चायवाले ने हर दिन 10-10 का सिक्का इकठ्ठा किया, बेटी को स्कूटी दिलाने पहुंचा शोरूम
बच्छू पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले का रहने वाला है. मिदनापुर के एक गांव में उनकी छोटी सी चाय की दुकान है. बेटी का सपना पूरा करने के लिए बच्छू ने हर रोज़ एक डब्बे में 10 का सिक्का डालना शुरू किया.

'मां-बाप अपने बच्चों के लिए रोल मॉडल होते हैं'. इस बात की बानगी पेश करते हैं पश्चिम बंगाल के बच्छू चौधरी. उन्होंने 4 साल तक हर रोज़ अपनी रोज़ की कमाई से 10-10 के सिक्के इकठ्ठा किए. क्यों? क्योंकि एक बेटी ने अपने पिता से कुछ मांगा था. एक छोटी सी ख्वाहिश को पिता ने मज़ाक में नहीं टाला. उसे पूरा करने के लिए हर मुमकिन कोशिश की और आखिरकार शनिवार, 9 नवंबर को अपनी बेटी की ख्वाहिश पूरी की.
लेकिन कहानी सिर्फ इतनी नहीं हैबच्छू पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले का रहने वाला है. मिदनापुर के एक गांव में उनकी छोटी सी एक दुकान है. चाय की दुकान. आजतक से जुड़े शेख सहाजन अली की रिपोर्ट के मुताबिक़, कुछ साल पहले उनकी बेटी ने उनसे स्कूटी खरीदने की ज़िद की. लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उस वक़्त ये मुमकिन नहीं था. इसीलिए बच्छू ने बूंद-बूंद से घड़ा भरा.
एक ड्रम के साइज़ का बड़ा सा डब्बा लिया. उसमें हर रोज़ एक 10 का सिक्का डालते गए. 4 साल तक हर रोज़ ये करने के बाद आखिरकार वो घड़ा भर गया. अब उस घड़े को लेकर बच्छू सीधे स्कूटी शोरूम पंहुच गए. उसके बाद जो हुआ उसने सबका दिल जीत लिया.

बच्छू चौधरी ने कहा,
शोरूम में क्या हुआ?मेरी बेटी ने मुझसे स्कूटी खरीदने की ज़िद की. इसीलिए मैं थोड़ा-थोड़ा करके पैसे बटोरने लगा. मैं डब्बा लेकर सीधे शोरूम चला गया. मुझे लगा नहीं था कि मेरे पास इतने पैसे होंगे. लेकिन वहां देखा तो मेरे पास पैसे थे. शोरूम में सभी लोग मुझे देख के हैरान थे.
बच्छू स्कूटी खरीदने चंद्रकोणा टाउन के गोसाई बाज़ार के मोटरबाइक शोरूम गया. शोरूम के इंचार्ज अरिंदम ने बताया,
एक आदमी हमारे शोरूम में आया और उसने कहा कि उसे बाइक खरीदनी है. फिर उसने कहा कि उसके पास छुट्टे पैसे हैं जिन्हें वो किश्तों में देगा. हम उसपर भी राज़ी हो गए. उसने कहा कि उसके पास लगभग 40,000 रूपए होंगे.

शोरूम इंचार्ज ने बताया कि बच्छू ड्रम जितना बड़ा डब्बा लेकर आ गया. जिसे देखकर शोरूम के लोग हैरान रह गए. अरिंदम ने आगे कहा,
डब्बा इतना भारी था कि एक अकेला इंसान इसे उठा नहीं पाया. हमें कुल 8 लोग लगे तब जाकर डब्बे को खाली कर गिनती शुरू हुई. ड्रम में 10 के सिक्के थे जिन्हें गिनने पर कुल 69,000 रूपए बनें. डब्बे में कुछ नोट भी थे उन्हें भी गिना. कुल मिलाकर ड्रम में 1 लाख 10 हज़ार रूपए थे.
शोरूम के 8 कर्मचारियों को पूरे पैसे की गिनती करने में कुल 2 घंटे 25 मिनट लगे. बच्छू के इस काम ने सबके दिल को छू लिया.
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