किस रिपोर्ट पर गौतम गंभीर ने जलेबी का बदला लिया और केजरीवाल आगबबूला हो गए?
और सब कह रहे राजनीति मत करो...
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बीआईएस की पानी पर आई रिपोर्ट पर केजरीवाल नाराज हैं. राजनीति का आरोप लगाया है.
BIS. ब्यरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स. हिंदी में भारतीय मानक ब्यूरो. जैसा कि नाम से ही लग रहा है ये संस्था किसी भी सामान का स्टैंडर्ड यानी मानक बताती है. आपने अकसर सुना होगा फलाने सामान पर आईएसआई या आईएसओ का मार्क देख लें, तभी लें. तो ये वही वाली संस्था है. बस नाम बदल गया. अपडेटेड वर्जन मान लीजिए. तो इस संस्था ने फिलहाल जांचा है पानी. पीने वाला पानी. देश के मेट्रो शहरों और कुछ प्रदेशों की राजधानियों का. कुल 21 शहर. बाकायदा सभी जगह से सैंपल लिए. और फिर जांच रिपोर्ट जारी की. रिपोर्ट खुद केंद्रीय केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने जारी की. रिपोर्ट क्या रैंक जारी की. किस शहर का पानी सबसे प्रदूषित है? बताया कि -
पीने लायक पानी के मामले में टॉप पर है मुंबई. और नीचे से टॉप यानी सबसे गंदे पानी वाला शहर निकला देश की राजधानी दिल्ली.रैंकिंग भी जान लीजिए - मुंबई, हैदराबाद, भुवनेश्वर, रांची, रायपुर, अमरावती, शिमला, चंडीगढ़, त्रिवेंद्रम, पटना, भोपाल, गुवाहाटी, बंगलूरू, गांधी नगर, लखनऊ, जम्मू, जयपुर, देहरादून, चेन्नई, कोलकाता, दिल्लीरिपोर्ट में बताया गया कि दिल्ली से लिए गए 11 सैंपल टेस्टिंग के एक भी मानक पर खरा नहीं उतरे. जबकि मुंबई के सभी 10 सैंपल टेस्ट पास कर गए.Union Minister Ram Vilas Paswan: Mumbai tops ranking released by Bureau of Indian Standards (BIS) for quality of tap water. Delhi at the bottom, with 11 out of 11 samples failing on 19 parameters. pic.twitter.com/3nuLuXAuqw
— ANI (@ANI) November 16, 2019
चार चरण हैं जांच के -
# पहले चरण में देश की राजधानी दिल्ली से 11 सैंपल लिए गए.
# दूसरे चरण में देश के 20 राज्यों की राजधानियों से पानी के नमूने इकट्ठा किए गए. जिनका रिजल्ट आ चुका है.
# तीसरे चरण में उत्तर पूर्वी राज्यों की राजधानियों और आवास व शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा चिन्हित स्मार्ट सिटी से पानी के नमूने लेकर टेस्ट को भेजे गए हैं. रिपोर्ट 15 जनवरी 2020 तक आने की संभावना है.
# चौथे चरण में देश के सभी जिला मुख्यालयों में नल द्वारा सप्लाई किए जा रहे पीने वाले पानी के सैंपल लिए जाएंगे. इसकी रिपोर्ट अगले साल 15 अगस्त तक आएगी.

दिल्ली में पीने का पानी मिला सबसे खराब. केजरीवाल ने कहा गलत है दावा.
सवाल उठता है कि ये सैंपलिंग क्यों करवाई जा रही है?
