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मेसी: पवित्रता की हद तक पहुंच चुका एक सुंदर कलाकार

दुनिया के सबसे धाकड़ लतमार के जन्मदिन पर एक 'ललित निबंध'. पढ़िए प्यार से. पढ़िए चपलता से.

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चिली से हार के बाद मेसी की ऐतिहासिक तस्वीर. Photo: Reuters
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24 जून 2021 (Updated: 23 जून 2021, 02:49 IST)
Updated: 23 जून 2021 02:49 IST
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दीवाने हैं दीवानों को न घर चाहिए. मुहब्बत भरी एक नजर चाहिए.
सूरज पांडेय
सूरज पांडेय

ये नजर है सूरज पांडेय
की. जो जीते हैं ताकि हर लौटती सांस के साथ फुटबॉल से और प्यार कर सकें. और खेल जाहिर है कि उन जिंदा जिस्मों के सहारे हरकत में रहता है, जो इसे बरतते हैं.
सूरज पांडे तमाम मीडिया ब्रैंड्स के साथ काम कर चुके हैं. उनकी पहचान के साथ दो चीजें और जुड़ी हैं. एक, शरीर के फर्स्ट हाफ में फुटबॉल वाली जर्सी. दूसरा प्रायद्वीप बनाती दाढ़ी. जिसे देख हमें गाहे बगाहे अपने मंगोल पुरखों की याद आती है.
याद हमें मेसी भी बहुत आता है. जो कि हमारे वर्तमान का हिस्सा है. मगर कुछ ही कमबख्त ऐसे होते हैं, जिन्हें सामने देख भी जल्दी से याद कर लेने का जी करता है. ये एक किस्म के भरोसे की तरह होते हैं. कि जब वर्तमान बीत जाएगा. ये वाला वर्तमान. तब भी ये बचा रहेगा.
मेसी जैसे लोग सपनों और काल की मेज में भटकने के दौरान एक टॉटम की तरह होते हैं. जो खुरदुरा हो सकता है.चिकना हो सकता है. सख्त हो सकता है. नरम हो सकता है. मगर हो सकता है. है. इसीलिए बने रहने का यकीं भी है.
अब आप हमारे समय के एक पवित्रता की हद तक पहुंचते सुंदर (अभिधा-लक्षणा और व्यंजना, तीनों ही संदर्भों में) कलाकार मेसी पर पढ़िए. प्यार से. चपलता से.
~ सौरभ द्विवेदी
 


ब्राजील का ऐतिहासिक माराकाना स्टेडियम. साल 2014 के फीफा वर्ल्ड कप फाइनल के बाद की अवॉर्ड सेरेमनी.
जर्मन मिडफील्डर मारियो गोत्जे के एक्स्ट्रा टाइम में किए गोल ने सबसे बड़े फुटबॉल सितारे को रुला दिया था. अवॉर्ड बांटे जा रहे थे. जर्मन प्लेयर बड़े खुश थे कि उन्होंने दुनिया जीत ली. लेकिन फुटबॉल की दुनिया का लगभग हरसंभव खिताब जीत चुका एक शख्स उदास खड़ा था. इतना उदास था कि उसने 'प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट' का अवॉर्ड लेने से मना कर दिया. बहुत समझाने पर जाकर उसने अवॉर्ड तो ले लिया लेकिन इतने अनमने ढंग से कि उसके चाहने वालों की आंखों में तैरती उदासी और भी गहरी हो गई.
नम आंखों वाला ये शख्स था लियोनल मेसी. धरती का सबसे बेहतरीन फुटबॉलर. अपनी उम्र से ज्यादा खिताबों का विजेता और हकदार. वो मेसी पनियल आंखों के साथ खड़ा था. यह उदासी सिर्फ उस तक नहीं थी. उसके देश अर्जेंटीना तक नहीं थी. ये उदासी दुनिया में फैल चुकी थी. हर वो शख्स उदास था जिसे इस खूबसूरत खेल और इसके इस देवता से प्यार है.

