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अफगानिस्तान के हालात खराब होने से भारत में त्योहारों का माहौल खराब होने की आशंका क्यों है?

इसकी वजह भारत-अफगानिस्तान व्यापार में आई रुकावट से जुड़ी है.

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अफगानिस्तान पर तालिबान काबिज़ हुआ और भारत के बिजनेस को जोर का झटका लगा है. वहां से आने वाले ड्राई फ्रूट बंद हो गए हैं और यहां से अफगानिस्तान में एक्सपोर्ट करने वाले व्यपारियों के करोड़ो रुपए की पेमेंट वहां फंस गए हैं. (फोटो-पीटीआई)
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अमित
19 अगस्त 2021 (Updated: 19 अगस्त 2021, 06:34 PM IST)
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अफगानिस्तान (Afghanistan) पर तालिबान (Taliban) काबिज़ हुआ और पूरा देश अस्थिर हो गया. किसी को कुछ पता नहीं चल रहा है कि कब वहां सरकार बनेगी. सरकार में शामिल कौन होगा? उसकी पॉलिसी क्या होगी? सब कुछ अंधकार में है. ऐसे में सबसे ज्यादा मार बिजनेस करने वालों पर पड़ रही है. भारत के साथ अफगानिस्तान कई जरूरी चीजों का व्यापार करता है. बात करेंगे कि आखिर अफगानिस्तान से क्या-क्या भारत आता था और मौजूदा संकट की वजह से भारत के बिजनेसमैन क्या परेशानियां झेल रहे हैं. भारत अफगानिस्तान से क्या-क्या खरीदता है? भारत अफगानिस्तान से कई चीजें खरीदता है. इनमें से अधिकतर रोजमर्रा में काम आने वाली चीजें हैं. फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO) के महानिदेशक डॉ. अजय सहाय ने न्यूज एजेंसी एनआई को बताया है कि तालिबान ने पाकिस्तान के रास्तों से आने वाले माल की आवाजाही पर रोक लगा दी है. इस वजह से वहां से होने वाला आयात बंद हो गया है. उन्होंने एएनआई से कहा कि हालात पर लगातार पैनी नज़र रखी जा रही है.
अफगानिस्तान से ड्राई फ्रूट्स के साथ ही होजरी व्यवसाय से जुड़ा माल भारत आता है. ड्राई फ्रूट्स का आयात अटारी बॉर्डर से होता है. भारत में कई जगहों पर व्यापारी परेशान हैं, क्योंकि ड्राई फ्रूट्स का उनका व्यवसाय अफगानिस्तान पर ही निर्भर है. तालिबान के आने के बाद से कामकाज पहले हल्का और अब बंद हो गया है.
भारत अफगानिस्तान से मुख्य रूप से ये सामान मंगाता है - ड्राई फ्रूट्स में काजू, पिस्ता, बादाम, अंजीर, नट, मुलेठी, सेब, अंगूर, हींग, केसर, मुनक्का, खुबानी, किशमिश, दालचीनी और प्याज का ही करोड़ों रुपये का आयात हर साल होता है.
अजय सहाय का कहना है,
“भारत अफगानिस्तान के बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक है. 2021 में 6200 करोड़ रुपये से ज्यादा का निर्यात किया गया था, जबकि 3793 करोड़ रुपये से ज्यादा के सामान का आयात हुआ था.”
मतलब ये कि भारत जितना सामान अफगानिस्तान से खरीदता है, उससे कहीं ज्यादा वहां बेचता भी है. अफगानिस्तान से व्यापार बंद होने के बाद दोनों ही तरफ के व्यापारी फंस गए हैं. जो सामान खरीदते थे वो सप्लाई न हो पाने से दुखी हैं और जो वहां सामान बेचते थे वो अपने फंसे हुए पेमेंट को लेकर परेशान घूम रहे हैं. तालिबान का कब्जा, ड्राई फ्रूट की कीमत आसमान पर अफगानिस्तान का राजनीतिक माहौल जबर्दस्त उथल-पुथल से गुजर रहा है. भारत में इसका सीधा असर सूखे मेवों (ड्राई फ्रूट्स) की कीमतों पर पड़ रहा है. तालिबान के आने के बाद अफगानिस्तान से बिजनेस होना बंद हुआ और ड्राई फ्रूट की कीमतों में इज़ाफा शुरू हो गया है. भारत में अफगानिस्तान के ड्राई फ्रूट्स का बड़ा मार्केट है. ऐसा नहीं है कि भारत कहीं और से ड्राई फ्रूट्स खरीद नहीं सकता, लेकिन अफगानिस्तान में इसकी क्वॉलिटी अच्छी मिलती है, वो भी मुफीद दामों पर.
