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अपने पोलियो वाले हाथ को उनने सबसे मारक हथियार बना लिया

पढ़िए और जानिए उस बॉलर के बारे में जिसे बिशन सिंह बेदी भी भगवान कहते थे.

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Source- ICC
17 मई 2016 (Updated: 17 मई 2016, 08:11 IST)
Updated: 17 मई 2016 08:11 IST
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यकीन मानो, जब मैं चंदू को फील्ड पर देखता तो लगता, मैं भगवान को देख रहा हूं.

ये बात कही है बिशन सिंह बेदी ने. चंदू कौन? चंदू मतलब भगवत सुब्रमण्यम चंद्रशेखर. उनका जन्म आज से 71 साल पहले कर्नाटक के मैसूर में हुआ था. आज जन्मदिन हैं उनका.  जब छह साल के थे तब पोलियो से दायां हाथ कमजोर हो गया. कोई और होता तो उसके लिए ये जिंदगी भर का रोना बन जाता लेकिन चंद्रशेखर ने इसे अपना सबसे बड़ा हथियार बना लिया. 14 साल तक वो देश के लिए मैच विनिंग बॉलर बने रहे. उनकी फेकी गेदें अबूझ होती थीं, जब लंबे रनअप से वो उछलकर तीखी गुगली फेंकते तो बैट्समैन के पास करने को ज्यादा कुछ न रह जाता.
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Source- cricketcb

पहले-पहल वो मैसूर में गली मोहल्ले में खेला करते थे, बाद में उनके पापा बेंगलुरु आए तो उनने क्रिकेट क्लब ज्वाइन कर लिया.
21 जनवरी 1964 को उनने इंग्लैंड के खिलाफ अपना टेस्ट डेब्यू किया था. पहली पारी में ही 16 मेडेन ओवर फेंके और 4 विकेट लिए, दूसरी पारी में भी एक विकेट लिया, यहां से टेस्ट में जो खेलना शुरू किया तो आखिरी मैच के पहले उनके पास टेस्ट के 242 विकेट थे, सोलह बार उनने पारी में 5 विकेट लिए और 2 बार मैच में दस विकेट.
चोट के कारण कुछ सालों तक क्रिकेट से दूर रहने के बाद जब वो 1971 में खेल में लौटे तो 23 अगस्त 1971 को उनने इंग्लैंड के खिलाफ 38 रन देकर 6 विकेट लिए थे. सन 2002 में उसे विजडन ने इसे The Indian Bowling Performance Of The Century
घोषित किया. ढ़ाई घंटे में उन्होंने जो कहर ढाया था, उसी की वजह से इंडिया इंग्लैंड में टेस्ट मैच जीत पाया.
https://www.youtube.com/watch?v=nACB9-QOfz0
उनका आखिरी टेस्ट मैच भी इंग्लैंड के खिलाफ था, सन 1979 में. उनने अपने करियर में सिर्फ एक ही वनडे मैच खेला था, माने उनका डेब्यू मैच ही उनका आखिरी मैच था, न्यूजीलैंड के खिलाफ, जिसमें उनने 3 विकेट लिए थे.
उन्हें 'रेयर ज्वेल' कहा जाता था, उन्हें 1964 में साल का इंडियन क्रिकेटर चुना गया, 1972 में विजडन ने उन्हें साल का सबसे अच्छा क्रिकेटर चुना, इसी साल उन्हें पद्मश्री और अर्जुन अवार्ड भी मिले.
इसके बावजूद भी मजाक उड़ता था
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वो जितने अच्छे बॉलर थे. बैट्समैन उतने अच्छे नहीं. पूरे टेस्ट करियर में उनने सिर्फ 167 रन बनाए थे. कहते हैं नंबर 11 पर खेलने वालों की टीम भी बने तो उन्हें नंबर 11 पर खिलाया जाएगा. उन पर बाहर के मीडिया वाले ऐसे कार्टून भी बनाते थे. क्योंकि 80 पारियों में वो 23 बार डक हुए थे. लेकिन ये हम जानते हैं कि जिन परिस्थितियों में उनने क्रिकेट खेला और इतना अच्छा खेला उसके आगे ऐसे मजाक कहीं नहीं टिकते, और ये तो तय ही है कि अगर कोई बॉलिंग करने में इतना बेहतर है तो उससे अच्छी बैटिंग की उम्मीद रखना भी जबरदस्ती ही होगी.

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