और अपने ही 'गोंजालो' से हार गया मेसी

साल 2016 में चिली में हुआ कोपा अमेरिका का फाइनल मैच. मेजबान चिली ने अर्जेंटीना को पेनाल्टी शूटआउट में हराकर पहली बार कोपा अमेरिका जीता. 2014 के फीफा वर्ल्ड कप की तरह इस कोपा अमेरिका के फाइनल तक अपनी टीम को लेकर आए मेसी के लिए ये लगातार दूसरा झटका था. बड़ी बात ये थी कि इन दोनों ही झटकों के पीछे जिम्मेदार उसी का एक साथी था, अब इटैलियन क्लब युवेंटस के लिए खेलने वाला अर्जेंटीना का स्ट्राइकर 'गोंजालो हिगुइन'.
Argentina's Gonzalo Higuain fails to score on his penalty kick during a shootout against Chile in their Copa America 2015 final soccer match at the National Stadium in Santiago, Chile, July 4, 2015. REUTERS/Ricardo Moraes - RTX1J1LD
Photo: Reuters

पहले तो वर्ल्ड कप फाइनल में हिगुइन ने ऑफसाइड गोल किया, फिर कोपा के फाइनल में गोल का एक आसान चांस मिस कर दिया. जनाब का मन इससे भी नहीं भरा और उन्होंने पेनाल्टी शूटआउट के दौरान अपनी किक चांद सितारों से भी आगे पेल दी. वैसे तो मेसी 2014-15 के सीजन में बार्सिलोना के साथ ट्रेबल जीत चुका था. लेकिन, वर्ल्ड कप और फिर कोपा अमेरिका के फाइनल में लगातार हार ने मेसी को उदास, बहुत उदास कर दिया. उसने एक बार फिर से टूर्नामेंट के बेस्ट प्लेयर का अवॉर्ड लेने से इनकार कर दिया. इस बार तो सबको उसकी जिद माननी पड़ी और अवॉर्ड सेरेमनी से बेस्ट प्लेयर की ट्रॉफी हटा दी गई.
ये तो हुए उदासी के किस्से. आप सोच रहे होंगे कि मैं आपको मेसी की उदासी की कहानी क्यों सुना रहा हूं. दरअसल बात ये है कि दुनिया के सबसे धाकड़ लतमार की शुरुआत ही उदासी में हुई थी.

बीमारी को ड्रिबल, गरीबी को छकाकर दागा गोल

चार साल की उम्र से फुटबॉल खेलने वाला मेसी जब 11 साल का हुआ तो पता चला कि उसे बड़ी खतरनाक बीमारी है. ऐसी बीमारी जिसमें शरीर का विकास ही रुक जाता है. मां-बाप परेशान, क्या होगा इसका. इतनी कम उम्र में 500 से ज्यादा गोल कर चुका मेसी अलग परेशान. मेसी बेचारा सोचता रहता, यही तो जिंदगी थी और यही नहीं कर पाएंगे तो फायदा क्या ? बचपन से जिस क्लब के लिए खेला उन्होंने इलाज से हाथ खड़े कर दिए. दूसरे क्लब ने मेसी को साथ जोड़ने का जुनून तो दिखाया लेकिन बेचारे ठहरे गरीब, मन मारकर रह गए.
Child Messi

तब स्पेन के कैटालोनिया में रहने वाले मेसी के रिश्तेदारों ने उसके पप्पा से कहा कि इहां की जबर फुटबॉल टीम बार्सिलोना आ जाओ, बालक को लेकर. ये लोग बड़े सही हैं, इलाज भी करा देंगे और यहां मेसी खेल भी लेगा. मेसी के घर वाले वहां गए, बार्सिलोना ने इलाज कराया और तीन साल में लड़का ठीक हो गया. ठीक होकर भइया इसने जो कलाकारी करनी शुरू की कि बड़े-बड़े फुटबॉलर पनाह मांग गए.
जब ये खेलता तो लोग सब भूलकर इसके पैरों को ही देखते रहते थे. मुकेश के गानों की सी जादूगरी छोड़ता उसका खेल. जिसे देखकर बार्सिलोना के उस वक्त के 'खिलाड़ियों के खिलाड़ी' ब्राजीलियन रोनाल्डीनियो पगला गए. बोले कि एक दिन ये लड़का हमसे भी आगे, बहुत आगे जाएगा.
FCB
मेसी का पहला आईकार्ड

