ठाकुर विधायकों के 'कुटुंब' के बाद ब्राह्मणों का 'सहभोज', यूपी की सियासत में क्या 'पक' रहा है?
UP Brahmin MLAs Meet: कुशीनगर के भाजपा विधायक पीएन पाठक के लखनऊ स्थित आवास पर 45-50 ब्राह्मण विधायकों की बैठक हुई. इसमें भाजपा समेत अन्य पार्टियों के विधायक भी शामिल हुए. इससे पहले अगस्त में यूपी में 40 क्षत्रिय विधायकों ने भी मिलकर एक बैठक की थी. इस बैठक को कुटुंब नाम दिया गया था.

उत्तर प्रदेश में क्षत्रिय विधायकों के 'कुटुम्ब' के बाद अब ब्राह्मण विधायक भी अपनी एकजुटता बढ़ा रहे हैं. इसे लेकर मंगलवार, 23 दिसंबर को प्रदेश के कई ब्राह्मण विधायकों ने बैठक भी की. खास बात यह है कि बैठक में केवल भाजपा नहीं, बल्कि अन्य पार्टियों के ब्राह्मण विधायकों ने भी हिस्सा लिया.
दैनिक भास्कर के मुताबिक मंगलवार को कुशीनगर के भाजपा विधायक पीएन पाठक के लखनऊ स्थित आवास पर 45-50 ब्राह्मण विधायकों की बैठक हुई थी. इनमें से अधिकतर विधायक पूर्वांचल और बुंदेलखंड क्षेत्र के थे. बैठक में देवरिया विधायक शलभ मणि त्रिपाठी, एमएलसी साकेत मिश्रा, नौतनवां विधायक ऋषि त्रिपाठी, तरबगंज से विधायक प्रेमनारायण पांडेय, मिर्जापुर विधायक रत्नाकर मिश्रा, बांदा विधायक प्रकाश द्विवेदी, बदलापुर विधायक रमेश मिश्रा, खलीलाबाद विधायक अंकुर राज तिवारी और मेहनौन विधायक विनय द्विवेदी समेत कई अन्य विधायक बैठक में शामिल हुए.
पहले भी बनाई गई थी योजनामालूम हो कि यूपी विधानमंडल का शीतकालीन सत्र चल रहा है. इस बीच ब्राह्मण विधायकों की बैठक और एकजुटता का संदेश अहम माना जा रहा है. लल्लनटॉप के राजनीतिक संपादक पंकज झा ने बताया,
किन मुद्दों पर हुई चर्चा?पिछली बार जब ठाकुर विधायकों की लगातार तीन बैठकें हुई थीं, उसी दौरान ब्राह्मण विधायक भी अपनी एक बैठक करना चाहते थे. इसके लिए दिल्ली में एक सांसद से भी संपर्क किया गया था. साथ ही योगी सरकार के दो मंत्रियों से भी संपर्क साधा गया था कि आप हमारा नेतृत्व करें, लेकिन इन लोगों ने मना कर दिया था. इसके बाद बैठक नहीं हो पाई. ऐसे में जब यूपी विधानमंडल का सत्र हुआ तो ब्राह्मण विधायकों ने एक बैठक करने का निर्णय लिया. इसका नाम दिया गया सहभोज.
पंकज झा के मुताबिक यूपी विधानमंडल का सत्र मंगलवार यानी 23 दिसंबर को खत्म होना था. हालांकि उसे बुधवार तक के लिए बढ़ा दिया गया. ऐसे में ब्राह्मण विधायकों ने मंगलवार को बैठक रखी. बैठक में मुख्य रूप से चर्चा की गई कि हमारे मुद्दों को कहां रखा जाए, क्योंकि हमारा कोई प्रतिनिधि नहीं है, जो सरकार तक हमारी बात को पहुंचाए. बैठक में कुछ विधायकों का यह भी कहना था कि थानेदार से लेकर डीएम, एसपी तक उनकी बात नहीं सुनी जाती, और यह मुद्दा केवल केवल ब्राह्मणों का नहीं, सभी बिरादरी के लोगों का है. पंकज झा ने बताया,
ब्राह्मण विधायकों का मानना है कि एक समय में भाजपा में हमारी पूछ होती थी, मान सम्मान होता था, लेकिन आज ऐसा लगता है कि आज सरकार और संगठन में हमें हल्के में लिया जाता है. माना जाता है कि ब्राह्मण समाज कहां जाएगा, भाजपा के साथ ही रहेगा. और चूंकि हम में एकजुटता नहीं है, इस वजह से हमारी सुनवाई नहीं है. इसलिए बैठक इस टोन पर खत्म हुई कि हमारी एकजुटता दिखनी चाहिए.
गौर करने वाली बात यह भी रही कि ब्राह्मण विधायकों की बैठक में सरकार का कोई मंत्री नहीं आया. पंकज झा के मुताबिक ठाकुर विधायकों की जब बैठक हुई थी, तब दयाशंकर सिंह से लेकर जयवीर सिंह तक शामिल हुए थे. पर ब्राह्मण विधायकों की बैठक में सरकार में शामिल कोई नहीं पहुंचा. उन्हें कहीं न कहीं डर था कि इससे कुछ नुकसान न हो. बहरहाल, बैठक का नतीजा यह रहा कि सभी विधायकों ने मिलकर कुछ फैसले लिए. यह फैसले हैं-
- ब्राह्मण समाज को संगठित करना है.
- सोशल मीडिया पर सक्रियता बढ़ानी है.
- हर दो महीने पर बैठक होनी चाहिए.
- हर जिले में एक प्रेशर ग्रुप बनाना चाहिए.
- जिसकी जितनी संख्या भारी, उतनी हिस्सेदारी वाला फॉर्मूला लागू हो.
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बताते चलें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा में इस समय 52 ब्राह्मण विधायक हैं. इनमें से 46 विधायक भाजपा के हैं. इससे पहले अगस्त में यूपी में 40 क्षत्रिय विधायकों ने भी मिलकर एक बैठक की थी. इस बैठक को कुटुंब नाम दिया गया था. तब विधान परिषद के सदस्य जयपाल सिंह और मुरादाबाद की कुंदरकी से विधायक ठाकुर रामवीर सिंह की ओर से लखनऊ के पांच सितारा होटल में क्षत्रिय विधायकों के लिए दावत रखी गई थी. इसमें भाजपा के साथ-साथ सपा और अन्य पार्टियों के विधायक भी शामिल हुए थे.
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