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बसवराज: एक करोड़ का इनामी नक्सली, जिसने लिट्टे से ली थी ट्रेनिंग!

Who was Basavaraj: बसवराज CPI (माओवादी) के महासचिव के पद पर तैनात था. वो पोलित ब्यूरो सदस्य और सेंट्रल कमेटी का प्रमुख रणनीतिकार भी माना जाता था. 1970 के दशक में वो नक्सली आंदोलन का हिस्सा बना.

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Who was Basavaraj
1970 के दशक में बसवराज नक्सलवादी आंदोलन से जुड़ा था. (फ़ोटो- इंडिया टुडे)
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हरीश
21 मई 2025 (Published: 03:20 PM IST) कॉमेंट्स
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छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबल नक्सलवाद के ख़ात्मे के लिए जुटे हुए हैं. बुधवार, 21 मई की सुबह सुरक्षाबलों ने 30 से ज़्यादा नक्सलियों को मार गिराने का दावा किया. इनमें बसवराज का नाम बार-बार आ रहा है, जिस पर एक करोड़ रुपये का इनाम रखा गया था.

बसवराज का असली नाम नम्बाला केशव राव है. उसे कई अन्य उपनामों से भी जाना जाता था. जैसे- गंगन्ना, प्रकाश, कृष्णा, विजय, दारापु नरसिम्हा रेड्डी और नरसिम्हा. नक्सलवाद को ख़त्म करने के लिए चलाए जा रहे ऑपरेशन में उसकी मौत को बड़ी सफलता माना जा रहा है. ऐसे में जानेंगे बसवराज की पूरी कहानी.

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बसवराज CPI (माओवादी) के महासचिव के पद पर तैनात था. वो पोलित ब्यूरो सदस्य और सेंट्रल कमेटी का प्रमुख रणनीतिकार भी था. 1970 के दशक में वो नक्सली आंदोलन का हिस्सा बना. उसकी वर्तमान उम्र 70 साल के आसपास बताई जाती है.

आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम ज़िले का मंडलम-कोटबोम्माली पुलिस स्टेशन. इसी पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र आने वाले गांव जियान्नापेटा का बसवराज रहने वाला था. बचपन में वो कबड्डी का खिलाड़ी रहा. उसने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, वारंगल (NIT Warangal) से बी टेक की पढ़ाई की हुई है.

बताया जाता है कि बसवराज के पास अपने पैतृक गांव में कोई संपत्ति नहीं थी. 1970 के दशक के अंत में ही उसने अपना गांव छोड़ दिया था. 2011 की इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) की रिपोर्ट के मुताबिक़, वो भारत के सबसे रहस्यमयी माओवादी नेताओं में से एक था. उस पर एक करोड़ रुपये का इनाम रखा गया था.

पुलिस के पास बसवराज की कोई हालिया तस्वीर नहीं है. उसकी जो कुछ ज्ञात तस्वीरें है, वो साल 1980 के आसपास की बताई जाती है. वो अपने पास हमेशा AK-47 रखता था.

Naxal leader Nambala Keshav Rao alias Basav Raj, who carried a bounty of Rs 1 crore, have been killed in an encounter.
बसवराज की 1980 के दशक की तस्वीरें.


हिंदुस्तान टाइम्स में छपी एक ख़बर के मुताबिक़, जब 1980 में आंध्र प्रदेश में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी पीपुल्स वॉर (CPMLPW) का गठन हुआ, तो बसवराज उसके प्रमुख संयोजकों में से एक था. 1992 में वो तत्कालीन CPMLPW की केंद्रीय समिति का सदस्य चुना गया. तब गणपति इसका महासचिव बना था.

2004 में CPMLPW और माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर ऑफ इंडिया (MCCI) के विलय से CPI (माओवादी) का गठन हुआ. तब बसवराजू को नए संगठन के केंद्रीय सैन्य आयोग का सचिव बनाया गया.

LTTE से ट्रेनिंग

बताया जाता है कि 1987 में बसवराज ने बस्तर के जंगलों में श्रीलंकाई लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) से ट्रेनिंग हासिल की थी. तब उसके साथ मल्लोजुला कोटेश्वर राव उर्फ़ ​​किशनजी (2011 में मारा गया), मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ़ ​​सोनू और मल्ला राजी रेड्डी जैसे बड़े नक्सली शामिल थे. इन लोगों ने LTTE के पूर्व लड़ाकों के एक ग्रुप से घात लगाने की रणनीति और जिलेटिन को संभालने की ट्रेनिंग ली थी.

IED एक्सपर्ट

द हिंदू में 2019 में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक़, तब विशाखापट्टनम के SP अट्टाडा बाबूजी ने बताया था,

बसवराज एक सैन्य रणनीतिकार है. गणपति, पार्टी को राजनीतिक या वैचारिक रूप मजबूत बनाने पर जोर देता था. लेकिन बसवराज इसके बजाय हिंसा फैलाने में विश्वास करता है.

बसवराज को इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) के इस्तेमाल का विशेषज्ञ बताया जाता था.

वीडियो: सीआरपीएफ के हत्थे कैसे चढ़ा 1 करोड़ का ईनामी नक्सली?

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