सेना का टैंक चुराकर रोड पर दौड़ाया, निकाला कारों का कचूमर
एक शख्स मिलिट्री से पूरा टैंक चुरा लाया और पूरे शहर में दहशत फैला दी. 40 कारों को बर्बाद करने के अलावा उसने बिजली के कई खम्बे तोड़ डाले, जिससे इलाके में बिजली गायब हो गई. पुलिस लाचार ये सब देख रही. उनके पास सेना को बुलाने के अलावा कोई चारा नहीं था. सेना को बुलाने की प्लानिंग शुरू हुई. फिर कैसे इस शख्स पर काबू पाया गया? सब जानिए.
.webp?width=210)
सलमान खान की फिल्म ‘जय हो’ का एक सीन है. भाई के पीछे कुछ 100-200 गुंडे लगे हैं. वैसे इनसे निपटना भाई के बाएं हाथ का काम है, लेकिन इस समय भाई के पेट और पीठ में चाकू लगा है. एक ऑटोवाला भाई को अपने ऑटो में बैठकर अस्पताल की ओर ले जाता है. गुंडे अभी भी पीछे हैं. गाड़ियों में. तभी सीन में एंट्री होती है, सुनील शेट्टी की. आपको बॉर्डर याद आती है, क्योंकि शेट्टी के साथ एक टैंक भी है. अंतर इतना है कि शेट्टी इस बार टैंक के ऊपर हैं. भाई की मदद के लिए उन्होंने शहर के बीचों-बीच रोड पर टैंक दौड़ा दिया है. सीन देखकर पब्लिक ताली बजाती है. लेकिन आलोचक कहते हैं, हट! ऐसा भी कहीं होता है. हम जवाब देंगे, हां, बिलकुल होता है. आज का किस्सा ऐसी ही घटना का. जब जिंदगी से तंग आकर एक शख्स मिलिट्री से पूरा टैंक ही चुरा लाया और पूरे शहर में दहशत फैला दी. (1995 San Diego Tank Rampage)
यहां पढ़ें- ‘बैंगनी पेशाब’ से कैसे पकड़ा गया जासूस?
ट्रैफिक के बीच मिलिट्री टैंकअमेरिका के दक्षिण पश्चिम में बसा है, कैलिफोर्निया राज्य. घटना इसी राज्य के एक शहर सैन डिएगो की है. सैन डिएगो सुनकर आपको लग सकता है, दूर की बात है. लेकिन इस शहर का आपकी जेब से एक गहरा नाता है. आपके फोन में लगा प्रोसेसर जो कंपनी बनाती है - क्वालकॉम, उसका हेडक्वार्टर इसी शहर में है. बहरहाल नजारा देखिए, गर्मियों की एक शाम, लोग काम से लौट रहे हैं. इस वक्त ट्रैफिक होना सामान्य है, लेकिन आज इस ट्रैफिक में एक खास गाड़ी शामिल है. एक मिलिट्री टैंक. मॉडल नंबर -M60A3. 105 mm की गन से लैस जो एक बार में 63 राउंड गोले दाग सकती है.
यहां पढ़ें- कैसे एक चिट्ठी से पकड़ा गया 167 IQ वाला जीनियस आतंकी?

पहले तो लोगों को कौतुहल होता है, लेकिन जल्द ही ये फीलिंग दहशत में बदल जाती है. टैंक अपने रास्ते में आने वाली हर चीज को कुचलता जा रहा है. जिनमें शामिल हैं कारें, कंक्रीट और तमाम रुकावटें. थोड़ी ही देर में भगदड़ मच जाती है. मीडिया पहुंचता है, पुलिस पहुंचती है. हेलीकॉप्टर मंडराने लगता है. पूरा नजारा लोगों के टीवी पर है. पुलिस की गाड़ियां टैंक का पीछा कर रही हैं. हालांकि असली दिक्कत पीछा करने की नहीं है. टैंक अधिकतम 48 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से चल सकता है. असली सवाल ये है कि टैंक रोका कैसे जाएगा, वो भी पुलिस के हथियारों से. जो टैंक की सतह को भेदने के लिए नाकाफी थे. सवाल और भी थे. आर्मी का टैंक शहर के बीचों बीच रोड तक कैसे पहुंचा और उसे चला कौन रहा था?