छोटू मेसी का बड़ा फैन हो गया छोटा 'रोनाल्डो'

उस जमाने में बार्सिलोना में पूरी दादागीरी चलती थी 'छोटा रोनाल्डो' यानी रोनाल्डीनियो की. उसने मैनेजर फ्रैंक रिजकार्ड से कहकर इसे सीनियर टीम में बुलवा ही लिया. क्रिस्टियानो रोनाल्डो के देश पुर्तगाल के क्लब FC पोर्तो के खिलाफ एक फ्रेंडली मैच में मेसी पहली बार सीनियर टीम के लिए मैदान पर उतरा. दो-चार अच्छे चांस क्रिएट भी किए. लेकिन इतिहास बनाने वाला दिन था, 16 अक्टूबर 2004.
https://youtu.be/W-d2d8Px6T8
34,400 दर्शकों से भरे स्टेडियम में एस्पैन्यॉल और बार्सिलोना एक-दूसरे से भिड़े पड़े थे. मैच खत्म होने से आठ मिनट पहले बार्सा के लिए खेलने वाले पुर्तगाल के जबर अटैकिंग मिडफील्डर डेको की जगह 30 नंबर की जर्सी में 17 साल से कुछ ज्यादा उम्र का ये मासूम सा लड़का फील्ड पर आता है.
उस दिन फील्ड पर आने और बार्सिलोना के लिए उसके पहले गोल में साढ़े सात महीने का अंतर है. हां, पूरे साढ़े सात महीने का. 16 अक्टूबर 2004 को डेब्यू करने वाले मेसी ने अपना पहला गोल 1 मई 2005 को किया था. मेसी ने जब ये गोल किया था तब वो क्लब के सबसे यंग गोल स्कोरर थे.
https://www.youtube.com/watch?v=qCNEtYALxhU
देर से गोल के पीछे अंदर की बात ये है कि, फर्स्ट टीम के लिए मेसी अपने पहले सीजन में बस 77 मिनट ही खेल पाया था.

पगलाए इटली और स्पेन

मेसी को बार्सिलोना की टीम में रेगुलर स्टार्ट 2005 से मिलनी शुरू हुई. 24 जून 2005 को अपने बर्थडे के दिन मेसी ने सीनियर टीम के प्लेयर के तौर पर बार्सिलोना के साथ पहला कॉन्ट्रैक्ट साइन किया. यह 2010 तक के लिए था. दो महीने बाद, 24 अगस्त को बार्सिलोना के प्री-सीजन मैच में मशहूर फुटबॉल मैनेजर फैबियो कैपेलो की इटैलियन चैंपियन टीम युवेंटस के खिलाफ जब ये लड़का पहली बार स्टार्टिंग इलेवन में उतरा, तो ऐसा खेल दिखाया कि कैपेलो ने तुरंत ही बार्सिलोना से कहा, ये लड़का लोन पर ही सही, लेकिन हमें दे दो यार.
इटैलियन लीग में युवेंटस का विपक्षी इंटर मिलान तो मेसी के लिए 150 मिलियन यूरो का पेमेंट और उनकी सैलरी तीन गुनी करने का ऑफर लेकर बार्सिलोना क्लब प्रेसीडेंट लोआन लपोर्टा के पास पहुंच गया. लेकिन बार्सिलोना इस तमाम ऑफर्स से पहले, मेसी को उसके पहले ही मैच में स्टैंडिंग अवेशन पाता देख चुका था. बार्सिलोना मेसी को खोना नहीं चाहता था लेकिन बात यहां मेसी के ऊपर थी. अगर वो चाहता तो चला जाता. लेकिन, मेसी ने बड़े प्यार से सारे ऑफर ठुकराते हुए बार्सिलोना में ही रुकना पसंद किया.
क्लब ने मेसी को इसका इनाम भी दिया और 16 सितंबर को उसका कॉन्ट्रैक्ट 2014 तक के लिए बढ़ा दिया गया. शुरुआत में तो नियमों के चलते मेसी को सीनियर टीम से खेलने में दिक्कत हुई लेकिन 26 सितंबर 2005 को जब मेसी ने स्पेन की नागरिकता ली तो ये दिक्कत भी खत्म हो गई.
https://www.youtube.com/watch?v=XgrBgllOjcc

