BJP से यूपी छीन लेगा SIR? शहरी वोटर्स के 'देहाती प्रेम' ने पार्टी की नींद उड़ाई
Uttar Pradesh SIR: उत्तर प्रदेश के करीब 17.7 फीसदी वोटर फाइनल वोटर लिस्ट से हट सकते है. अनुमान है कि यह संख्या तकरीबन 2.45 करोड़ है. जिन लोगों के फॉर्म जमा नहीं हुए, वे शहरी क्षेत्र से माने जा रहे हैं, जहां BJP अपनी जबरदस्त पकड़ रखती है.

उत्तर प्रदेश 2027 विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए नई मुसीबत खड़ी हो गई है. वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) से BJP की एक मजबूत कड़ी ढीली होने के कगार पर है. बताया जा रहा है कि पार्टी के परंपरागत शहरी वोटर्स बड़ी संख्या में गांव में शिफ्ट हो सकते हैं. इन्हीं के दम पर BJP चुनावों में शहरी क्षेत्रों में दमदार प्रदर्शन करती रही है. लेकिन SIR प्रक्रिया के चलते उसके कोर वोटर्स छिन सकते हैं.
इंडिया टुडे से जुड़े कुमार अभिषेक की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के करीब 17.7 फीसदी वोटर फाइनल वोटर लिस्ट से हट सकते है. अनुमान है कि यह संख्या तकरीबन 2.45 करोड़ है. उत्तर प्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारी नवदीप रिणवा ने बताया कि SIR के करीब 17 फीसदी गणना फॉर्म बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) को वापस जमा नहीं हुए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक जिन लोगों के फॉर्म जमा नहीं हुए, वे शहरी क्षेत्र से माने जा रहे हैं, जहां BJP अपनी जबरदस्त पकड़ रखती है.
अब ऐसा नहीं है कि शहरी वोटर गायब हो गए हैं. रिपोर्ट की मानें तो ये शहरी वोटर, मतदाता के तौर पर अपनी 'देहाती' पहचान नहीं खोना चाहते. यही BJP के लिए सिरदर्दी बन गया है.
SIR की प्रक्रिया में डुप्लीकेट वोटरों पर तगड़ी सख्ती बरती जा रही है. एक वोटर एक ही जगह का मतदाता बन सकता है. ऐसे में बड़ी तादाद में शहरों के वोटरों ने अपना नाम गांव की मतदाता सूची में ही रखने को तरजीह दी है.
शहरी लोगों के लिए गांव को तरजीह देने से उपजी चुनौती को BJP समझ रही है. शहरों में जो उसे थोक के वोट मिल रहे थे, उसमें भारी कमी आ सकती है. लोगों ने जमीन-जायदाद और पंचायत चुनाव जैसे मामलों को देखते हुए शहर के बजाय अपने पुश्तैनी गांव का वोटर रहना ही पसंद किया है.
लखनऊ, वाराणसी, गाजियाबाद, नोएडा, आगरा, मेरठ और 2 टियर सिटी में भी शहरी वोट कट रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, अयोध्या में 4,100 और लखनऊ में करीब 2.2 लाख वोटरों के नाम हट सकते हैं. ऐसे में BJP के लिए चिंता में डूबना तय है.
सबसे ज्यादा प्रयागराज में, 2.4 लाख वोटरों पर तलवार चल सकती है. fनमें भी इलाहाबाद नॉर्थ, इलाहाबाद साउथ, इलाहाबाद कैंट में सबसे ज्यादा वोट कटने का खतरा है. गाजियाबाद में करीब 1.6 लाख और सहारनपुर में लगभग 1.4 लाख वोट कट सकते हैं.
माना जा रहा है कि पिछले दो दशकों में बड़ी तादाद में लोगों का उत्तर प्रदेश से बाहर पलायन, बड़ी तादाद में लोगों की मौत, डुप्लीकेट वोटर और फर्जी वोटरों के बाहर होने की वजह से इतनी बड़ी संख्या में नाम कट सकते हैं. हालांकि, शहरी वोटरों के अपने पुश्तैनी गांव में अपना मूल वोट रखने की ललक BJP के लिए परेशानी का सबब है.
रिपोर्ट के मुताबिक मतदाता सोचते हैं कि जब एक ही वोट रखने की शर्त है (जो पहले से है, लेकिन अब ज्यादा सख्ती है), तो लोगों का मानना है कि गांव में ही अपना वोट क्यों ना रहने दिया जाए. यहां पुश्तैनी जमीन भी है और पंचायती चुनाव लड़ने का मन करे, तो गांव में ही वोट होना बेस्ट है.
आशंका को भांपते हुए BJP भी एक्टिव हो गई. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दोनों मुख्यमंत्री- केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह ने सभी सांसदों-विधायकों और संगठन के पदाधिकारियों को शहरी वोटर को मनाने में लगा दिया है, ताकि उनके वोटर्स शहर में ही रहें. पार्टी इसकी कड़ाई से निगरानी भी कर रही है.
BJP के लिए शहरी वोटर अहम क्यों?
BJP के लिए शहरी वोटों की अहमियत का अंदाजा इस बाद से लगाया जा सतका है कि उत्तर प्रदेश के सभी 17 नगर निगमों पर BJP के मेयर हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने इलाहाबाद लोकसभा सीट 58,795 वोटों से जीती थी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पार्टी के नेताओं का मानना है कि 2 लाख वोटरों के जाने से BJP के लिए 2027 के विधानसभा चुनाव में अपनी जमीन वापस पाना चुनावी तौर पर मुश्किल हो सकता है. भले ही यह माना जाए कि पते बदलने वालों में से सिर्फ एक चौथाई ही पार्टी के वोटर हैं.
2017 में सत्ता में आने के बाद से BJP उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बड़ी ताकत बनी है, लेकिन शहरी इलाके हमेशा से उसकी ताकत रहे हैं. यह पैटर्न पिछले कुछ चुनावों में भी बना रहा है.
2024 के लोकसभा चुनावों में जब पार्टी की सीटें 62 से घटकर 33 रह गईं, तब भी BJP ने 17 शहरी सीटों में से 12 जीती थीं. समाजवादी पार्टी (SP) को सिर्फ 3 सीटों- फैजाबाद (अयोध्या), फिरोजाबाद और मुरादाबाद पर जीत मिली थी. कांग्रेस ने इलाहाबाद और सहारनपुर पर कब्जा किया था.
2022 के विधानसभा चुनावों में भी BJP ने शानदार प्रदर्शन दोहराया था. पार्टी ने 86 शहरी विधानसभा सीटों में से 65 जीती थीं, जबकि SP ने 18 जीती थीं. BJP की सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) के खाते में 3 शहरी सीटें आई थीं.
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