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इस स्कूल में धर्म के आधार पर बंटी रसोई, खाना, बर्तन... मिड-डे मील भी अलग-अलग औरतें बना रहीं

ये मामला पश्चिम बंगाल के बर्धमान ईस्ट जिले के एक प्राइमरी स्कूल का है. स्कूल में कुल 72 छात्र हैं. इनमें 29 मुस्लिम और 43 हिंदू हैं. यहां हिंदू बच्चों के लिए हिंदू महिला खाना बनाती है. वहीं, मुस्लिम बच्चों के लिए मुस्लिम महिला खाना बनाती है. ये सब 20 साल से हो रहा था. अब खुली बात.

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West Bengal: Controversy Sparks On Cooking Separate Meals For Students Based On Religion
बर्धमान जिले में मौजूद है किशोरीगंज मनमोहनपुर प्राथमिक स्कूल. (फोटो- इंडिया टुडे)
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रिदम कुमार
25 जून 2025 (Published: 03:35 PM IST) कॉमेंट्स
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पश्चिम बंगाल (West Bengal) के एक प्राइमरी स्कूल में धर्म के आधार पर छात्रों के लिए अलग-अलग खाना बनाए जाने का मामला सामने आया है. खाने के बर्तन, खाना बनाने वाले तक अलग-अलग हैं. ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है बल्कि कई सालों से होता आ रहा है. इसे लेकर विवाद भी शुरू हो गया है. मामला सामने आने के बाद प्रशासन ने जांच के आदेश दे दिए हैं.

इंडिया टुडे से जुड़ीं सुजाता मेहरा की रिपोर्ट के मुताबिक, मामला बर्धमान ईस्ट जिले के नादान घाट के किशोरीगंज मनमोहनपुर प्राथमिक स्कूल का है. हिंदू बच्चों के लिए हिंदू व्यक्ति खाना बनाता है. वहीं, मुस्लिम बच्चों के लिए मुस्लिम व्यक्ति खाना बनाता है. इतना ही नहीं, एकसाथ बेंच पर बैठकर पढ़ने वाले इन बच्चों की प्लेट, कटोरी, चम्मच से लेकर गैस और ओवन भी धर्म के आधार पर बांट दिए गए हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में पूर्व बर्धमान की जिला मजिस्ट्रेट आयशा रानी के हवाले से बताया गया कि स्कूल में एक जांच टीम को भेजा है. जांच की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी. स्कूल में कुल 72 छात्र हैं. इनमें 29 मुस्लिम और 43 हिंदू हैं. स्कूल के अधिकारियों और खाना बनाने वालों का दावा है कि यह व्यवस्था साल 2000 से चल रही है.

स्कूल के हेडमास्टर तपस घोष ने एक्सप्रेस को बताया कि छात्र एक साथ पढ़ते हैं. एक ही क्लास में पढ़ते हैं. लेकिन खाना अलग-अलग बनाया और परोसा जाता है. यह सालों से चल रहा है. वह एक साल पहले स्कूल में आए थे. उन्होंने इस प्रथा को बंद करने की कोशिश की. लेकिन कामयाब नहीं हो पाए. 

खाना बनाने वालों ने भी अलग-अलग खाना पकाने और परोसने की पुष्टि की. मुस्लिम छात्रों के लिए खाना बनाने वाली रानू बीबी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वह साल 2000 में मिड डे मील स्कीम शुरू होने के बाद से मुस्लिम छात्रों के लिए खाना बना रही हैं. यहां बच्चों के बर्तन और प्लेट भी अलग-अलग हैं. 

हिंदू बच्चों के लिए खाना बनाने वाली सोनाली मजूमदार ने अख़बार को बताया कि गैस कनेक्शन एक है. लेकिन खाना बनाने की जगह से लेकर बर्तन तक बाकी सब कुछ अलग-अलग है.

रिपोर्ट में पूर्व हेडमास्टर गोविंदा भद्र का बयान भी छपा है. वह 2002 से 2022 तक स्कूल के हेड मास्टर थे. उनका कहना है कि यह व्यवस्था शुरू से चली आ रही है. तब सिर्फ़ एक ही खाना बनाने वाला था. लेकिन इस पर समुदाय ने विरोध जताया था. इसके बाद से अलग-अलग खाना बनाने वाले रखे गए. उन्होंने इस बारे में प्रशासन को बताया था. लेकिन कोई एक्शन नहीं हुआ.  

वहीं, स्थानीय पंचायत नेताओं का कहना है कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है. वे गांव के लोगों से बात करेंगे. सुनिश्चित करेंगे कि यह प्रथा बंद हो जाए. 

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