. लगभग हर साल कोई न कोई ये दावा करता है कि DB कूपर की पहचान खुल गई है. पर असलियत यही है कि DB कूपर कौन था, ये अमेरिकी इतिहास की एक अबूझ पहेली है. जिसे शायद कभी न सुलझाया जा सकेगा. इस केस के बारे में और जानना चाहते हैं तो, नेटफ्लिक्स की एक मिनी सीरीज रेकमेंड करते हैं आपको. जिसका नाम है- DB cooper where are you. आप चाहें तो देख सकते हैं. 

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