इन सवालों के जवाब जानने से पहले एक न्यूज़ हेडलाइन देखिए.
‘AR-15 लेकर एक शख्स स्कूल में घुसा है और अंधाधुंध गोलियां चलाकर 22 बच्चों की हत्या कर दी’
बन्दूक का नंबर और मृतकों की संख्या बदल दें तो हर साल अमेरिका में ऐसी सैकड़ों घटनाएं होती है. इन्हें अंजाम देने वाले अधिकतर लोग मानसिक रोग से या किसी तनाव से ग्रस्त होते हैं. इन्हें खतरनाक हथियार नहीं बेचे जाने चाहिए. लेकिन अमेरिका में हथियार रखना आपका संवैधानिक अधिकार है. और साधारण रिवाल्वर से लेकर सेमिऑटोमैटिक राइफल जैसे खतरनाक हथियार भी बिना बैकग्राउंड चेक के आसानी से खरीदे बेचे जाते हैं. चूंकि बात मानसिक रोग की हो रही है, कभी-कभी मामला और आगे बढ़ जाता है. जैसा कि 17 मई, 1995 की उस शाम हुआ था. तमाम परेशानियों से घिरा एक शख्स इस कदर मानसिक अवसाद से ग्रस्त हो चुका था कि ये अवसाद विस्फोट में बदल गया. उसने आर्मी का टैंक चोरी कर डाला.

इस शख्स का नाम था. शॉन टिमथी नेल्सन. नेलसन की कहानी भी किसी आम शख्स की जैसे ही थी. स्कूल से कॉलेज और कॉलेज और फिर सेना में भर्ती. पहली तैनाती जर्मनी में हुई. जहां उसने टैंक चलाने की ट्रेनिंग ली. एक साल जर्मनी में रहने के बाद वो अमेरिका लौट आया. कुछ साल बाद उसने फौज की नौकरी छोड़ दी और प्लम्बिंग का धंधा शुरू कर लिया. धंधा खूब फैला फूला, उसने शादी की और अपना घरबार भी बसा लिया. सब कुछ ठीक चल रहा था.
एक एक्सीडेंट ने सब कुछ बदल दियाफिर एक रोज़ एक दुर्घटना ने शॉन की जिंदगी पूरी तरह बदल दी. एक एक्सीडेंट में शॉन की रीढ़ की हड्डी फ्रैक्चर हो गई. कुछ महीने बाद हड्डी तो जुड़ गई लेकिन दर्द पूरी तरह ठीक न हुआ. इस दर्द के चक्कर में वो चिड़चिड़ा हो गया, और दर्द कम करने के लिए ड्रग्स लेने लगा. यहां से शुरुआत हुई बर्बादी के एक लम्बे सिलसिले की.
-शॉन ने अस्पताल पर लापरवाही बरतने का केस किया, जहां उसका इलाज हुआ था. लेकिन उसे कोई सफलता नहीं मिली.
-इसी बीच उसकी मां की मौत हो गई. और ड्रग्स की आदत के चलते उसकी पत्नी भी उसे छोड़कर चली गई.
-उसकी मानसिक स्थिति बद से बदतर होती गई और अपनी हरकतों के चलते वो अपने इलाक़े में एक छोटा-मोटा सेलेब्रिटी बन गया.
-पड़ोसियों के अनुसार आधी रात वो अपने बगीचे में खुदाई करता था. और पूछने पर बताता था, सोना ढूंढ रहा है.
-उसने अपने पड़ोसियों से झगड़ा किया, जिसके चलते कई बार पुलिस बुलानी पड़ी.
इन सब दिक्कतों के बावजूद एक चीज़ थी, जिसने उसे बचाए रखा था. उसका प्लमबिंग का धंधा जो ठीक-ठाक चल रहा था. फिर साल 1995 में एक घटना हुई जिसने शॉन को पूरी तरह तोड़कर रख दिया. एक रोज़ चोर उसके आंगन में घुसे. उसकी वैन और प्लमबिंग के औज़ार चुराकर ले गए. उसका धंधा चौपट हो गया. और घर पर कुर्की का नोटिस चिपक गया. उसकी गर्लफ़्रेंड भी उसे छोड़कर चली गई. इस घटना ने शॉन को पूरी तरह तोड़कर रख दिया.

