'88 लाख रुपये के H1B वीजा से AI तकनीक और भारत से रिश्तों पर खतरा', अमेरिकी सांसदों की चेतावनी
India US Relations: डॉनल्ड ट्रंप ने बाहरी लोगों की एंट्री पर पाबंदी लगाने के मकसद से H-1B वीजा पर भारी-भरकम फीस लगा दी है. अमेरिकी सांसदों ने इस कदम को अमेरिका के इनोवेशन इकोसिस्टम को कमजोर करने वाला कदम बताया है.

अमेरिकी सांसदों के एक ग्रुप ने राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से H-1B वीजा पर अपने हालिया ऐलान पर फिर से विचार करने की अपील की है. उन्होंने चेतावनी दी है कि नई 1 लाख डॉलर (लगभग 88.11 लाख रुपये) की फीस से अमेरिका की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टेक्नोलॉजिकल लीडरशिप और भारत के साथ उसकी रणनीतिक साझेदारी दोनों को नुकसान होगा.
सांसदों ने कब लिखा पत्र?इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुवार 30 अक्टूबर को भेजे गए एक लेटर में सांसद जिमी पैनेटा, अमी बेरा, सैल्यूड कार्बाजल और जूली जॉनसन ने ट्रंप से 19 सितंबर के अपने ऑर्डर को सस्पेंड करने की अपील की है. ट्रंप ने बाहरी लोगों की एंट्री पर पाबंदी लगाने के मकसद से H-1B पिटीशन पर भारी-भरकम फीस लगा दी है. सांसदों ने इस कदम को अमेरिका के इनोवेशन इकोसिस्टम को कमजोर करने वाला कदम करार दिया है.
क्या लिखा पत्र में?पत्र में सांसदों ने लिखा,
“H-1B वीजा प्रोग्राम न केवल अमेरिका की अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और प्रतिस्पर्धा के लिए जरूरी है, बल्कि यह भारत और अमेरिका के रिश्ते के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है.”
पत्र में चेतावनी दी गई है कि ये पाबंदियां हाई-स्किल्ड टैलेंट को हतोत्साहित करेंगी. यह भारत के लिहाज से इसलिए भी खास है क्योंकि पिछले साल सभी H-1B वीजा होल्डर्स में से 71 प्रतिशत भारतीय थे. सांसदों ने पत्र में आगे कहा,
“H-1B पाने वालों में सबसे बड़ा हिस्सा भारतीयों का है. इसी के मद्देनजर इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में अमेरिका की लीडरशिप के लिए ये बहुत जरूरी हैं. ऐसे समय में जब चीन AI और एडवांस्ड टेक्नोलॉजी में तेजी से निवेश कर रहा है हमें (US को) दुनिया के सबसे अच्छे टैलेंट को देश में आने से रोकना नहीं चाहिए.”
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स्टार्टअप्स को लेकर भी चेतायासांसदों ने चेतावनी दी कि 1 लाख डॉलर की फीस H-1B वीजा को बड़ी कंपनियों तक सीमित कर देगी. छोटे स्टार्टअप और रिसर्च संस्थान, जो विदेशी एक्सपर्ट्स पर निर्भर हैं, उन्हें इसका नुकसान होगा.
पत्र में डिप्लोमैटिक रिश्तों को लेकर भी आगाह किया गया है. कहा गया कि कमजोर वीजा पॉलिसी से भारत के साथ संबंधों में तनाव आ सकता है. सांसदों ने लिखा कि H-1B वीजा के जरिए भारतीय टैलेंट को आकर्षित करने से दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी मजबूत होती है.
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