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जब शिव ने लिया पत्नी की मौत का बदला

जब शिव हो गए गुस्से से लाल-पीले और उनकी जटा से पैदा हुआ एक महाभयंकर भूत.

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प्रतीक्षा पीपी
11 दिसंबर 2015 (Updated: 15 दिसंबर 2015, 03:18 PM IST) कॉमेंट्स
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भगवान शिव की पत्नी सती अपने पिता दक्ष के यज्ञ की आग में जलकर जान दे चुकी थीं. महर्षि नारद ने यह खबर शिव को दी तो वह गुस्से से लाल हो गए. होंठ चबाते हुए उन्होंने अपनी एक जटा उखाड़ ली जो रस्सी की तरह जल रही थी. उसे उन्होंने ज़मीन पर पटक दिया. उससे एक भारी भरकम भूत पैदा हुआ. आसमान को छूता शरीर, काला रंग, एक हजार हाथ-पैर. नाम था वीरभद्र. उस भयानक आदमी ने शिव जी से पुछा, भगवान आप बताइए अब मैं क्या करूं? भगवान ने कहा, बेटा तुम मेरे हिस्से हो और तुम ही तुरुप के इक्के हो. जाकर दक्ष के यज्ञ को तहस-नहस कर दो. अब चली भयानक पिच्चर. अंधेरा छा गया और धूल उड़ने लगी. शिव के चेले-चपाटी हंगामा मचाने लगे. उनमें कोई बौना, कोई लाल, कोई पीले रंग का था और कोई तो मगरमच्छ की तरह दिखता था. इतने भयानक प्राणियों को देखकर ही दक्ष और उनके दोस्तों की हवा टाइट हो गयी. शिव के चेलों ने सब तोड़-ताड़ कर बराबर कर दिया. भृगु जी ने जिन मूछों को ऐंठकर शंकर जी पर ताने कसे थे, वीरभद्र ने उन्हें नोच लिया. किसी को जमीन पर पटका, किसी की आंखें निकाल लीं और दक्ष का तो सिर ही धड़ से अलग कर यज्ञ की आग में झोंक दिया. दक्ष और उनके साथियों का दिमाग अब ठिकाने लग चुका था. वे चुपचाप भगवान ब्रह्मा के पास गए और उनकी हेल्प से शंकर जी को मनाया. शंकर भगवान ने कहा कि ये तो ट्रेलर था. अगर असली रूप दिखा दूं तो कोई भी यज्ञ करने लायक नहीं बचोगे. फिर शंकर भगवान ने दक्ष को बकरे का सिर लगा दिया और बाकी देवताओं को भी दुरुस्त कर दिया. दक्ष फिर कायदे में हो गए और चुप्पेचाप अपना यज्ञ पूरा किया. (श्रीमद्भागवत महापुराण)

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