The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Lallankhas
  • 16 December: the movie which added thrill in Indian cinema

16 दिसंबर, जब दोस्त ख़ान के न्यूक्लियर बम से दिल्ली को बचाया गया था

आज ही के दिन बदला था दुल्हन की विदाई का वक़्त.

Advertisement
Img The Lallantop
दोस्त ख़ान बने थे हिंदी सिनेमा के बैड मैन गुलशन ग्रोवर.
pic
मुबारक
16 दिसंबर 2017 (Updated: 16 दिसंबर 2017, 06:47 AM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
16 दिसंबर! ये तारीख़ याद है? आज ही के दिन दुल्हन की विदाई का वक़्त बदला था. थ्रिलर फिल्मों के इतिहास का सबसे ज़्यादा ख़ून पीने वाला, झिलाऊ क्लाइमेक्स देखा तो होगा ही सबने! न याद आ रहा हो, तो हम याद दिलाते हैं.
एक हैं भाई साहब दोस्त ख़ान. पाकिस्तान से आए हैं. 1971 की जंग में जो करारी शिकस्त भारतीय सेना ने पाकिस्तान को दी थी उससे तिलमिलाए हुए हैं. बदला लेना चाहते हैं. एक अजीब सी शक्ल का न्यूक्लियर बम लिए भारत आए हैं. म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट में छिपा ये मिसाइल नुमा बम लेकर एक म्यूजिक कॉन्सर्ट में घुस गए हैं और मार-धाड़, गोली-बारी के बीच उसे एक्टिवेट भी कर चुके हैं. कुछ ही मिनटों में बम फटने वाला है और दिल्ली तबाह होने वाली है.
दोस्त ख़ान विथ न्यूक्लियर बॉम्ब.
दोस्त ख़ान विथ न्यूक्लियर बॉम्ब.

दूसरी तरफ मेजर वीर विजय सिंह की टीम उनके मंसूबे नाकामयाब करने के लिए कमर कसे हुए है. उन्होंने बम बरामद कर लिया है और एक नन्हे बालक से उसका कोड क्रैक करवा लिया है. बालक के नाम पर चौंकिए मत! इंटेलीजेंट कहलाने वाली भारतीय थ्रिलर फिल्मों में भी ऐसी चीज़ें करनी पड़ती हैं. खैर, कोड पता चल गया है. कोड है, 'दुल्हन की विदाई का वक़्त बदलना है.'
लेकिन रुकिए, अभी ट्विस्ट बाकी है. एक छोटी सी दिक्कत है बम डिफ्यूज़ करने में. बम वॉइस कमांड से चलता है. यानी की जब दोस्त ख़ान अपनी आवाज़ में ये कोड बोलेंगे तभी बम डीएक्टिवेट होगा. अब उनसे बुलवाए तो बुलवाए कैसे? वो तो भयंकर ज़िद्दी आदमी है. कहता है गोली मार दो लेकिन बम तो फट के रहेगा. ऐसे में उसकी आवाज़ में कोड उगलवाने के लिए की गई बचकानी जद्दोजहद पूरी फिल्म की इंटेलीजेंट टोन पर झाड़ू फेर देती है. उनसे ढेर सारी बातें बुलवा कर, उनमे से अपने मतलब के शब्द छांट-छांट कर कोड असेम्बल किया जाता है. तब जा कर बचती है दिल्ली.
'16 दिसंबर' का पोस्टर जिसे मणि शंकर ने डायरेक्ट किया था.
'16 दिसंबर' का पोस्टर जिसे मणि शंकर ने डायरेक्ट किया था.

'16 दिसंबर' नाम से बनी ये फिल्म इस बचकाने क्लाइमेक्स के अलावा शानदार थी. उस ज़माने में ऐसी फिल्म पेड़ों के पीछे रोमांस देखने से उकताए हुए लोगों के लिए वेलकम ब्रेक थी. बस कुछ कुछ दृश्यों में बॉलीवुडकरण अखरता था. जैसे विक्टर बने सुशांत सिंह का लहूलुहान हालत में 'भारत माता की जय' वाला जयकारा लगाना. ये बात और है कि इसके बावजूद भी वो मर गया था.
sushant
सुशांत सिंह उर्फ़ विक्टर उर्फ़ एजेंट ब्रावो.

आज काले धन के मुद्दे पर मचे हाहाकार के बीच ये याद आता है कि इस फिल्म में भी हमारी जांबाज़ टीम काले धन की बरामदगी के ही मिशन पर होती है. वहां से लिंक दर लिंक वो जा पहुंचती है दोस्त ख़ान के पास, जो अपनी 'दुल्हन' लेकर ससुराल आया है. अच्छा है सन 2002 में ही कुछ भले आदमियों ने दुल्हन की विदाई का वक़्त बदल दिया था. वरना हम दिल्लीवासी इस वक़्त नोटबंदी का मज़ा कैसे ले पाते?
देखिये वो चमत्कारी क्लाइमेक्स जहां बदला जा रहा है दुल्हन की विदाई का वक़्त:
https://youtu.be/ew8e2pjTZvg?t=196


ये भी पढ़ें:
वो एक्टर, जिसने शाहरुख़ ख़ान की फर्जी डिग्री बनवा दी थी

शशि कपूर की वो पांच फ़िल्में जो आपको बेहतर इंसान बना देंगी

वो एक्ट्रेस, जिसके दो गाने घर-घर, गली-गली, ट्रक, टेम्पो, बस में खूब बजे लेकिन हमने भुला दिया

वीडियो:गुजरात के इस शहर में पाकिस्तान क्यों मुद्दा है?

Advertisement