सप्लाई में रुकावट होने से देशभर में ड्राई फ्रूट्स के दाम तेजी से बढ़ने लगे हैं. आशंका जताई जा रही है कि दिवाली, दशहरे के त्योहारों तक यही माहौल रहा तो दाम दुगने हो जाएंगे. आजतक की एक खबर के मुताबिक, जम्मू में ड्राई फ्रूट्स के दामों में भारी इजाफा हुआ है. व्यापारियों का कहना है कि सूखे मेवे की कीमतें बढ़ी हैं और इस वजह से बिक्री में भी गिरावट आई है. 10 दिन में तेजी से बढ़ी कीमतें अगर प्रमुख मेवों की की बात करें तो जम्मू की मार्केट में 10 दिन में ही इनके दामों में काफी बदलाव आया है.
- अंजीर की कीमत 800 रुपये प्रति किलो थी, जो बढ़कर 1200 रुपये हो गई है. - खुबानी पहले 400 रुपये किलो बिकती थी. पिछले 10 दिनों से इसकी कीमत बढ़कर 600 रुपये प्रति किलो हो गई है. - पिस्ता पहले 1800 रुपये किलो बिक रहा था, अब इसकी कीमत बढ़कर 2400 रुपये प्रति किलो हो गई है. - बादाम की कीमत 10 दिन पहले तक 650 रुपये प्रति किलो थी, जो अब 900 रुपये किलो बिक रहा है. - किशमिश पहले 450 रुपये किलो में बिक रहा था, ये अब 700 रुपये किलो बिक रहा है.
कुछ ऐसा ही हाल लखनऊ और दिल्ली की मार्केट में भी है. यहां अफगानिस्तान से आने वाले तकरीबन हर मेवे में 400 से लेकर 600 रुपये प्रति किलो तक का उछाल देखा गया है. लखनऊ में मेवों की दुकान चलाने वाले गिरधारी लाल अग्रवाल ने दि लल्लनटॉप को बताया,
"पिछले हफ्ते से दाम बढ़ना शुरू हुए हैं जो अब भी जारी है. अगर ऐसा ही हाल रहा तो दिवाली तक दाम आसमान पर पहुंच जाएंगे. हम उम्मीद लगाए हैं कि अफगानिस्तान में हालात सुधरें तो दाम कंट्रोल में आएं."
ऐसी ही बात खारी बावड़ी में स्टोर चलाने वाले सुरेश गुप्ता ने दि लल्लनटॉप को बताई. उनका कहना है कि त्योहारों का सीजन आ रहा है. ड्राई फ्रूट की सबसे ज्यादा डिमांड दिवाली, दशहरा पर ही होती है. ऐसे में अफगानिस्तान में हालात नहीं सुधरे तो इसका सीधा असर बाजारों में देखने को मिलेगा. सुरेश ने हमें बताया,
"अभी तीन दिन के अंदर प्रति किलो पर 100 रुपये का इजाफा हो गया है. लगभग 5 से 10 फीसदी कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले हफ्तों में ड्राई फ्रूट्स की कीमत दोगुनी हो जाएगी."
Dry Fruits India Delhi Afghanistan
भारत में अफगानिस्तान से सूखे मेवे भारी मात्रा में आयात किए जाते हैं.
सूरत के व्यापारियों के करोड़ो रुपये अटके जो लोग अफगानिस्तान को सामान निर्यात करते हैं उनकी मुश्किलें अलग हैं. भारत से अफगानिस्तान में चीनी, फ़ॉर्मास्युटिकल्स, कपड़े, चाय, कॉफी, मसाले आदि निर्यात किए जाते हैं. कई बार क्रेडिट पर सामान अफगानिस्तान भेज दिया जाता है. मतलब सामान पहुंचने के कुछ महीने बाद पेमेंट किया जाता है. लेकिन तालिबान के तेजी से अफगानिस्तान पर काबिज़ होने से भारतीय व्यापारियों के पैसे फंसे गए हैं.
