The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Lallankhas
  • Bofors 2.0: India’s Legendary Kargil Gun Gets New Engine Power

बोफोर्स तोप: सरकार हिलाने से लेकर कारगिल में दुश्मन पर कहर बरपाने वाली होवित्जर का नया अवतार

Bofors 2.0 Booms: राजीव गांधी सरकार के पतन का कारण बनी और Kargil War में Pakistan की सेना का काल साबित हुई, भारतीय सेना की बोफोर्स तोप को नया Cummins इंजन मिल गया है.

Advertisement
Bofors 2.0
अपग्रेडेशन के बाद बोफोर्स की मारक क्षमता बढ़ जाएगी (फोटो- इंडियन आर्मी)
pic
दिग्विजय सिंह
17 सितंबर 2025 (Updated: 17 सितंबर 2025, 01:10 PM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

भारतीय सेना की आर्टिलरी को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है. कभी कारगिल युद्ध में निर्णायक भूमिका निभाने वाली FH-77B Bofors होवित्ज़र तोपें अब नए अवतार में लौट रही हैं. सेना के कॉर्प्स ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स (EME) ने इन दिग्गज तोपों को आधुनिक Cummins इंजन से री-पावर कर दिया है. यही इंजन पहले से ही स्वदेशी 155 मिमी धनुष होवित्ज़र में इस्तेमाल हो रहा है.

क्यों ज़रूरी था ये अपग्रेड?

बोफोर्स तोपों में लगे पुराने Volvo B20 इंजन अब बंद हो चुके थे और उनके स्पेयर पार्ट्स मिलना बेहद मुश्किल हो गया था. नतीजा ये हुआ कि इन तोपों की रिलायबिलिटी, ईंधन दक्षता और रखरखाव पर असर पड़ने लगा था. नए Cummins इंजन लगाने से बोफोर्स तोपों में कई बदलाव देखने को मिलेंगे. जैसेकि बेहतर फ्यूल एफिशिएंसी, आसान मेंटेनेंस और ज्यादा भरोसेमंद परफॉर्मेंस मिल गया है.

Bofors
बोफोर्स के अपग्रेडेशन की जरूरत लंबे समय से महसूस हो रही थी (फोटो- Indian Army)
‘Bofors 2.0’ कैसे बना?

डिफेंस पोर्टल इंडियन डिफेंस न्यूज़ की खबर के मुताबिक इस अपग्रेड के लिए तोपों के इंजन माउंट्स, हाइड्रोलिक और कंट्रोल सिस्टम्स को दोबारा इंजीनियर करना पड़ा ताकि नया इंजन पुरानी तोप के साथ बिना रुकावट काम कर सके. इसके बाद 506 आर्मी बेस वर्कशॉप में फील्ड ट्रायल और फायरिंग टेस्ट किए गए. नतीजा—तोपें अब ज्यादा दमदार, ज्यादा फुर्तीली और ऑपरेशनल तौर पर भरोसेमंद साबित हुईं.

सेना को मिलेगा क्या फायदा?

सवाल ये है कि बोफोर्स तोपों के अपग्रेडेशन से सेना को हासिल क्या हुआ. इसके एक नहीं कई जवाब हैं.

लॉजिस्टिक्स आसान- अब बोफोर्स और धनुष दोनों में एक जैसा इंजन होगा, जिससे स्पेयर पार्ट्स और ट्रेनिंग में आसानी होगी.

तेज़ तैनाती- तोपें छोटे-छोटे मूव खुद कर पाएंगी, जिससे ऊंचाई वाले इलाकों और रेगिस्तान में इन्हें तैनात करना आसान होगा.

लाइफ एक्सटेंशन- 1980 के दशक में शामिल हुईं इन तोपों की उम्र बढ़ जाएगी, जब तक कि धनुष और ATAGS जैसी अगली पीढ़ी की तोपें पूरी तरह शामिल नहीं हो जातीं (लगभग 2030 तक).

bofors
बोफोर्स को अपग्रेडेशन से नई ताकत मिलेगी (फोटो- इंडिया टुडे आरकाइव)
बोफोर्स का नया सफर

कारगिल से लेकर मौजूदा समय तक बोफोर्स तोप भारतीय सेना की रीढ़ की हड्डी रही है. लेकिन अब तकनीकी अपग्रेड के बाद इसे सही मायनों में Bofors 2.0 कहा जा रहा है. ये पहल साफ दिखाती है कि भारतीय सेना पुराने हथियारों को भी नई तकनीक से लैस कर, युद्धक्षेत्र में हर हाल में तैयार रहना चाहती है.

संक्षेप में कहें तो, Cummins इंजन से लैस ‘Bofors 2.0’ सिर्फ एक अपग्रेड नहीं, बल्कि भारतीय आर्टिलरी की आधुनिकीकरण यात्रा का बड़ा माइलस्टोन है.

ये भी पढ़ें- AI, लेजर और हाइपरसोनिक तकनीक: भारत के 5 फ्यूचर हथियार जो बदल देंगे जंग का अंदाज़

बोफोर्स तोप: इतिहास, ताकत और विवाद

बोफोर्स तोप का भारत में अपना इतिहास रहा है. ऐसा इतिहास, जिसमें विवाद भी हैं और गौरव भी. इस तोप ने एक भारतीय प्रधानमंत्री की कुर्सी हिलाई. तो वहीं दूसरी तरफ इसी तोप ने एक पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के दुस्साहस का करारा जवाब भी दिया.

बोफोर्स का भारत से नाता कैसे जुड़ा?

बोफोर्स FH-77B स्वीडन की बनी 155 मिमी/39 कैलिबर हॉवित्ज़र तोप है. इसे भारत ने 1980 के दशक में खरीदा था. ये तोप तीव्र फायरिंग रेट, लंबी मारक क्षमता और मुश्किल इलाकों में तैनाती की आसानी के लिए मशहूर है.

Bofors
कारगिल में बोफोर्स ने अपना लोहा मनवाया था (फोटो- इंडिया  टुडे आरकाइव)
बोफोर्स की खूबियां?

कारगिल युद्ध (1999) में बोफोर्स ने दुश्मन के ठिकानों को तबाह करने में निर्णायक भूमिका निभाई. इसकी ताकत और भरोसेमंद परफॉर्मेंस ने भारतीय सेना को बड़ी बढ़त दी.

  • 30 किमी से ज्यादा मारक रेंज
  • तेज़ और सटीक फायरिंग
  • ऊंचाई वाले इलाकों में भी आसान ऑपरेशन
क्या विवाद हुआ था?

बोफोर्स तोप की खरीद में घोटाले के आरोप लगे थे. 1980 के दशक के आखिर में सामने आए इस कथित रिश्वतकांड ने देश की राजनीति को हिला दिया था. लंबे समय तक ये मामला चर्चा में रहा, लेकिन युद्धक्षेत्र में बोफोर्स की परफॉर्मेंस ने सभी आलोचनाओं को पीछे छोड़ दिया.

यही वजह है कि बोफोर्स आज भी भारतीय सेना के लिए लिजेंडरी गन मानी जाती है और अब इसके Bofors 2.0 अवतार ने इसे नए युग के लिए तैयार कर दिया है.

वीडियो: अरुण जेटली के हाथों से ही होकर गुजरे थे बोफोर्स स्कैम जांच के कागज़ात

इस पोस्ट से जुड़े हुए हैशटैग्स

Advertisement