मैदान के बाहर रखा तो जीत की खुशी भी नहीं मनाई

क्लब ने मेसी को 19 नंबर की जर्सी दी और राइट विंगर की पोजीशन. उस वक्त फर्स्ट टीम के लिए मेसी राइट विंग पर, रोनाल्डीनियो लेफ्ट और सैमुअल एटो स्ट्राइकर पोजीशन पर खेलते थे. 7 मार्च 2006 को चेल्सी के खिलाफ चैंपियंस लीग के एक मैच में मेसी की मांसपेशियों में खिंचाव आ गया और उसे बाहर बैठना पड़ा. मेसी ने अपनी फिटनेस वापस पाने के लिए उतनी मेहनत की जितनी सलमान खान ने अपनी बॉडी बनाने के लिए भी नहीं की होगी.
17 मई को होने वाले फाइनल में वह हर कीमत पर खेलना चाहता था. लेकिन 17 मई को फाइनल शुरू होने से उतनी ही देर पहले, जितनी देर बाद ऑफिस आने से आपको लेट बता दिया जाता है, मेसी से कहा गया कि, बेट्टा तुम ना खेलोगे फाइनल में. इस बात से मेसी इतना नाराज हुआ कि उसने चैंपियंस लीग जीतने की खुशी भी नहीं मनाई और मुंह लटकाए बैठा रहा. वैसे बाद में इस बात का उसे पछतावा भी हुआ.

दुनिया के सबसे बड़े फुटबॉल मैच का पॉकेट साइज हीरो

10 मार्च 2007 को मेसी ने फुटबॉल की दुनिया के सबसे बड़े मैच कहे जाने वाले El-Clasico, जिसमें बार्सिलोना और स्पेन की दूसरी जाबड़ टीम रियल मैड्रिड खेलती है, अपनी पहली हैट्रिक मारी थी. और ये हैट्रिक साल में दो बार होने वाले इस महामुकाबले में पूरे 12 साल बाद लगी हैट्रिक थी.
इस हैट्रिक की सबसे मजेदार बात ये थी कि बेचारे रियल वालों ने एक गोल किया और सोचा कि अब तो जीत गए. उधर से मेसी ने बराबरी का गोल कर दिया. ऐसे ही वो गोल दागकर बढ़त लेते, और 19 साल का ये क्यूट बालक इधर से गोल दागकर बार्सिलोना को बराबरी दिला देता. ऐसे करते करते मैच 3-3 से बराबर छूटा.
उधर से रुड वॉन निस्टलरूय ने दो और सर्जियो रामोस ने एक गोल किया. मिडफील्डर डेको को रेड कार्ड मिलने के बाद दस प्लेयर्स से खेल रही बार्सिलोना के लिए मेसी अकेला लड़ा. वैसे तो रियल के गोलकीपर इकर कसियास ने इस मैच में बार्सिलोना के हर प्लेयर के शॉट को रोक लिया लेकिन मेसी को ना रोक पाए.
मेसी के तीसरे गोल के बाद कमेंटेटर ने एक लाइन कही थी, 'You Can't Write A Script Like This.' यह शायद मेसी की जिंदगी पर कही गई सबसे खूबसूरत बात है. 6 साल पहले का वो लड़का जिसे इतनी खतरनाक बीमारी थी, सिर्फ 6 साल में दुनिया के सबसे बड़े खेल के सबसे बड़े मैच का सुपरस्टार बन गया.
https://www.youtube.com/watch?v=NLzB8CAQ-4A