इस बात का जवाब खुद मंत्री रामविलास पासवान ने दिया. बोले - प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) ने 2024 तक देश में हर घर में शुद्ध पेयजल मुहैया करवाने का लक्ष्य रखा है. इसी सिलसिले में दिल्ली में 11 जगहों से पीने के पानी के नमूने एकत्र किए गए थे और प्रारंभिक जांच में नमूने विफल पाए जाने के बाद हमने देश के विभिन्न शहरों में नल द्वारा आपूर्ति किए जाने वाले पानी की गुणवत्ता की जांच करवाने का फैसला लिया. केंद्रीय मंत्री ने ये भी कहा कि हमारा मकसद किसी सरकार को दोष देना या राजनीति करना नहीं है. मगर अपने देश में किसी मुद्दे पर राजनीति न हो, ऐसा कैसे हो सकता है. फिर ये तो पानी का मामला है. ऊपर से दिल्ली चुनाव भी सिर पर हैं. तो शुरू हुई राजनीति. ट्वीट पर ट्वीट आए. खुद रामविलास पासवान के साथी स्वास्थ मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने ट्वीट किया. लिखा -
फ्री पानी के नाम पर दिल्ली की जनता को ज़हर पिला रहे हैं अरविंद केजरीवाल. विकास के बड़े-बड़े दावे करने वाली आम आदमी पार्टी सरकार लोगों को साफ़ पानी तक मुहैया कराने में नाकाम रही है.हर्षवर्धन ने इधर से बाण चलाया तो केजरीवाल ने भी सामने से तीर छोड़ा. ट्वीट कर लिखा -फ्री पानी के नाम पर #दिल्ली
देश के 20 शहरों के #पानी
की जनता को ज़हर पिला रहे हैं @ArvindKejriwal
पर हुए सर्वे में दिल्ली का पानी सबसे ज्यादा जहरीला पाया गया।
विकास के बड़े-बड़े दावे करने वाली @AamAadmiParty
सरकार लोगों को साफ़ पानी तक मुहैया कराने में नाकाम रही है। pic.twitter.com/fePhjjoNtf
— Dr Harsh Vardhan (@drharshvardhan) November 17, 2019
सर, आप तो डॉक्टर हैं. आप जानते हैं कि ये रिपोर्ट झूठी है, राजनीति से प्रेरित है. आप जैसे व्यक्ति को ऐसी गंदी राजनीति का हिस्सा नहीं बनना चाहिए.ईस्ट दिल्ली के सांसद गौतम गंभीर ने भी दिल्ली सरकार पर निशाना साधा है. या कहें उनके मीटिंग छोड़ जलेबी खाने पर खड़े किए गए बवाल का बदला लिया है. अरविंद केजरीवाल से पूछते हुए लिखा -सर, आप तो डॉक्टर हैं। आप जानते हैं कि ये रिपोर्ट झूठी है, राजनीति से प्रेरित है। आप जैसे व्यक्ति को ऐसी गंदी राजनीति का हिस्सा नहीं बनना चाहिए। https://t.co/1qAPxXORcw
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) November 17, 2019
राज्य और केंद्र दोनों ही राजनीति न करने की बात कह रहे हैं. दोनों ही कर रहे हैं. करते रहेंगे. पानी कब साफ होगा. इसका जवाब मुश्किल है. हालांकि मोदीजी ने 2024 का टार्गेट रखा है. उसे भी देखा जाएगा. फिलहाल हम आपको ये भी बता देते हैं कि बीआईएस पानी की जांच कैसे करता है.जल या जलेबी?जल या जलेबी ???? @ArvindKejriwal
— Gautam Gambhir (@GautamGambhir) November 18, 2019
पानी की जांच कैसे होती है?
हमने ये जानने के लिए बीआईएस के दफ्तर में ही फोन लगा दिया. वहां हमारी बात हुई पीके मल्होत्रा से. उन्होंने इसका लंबा चौड़ा प्रोसीजर बताया. हम थोड़ा बहुत आपको भी बता देते हैं.
सबसे पहले होता है एक्सपीरियंस टेस्ट. माने पानी देखने में, महक से, टेस्ट में कैसा लगता है. इसमें छह टेस्ट होते हैं.
# पहला ऑडर टेस्ट माने महक का टेस्ट. # दूसरा कलर टेस्ट. # तीसरा टेस्ट का टेस्ट. माने पानी कड़वाहट भरा है या बढ़िया पीने लायक. # चौथा टर्बिडिटी टेस्ट. इसे मान लीजिए पानी की वो लिमिट जब तक पानी ट्रांसपैरेंट दिखता है. माने जितना पानी में सस्पेंडेड पार्टीकल्स होंगे, वो उतना ज्यादा गंदा, सफेद दिखेगा. # पांचवां टीडीएस टेस्ट. टीडीएस माने टोटल डिजॉल्व सॉलिड. # छठा पीएच टेस्ट यानी पानी एसिडिक या खारा तो नहीं.
फिर आती है कैमिकल टेस्ट की बारी - इसमें 25 तरह के टेस्ट होते हैं. इसमें देखा जाता है कि पानी में अलुमिनियम, अमोनिया, बैरियम, कॉपर, जिंक, सिल्वर, क्लोराइड, मर्करी, फ्लोराइड, आइरन, मैग्नीसियम, सल्फाइड आदि कितनी मात्रा में है.
फिर होता है माइक्रोबॉयोलजी टेस्ट - इसमें करीब 12 तरह के टेस्ट होते हैं. इसमें कैडमियम, साइनाइड, लेड, मर्करी, निकेल, पेस्टीसाइड, आर्सेनिक, क्रोमियम, ट्रिहेलमीथेंस जैसे सब्सटेंस की मात्रा जांची जाती है.
इसके बाद रेडिओएक्टिव सब्सटेंस की जांच होती है.
इन्हीं सब टेस्ट से गुजरने के बाद बीआईएस सर्टिफिकेट जारी करता है कि टोटी से घरों में सप्लाई हो रहा पीने का पानी पीने लायक है या नहीं. और इसी में दिल्ली का पानी सबसे खराब निकला है. साफ कब होगा. कैसे होगा. होगा भी कि नहीं. कि सिर्फ ट्वीट होंगे. राजनीति होगी. ये कहना मुश्किल है. वैसे ही. जैसे पानी का साफ होना. गंगा को साफ होते हमने-आपने सबने देखा है. हर-हर गंगे.