सूरत के कई व्यापारी इससे परेशान हैं. शहर के ब्रोकर और बिजनेसमैन के तकरीबन 400 करोड़ रुपये अफगानिस्तान में फंस गए हैं. व्यापारियों का कहना है कि अगर अफगानिस्तान में ऐसी ही अनिश्चितता जारी रही तो पैसा मिलना बहुत मुश्किल है.
सूरत के बने पंजाबी दुपट्टे और सूट की अफगानिस्तान और पाकिस्तान में बहुत डिमांड है. तीन साल पहले तक अफगानिस्तान से व्यापारी सिले-सिलाए कपड़े खरीदने के लिए सूरत आते थे. वो खुद आकर प्रॉडक्ट सेलेक्ट करते थे और दिल्ली में मौजूद अपने बिजनेस असोसिएट्स के जरिए पेमेंट करते थे.
एक अनुमान के मुताबिक, अफगानिस्तान में पाकिस्तान या दुबई के रास्ते हर महीने 100 करोड़ रुपये के गार्मेंट भेजे जाते हैं. सूरत में कपड़े के बिजनेसमैन राज भाटिया ने टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार को बताया,
"टेक्सटाइल के मार्केट में क्रेडिट पीरियड तीन महीने का है. मतलब व्यापारी यहां से सामान खरीद लेते हैं और तीन महीने में उसका पेमेंट कर देते हैं. लेकिन कई एक्सपोर्टर्स का कुल 400 करोड़ रुपये का पेमेंट अभी अफगानिस्तान में फंसा हुआ है."
राज भाटिया के अलावा सूरत में गार्मेंट बना कर एक्सपोर्ट करने वाले गुरपाल सिंह ने अखबार को बताया,
“शहर में बने पंजाबी सूट और दुपट्टे की पाकिस्तान और अफगानिस्ता में काफी डिमांड है. अफगानिस्तान में मौजूद लोग अब भी इसकी डिमांड कर रहे हैं. लेकिन पैसे फंसने के रिस्क को देखते हुए कोई भी बिजनेस करने को तैयार नहीं है. तकरीबन 100 करोड़ रुपये का टेक्सटाइल प्रॉडक्ट हर महीने कई रास्तों से अफगानिस्तान जाता है. लेकिन अब ऐसा होना बंद हो गया है.”
Surat Textile Market
सूरत टेक्सटाइल मार्केट के व्यापारियों का तकरीबन 400 करोड़ रुपए अफगानिस्तान की मार्केट में फंसा है.

वहीं, सूरत मर्केंटाइल एसोसिएशन के प्रेसिडेंट नरेंद्र साबू ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा है,
“हालात बहुत अनिश्चित हैं और अफगानिस्तान के हालात का शहर के टेक्सटाइल बिजनेस पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है. हम बस यही उम्मीद लगाए हैं कि हालात सुधरें और बिजनेस पटरी पर आए.”
देश के 8 करोड़ व्यापारियों के प्रमुख संगठन, कॉन्फेडेरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने इन हालातों पर चिंता जताई है. उन्होंने दि लल्लनटॉप को बताया,
"अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के साथ ही काबुल और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार बुरी तरह प्रभावित होगा, क्योंकि अब इन परिस्थितियों में भविष्य अनिश्चित होगा"
उनके अलावा, CAIT के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया का कहना है,
"भारत अफगानिस्तान से किशमिश, अखरोट, बादाम, अंजीर, पाइन नट, पिस्ता, सूखे खुबानी और खुबानी, चेरी, तरबूज, औषधीय जड़ी-बूटियों और ताजे फल आयात करता है. भारत चाय, कॉफी, काली मिर्च, कपास, खिलौने, जूते जैसी चीजें निर्यात करता है. जिस पर अब अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं."
इसके अलावा पंजाब के व्यापारियों ने भी अफगानिस्तान के हालात की वजह से बिजनेस में दिक्कत आने की बात कही है. वहां पर प्याज और ड्राई फ्रूट्स को लेकर मार्केट में किल्लत देखी जा रही है. CAIT ने घरेलू निर्यातकों को सतर्क रहने की सलाह दी है और बड़ी मात्रा में पेमेंट फंसने की आशंका जताई है. ऐसे में संगठन ने सरकार से मांग की है कि वो इन हालात का संज्ञान ले.

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