यह विवाद 4 सितंबर को कानपुर में बारावफात (ईद-ए-मिलाद-उन-नबी) के जुलूस के दौरानशुरू हुआ, जब रास्ते में नारे वाला एक बैनर लगाया गया.स्थानीय हिंदू समूहों ने इसपर आपत्ति जताई और आरोप लगाया कि एक "नई परंपरा" शुरू की जा रही है.पुलिस नेहस्तक्षेप किया, पारंपरिक व्यवस्था बहाल की और स्पष्ट किया कि बैनर के लिए कोईप्राथमिकी दर्ज नहीं की गई थी.इसके बजाय, जुलूस के मार्ग की परंपराओं को बदलने औरपोस्टर फाड़ने के आरोप में मामले दर्ज किए गए, जिससे समुदायों के बीच तनाव बढ़ गया.जल्द ही, यह मुद्दा तूल पकड़ गया.कानपुर से लेकर लखनऊ, बरेली, उन्नाव, हैदराबाद,काशीपुर और उससे आगे तक, विरोध प्रदर्शन और रैलियां शुरू हो गईं. एआईएमआईएम प्रमुखअसदुद्दीन ओवैसी द्वारा 15 सितंबर को नारे का बचाव करते हुए ट्वीट किया. कानपुर कीघटना कैसे हुई? पुलिस क्यों ज़ोर दे रही है कि प्राथमिकी बैनर के बारे में नहीं थी?और यह मुद्दा राज्यों में कैसे फैला? जानने के लिए देखें वीडियो.