वैष्णोदेवी मंदिर के दान से बने मेडिकल कॉलेज में मुस्लिम स्टूडेंट ज्यादा? VHP–बजरंग दल सड़क पर
Vaishno Devi Medical Institute Admission Row: विश्व हिंदू परिषद ने संस्थान में 2025-26 सत्र के एडमिशन रोकने की मांग की है. वहीं कहा है कि अगले सत्र में संस्थान यह सुनिश्चित करे कि फिर यह गलती न हो. जानिए क्या है पूरा मामला और एडमिशन पर क्यों मचा है बवाल.

जम्मू-कश्मीर के कटरा के श्री माता वैष्णोदेवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस में अधिकतर मुस्लिम छात्रों को एडमिशन देने को लेकर बवाल शुरू हो गया है. बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद, VHP जैसे हिंदू वादी संगठनों ने इसके खिलाफ गुरुवार, 20 नवंबर को भारी विरोध प्रदर्शन किया. इसमें बड़ी संख्या में लोग इंस्टीट्यूट के बाहर इकट्ठा हुए थे. प्रदर्शनकारियों ने इंस्टीट्यूट के बाहर वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर का पुतला भी फूंका.
क्यों हो रहे हैं प्रदर्शन?इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार प्रदर्शन कर रहे संगठनों की मांग है कि संस्थान के पहले बैच के स्टूडेंट्स की एडमिशन लिस्ट रद्द कर दी जाए. उनका दावा है कि इसमें 90 फीसदी मुस्लिम हैं. संगठनों का कहना है कि संस्थान में हिंदूओं के लिए सीट आरक्षित होनी चाहिए. रिपोर्ट के मुताबिक उधमपुर के भाजपा विधायक आर एस पठानिया ने भी VHP और बजरंग दल की मांग का समर्थन किया है. उनका कहना है कि वैष्णो देवी मंदिर को मिले दान से बने संस्थान में मुस्लिम समुदाय के लोगों का दबदबा नहीं होना चाहिए. उन्होंने भी संस्थान में हिंदू छात्रों के लिए सीट आरक्षित करने की मांग की.
हालांकि रिपोर्ट में बताया गया है कि नियमों के तहत किसी समुदाय को संस्थान में आरक्षण देना संभव नहीं है, क्योंकि वैष्णोदेवी मेडिकल इंस्टीट्यूट को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा नहीं दिया गया है. रिपोर्ट के अनुसार इससे पहले जम्मू-कश्मीर बोर्ड ऑफ प्रोफेशनल एंट्रेंस एग्ज़ामिनेशंस (JKBOPEE) ने वैष्णोदेवी मेडिकल इंस्टीट्यूट में एडमिशन के लिए 50 उम्मीदवारों के लिस्ट को मंजूरी दी थी. इनमें से 42 छात्र कश्मीर के रहने वाले थे. वहीं आठ छात्र जम्मू के थे. इनमें से कश्मीर के 36 और जम्मू के तीन छात्रों ने एडमिशन भी ले लिया है.
एडमिशन रोकने की मांगविश्व हिंदू परिषद के जम्मू-कश्मीर ईकाई के अध्यक्ष राजेश गुप्ता ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि संस्थान के 2025-26 सत्र के एडमिशन रोक देने चाहिए. उन्होंने मांग की कि मैनेजमेंट को अपनी गलती सुधारनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अगले सत्र में ऐसा न हो. उन्होंने जारी की गई 50 छात्रों की सूची को “मेडिकल कॉलेज का इस्लामीकरण करने की साज़िश” बताया. वहीं रिपोर्ट में संस्थान के अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि एडमिशन सही तरीके से किए गए हैं. और नेशनल मेडिकल काउंसिल (NMC) की गाइडलाइंस के अनुसार ही हैं. जिसके मुताबिक 85% सीटें जम्मू-कश्मीर के निवासियों के लिए आरक्षित होनी चाहिए और 15% सीटें देश के बाकी हिस्सों के कैंडिडेट्स के लिए होनी चाहिए.
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उपराज्यपाल से भी दखल देने की मांगइससे पहले VHP के महामंत्री बजरंग बागड़ा ने 1 नवंबर को जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को एक पत्र लिखकर इस मामले में दखल देने की मांग की थी. उन्होंने पत्र में यह भी दावा किया था कि नर्सिंग कॉलेज के अधिकांश फैकल्टी मेंबर्स मुस्लिम या ईसाई हैं. उन्होंने कहा कि ये तथ्य न केवल धार्मिक मान्यताओं के विपरीत है, बल्कि स्थानीय और व्यापक हिंदू समुदाय की भावनाओं को गहराई से आहत करते हैं.
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