इसके तीन महीने बाद वो घटना हुई. सैन डिएगो शहर में आर्मी नेशनल गार्ड का एक आर्मी नेशनल गार्ड की आर्मरी यानी शस्त्रागार था. आमतौर पर शस्त्रागार के गेट 5 बजे बंद होते थे, लेकिन उस रोज़ गलती से वो खुला रह गया. ये तो नहीं पता कि शॉन नेल्सन उस रोज़ वहां किस इरादे से गया था लेकिन गेट खुला देख वो शस्त्रागार के अंदर घुस गया. अंदर टैंक थे. उसके एक क्रोबार के मदद से कई टैंक्स में दाखिल होने की कोशिश की. तीन असफल कोशिशों के बाद वो एक टैंक में दाखिल हो गया. ये 57 टन का एक M603 पैटन टैंक था. रिफ्रेंस के लिए समझिए कि 1965 युद्ध में पाकिस्तान ने इन्हीं पैटन टैंक्स के पहले M48 मॉडल का इस्तेमाल किया था.
कैसे रोका टैंक?टैंक चलाने में माहिर शॉन नेल्सन गेट तोड़ते हुए उसे शस्त्रागार से बाहर रोड तक ले आया. किस्मत अच्छी थी कि टैंक के गोले कहीं और रखे थे, इसलिए शॉन टैंक से फायर नहीं कर सकता था. इसके बावजूद स्थिति कम खतरनाक नहीं थी. शॉन ने टैंक आगे बढ़ाया. चलती हुई गाड़ियां तो उससे दूर भाग गई. लेकिन जो गाड़ियां खड़ी थी, उसका उसने कचूमर निकाल दिया. रोड पर बने एक पुल के खम्बे पर उसने बार-बार टैंक से वार किए लेकिन उसे गिरा नहीं पाया. अब तक पूरे शहर को खबर लग चुकी थी. पुलिस और मीडिया, दोनों शॉन के पीछे थे. करीब 10 किलोमीटर तक पुलिस उसके पीछे लगी रही. लेकिन वो बेबस थे.
पुलिस की गाड़ी टैंक को नहीं रोक सकती थी और उनके पास ऐसा कोई हथियार भी न था जो टैंक की सतह को भेद सके. उधर शॉन टैंक आगे बढ़ाए जा रहा था. 40 कारों को बर्बाद करने के अलावा उसने बिजली के कई खम्बे तोड़ डाले, जिससे इलाके में बिजली गायब हो गई. पुलिस लाचार ये सब देख रही थी. उनके पास सेना को बुलाने के अलावा कोई चारा नहीं था. सेना को बुलाने की प्लानिंग हो ही रही थी कि अचानक शॉन ने टैंक एक रोड डिवाइडर पर चढ़ा दिया और उसकी पगडंडियां उतर गईं.

मौका देखते ही चार पुलिसवाले टैंक पर चढ़े और बोल्टकटर से टैंक के ऊपर का हैच खोल दिया. नेल्सन अंदर था लेकिन अभी भी सरेंडर करने से इंकार कर रहा था. उसने टैंक को घुमाकर पुलिसवालों को गिराने की कोशिश की. पुलिस अंदर घुस सकती थी लेकिन पक्का नहीं था कि शॉन के पास कोई हथियार है या नहीं. ये देखते हुए पुलिस ने उसे गोली मार दी. शॉन को अस्पताल ले जाया गया लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई. पूरा घटनाक्रम - 23 मिनट तक चला. लेकिन किस्मत से इस दौरान किसी को चोट नहीं आई. टूटा हुआ टैंक कई दिन तक रोड पर ही पड़ा रहा. आखिर में उसे सेना अपने साथ ले गई.
अवसाद को अक्सर हम हवा में उड़ा देते हैं लेकिन ये घटना बताती है कि मानसिक रोग और अवसाद जैसी चीजें एक व्यक्ति और उसके आसपास के लिए खतरनाक भी साबित हो सकती हैं. खासकर ऐसे देश में जहां इंसान के लिए हथियार खरीदना बच्चों का खेल हो.
वीडियो: तारीख: जब 100 KM कार से पीछा कर बिन ड्राइवर दौड़ती ट्रेन रोक दी!