...और मेसी बन गया दस नंबरी

अगले साल रोनाल्डीनियो ने क्लब छोड़ दिया. जिसके बाद क्लब ने मेसी के साथ नया कॉन्ट्रैक्ट साइन कर उसे नंबर 10 की जर्सी दे दी. अरे! एक बात तो बताई ही नहीं, फुटबॉल में जर्सी नंबर ऐसे ही नहीं मिल जाता. इसे पाने के लिए झंडे गाड़ने पड़ते हैं. फुटबॉल में नंबर 9, 10, 11 और सात पहनने वाले ज्यादातर लेजेंड ही होते हैं. मतलब ये लड़का अब कैटालोनिया का लेजेंड बन चुका था. इसी साल मेसी बार्सिलोना का हाईएस्ट पेड फुटबॉलर भी बन गया.
साल 2008 मेसी के लिए फुटबॉल करियर के साथ ही जिंदगी में भी बड़ा लकी साबित हुआ. इसी साल मेसी अपने सपनों की रानी, एंटोनेला रोक्कुज्जो जिसे वो बचपन से चाहता था, के साथ रिलेशनशिप में आया. मेसी जब पांच साल का था तभी से अपने बेस्ट फ्रेंड लुकास स्कैग्लिया की कजिन एंटोनेला को जानता था.
मेसी ने अपने रोमांस की बात जनवरी 2009 में सबको बताई. 2 नवंबर 2012 को मेसी ने फेसबुक पर पोस्ट लिखी, 'आज मैं दुनिया का सबसे खुश इंसान हूं. मेरे बेटे का जन्म हो चुका है और इस तोहफे के लिए मैं ऊपरवाले का शुक्रिया अदा करता हूं.'
मेसी ने अपने बेटे का नाम थिएगो रखा और उसके नाम का टैटू अपनी बाईं पिंडली पर बनवाया. 11 सितंबर 2015 को मेसी के दूसरे बेटे मैटेओ का जन्म हुआ. और 10 मार्च 2018 को दुनिया में आया मेसी का तीसरा बेटा- Ciro मेसी.

फैमिलीमैन लियोनेल आंद्रेस मेसी

मेसी अपनी मां के बहुत करीब है. उसने अपने बाएं कंधे पर अपनी मां के चेहरे का टैटू बनवा रखा है. मेसी का पूरा परिवार मिलकर उसके प्रोफेशनल अफेयर्स को देखते हैं. जब वो 14 साल का था तब से उसके पापा जॉर्ज उसके एजेंट हैं. बड़ा भाई रोड्रिगो, मेसी का डेली शेड्यूल और पब्लिसिटी देखता है. मां और दूसरा भाई मैटिएस, मेसी की चैरिटेबल फाउंडेशन 'The Leo Messi Foundation' देखते हैं. यही दोनों उसके होमटाउन रोजारियो में उसके सारे पर्सनल और प्रोफेशनल काम देखते हैं. मेसी को जब भी मौका मिलता है वो अपने परिवार के पास पहुंच जाता है.
बीवी और बच्चे के साथ. Photo: Reuters
बीवी और बच्चे के साथ. Photo: Reuters

इतना बड़ा खिलाड़ी होने के बाद भी एकदम 'नॉर्मल' से रहने वाले मेसी को टैटू बनवाने का भयंकर शौक है. मैदान पर उसके पैरों की जादूगरी और उन पर बने टैटू देखो तो लगे आहा! हमने मेसी की बात की, उसके रिकॉर्ड का जिक्र किए बिना. क्योंकि आंकड़ों में क्या रखा है. खूबसूरत छवियां तो 'दृश्य' माध्यमों से बनती हैं. गणित का हिसाब-किताब फिर होता रहेगा.
मेसी को लल्लनटॉप सलाम!


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