The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • India
  • us citizenship president donald trump eb5 visa program

EB-5 Visa के जरिये आसानी से मिल जाती है अमेरिकी नागरिकता? बस एक शर्त है

EB-5 प्रोग्राम की शुरुआत अमेरिकी सरकार ने 1990 में की थी. इसके तहत बहुत अधिक संपत्ति वाले विदेशी निवेशकों को अमेरिका का वीजा मिलने में मदद मिलती है. मकसद था कि अमेरिका के अविकसित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए ग्रीन कार्ड की चाहत को पूरा करना.

Advertisement
us president donald trump and eb5 visa program
डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के साथ ही अप्रवासी लोगों में नागरिकता को लेकर हड़बड़ी दिखने लगी है. (तस्वीर:सोशल मीडिया)
pic
शुभम सिंह
27 जनवरी 2025 (Published: 08:46 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

डॉनल्ड ट्रंप ने अमेरिका का राष्ट्रपति पद संभालते ही नागरिकता के मुद्दे पर बहुत बड़ी घोषणा की. उन्होंने जन्म के आधार पर मिलने वाली नागरिकता को खत्म करने का एलान किया. अपने आदेश को लागू करने के लिए उन्होंने 30 दिन का समय दिया है. इस फैसले के बाद लोगों में अमेरिका का वीजा हासिल करने की हड़बड़ाहट मच गई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रंप के हालिया एलान से अमेरिका में समय से पहले डिलीवरी कराने की बाढ़ आ गई है. हालांकि, एक तरीका और है जिसके तहत थोड़ी जेब ढीली करके नागरिकता हासिल की जा सकती है. ये तरीका है EB5 वीजा प्रोग्राम.

EB5 वीजा प्रोग्राम क्या है?

EB-5 प्रोग्राम की शुरुआत अमेरिकी सरकार ने 1990 में की थी. इसके तहत बहुत अधिक संपत्ति वाले विदेशी निवेशकों को अमेरिका का वीजा मिलने में मदद मिलती है. मकसद था कि अमेरिका के अविकसित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए ग्रीन कार्ड की चाहत को पूरा करना. लेकिन इसके लिए उन्हें निवेश और रोजगार के अवसर पैदा करने होते हैं. यानी इसके तहत उन विदेशी निवेशकों को स्थायी निवास दिया जाता है, जो अमेरिका में कुछ लाख डॉलर का निवेश करते हैं और कम से कम 10 अमेरिकी लोगों को रोजगार देते हैं.

EB-5 वीजा के लिए निवेशक की उम्र 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए. उसके पास पासपोर्ट जैसा लीगल सरकार डॉक्यूमेंट होना चाहिए. वो किसी संक्रामक रोग से ग्रसित न हो. और उसने अपना धन वैध तरीके से अर्जित किया हो.

इस वीजा के लिए आवेदन करने में 6 से 8 महीने लगते हैं और इसकी प्रक्रिया HI-B और L1 वीजा की अपेक्षा ज्यादा आसान होती है. EB-5 प्रोग्राम को 15 मार्च, 2022 को कुछ कानूनी अमलीजामा पहनाया गया. इस प्रोग्राम के तहत एलिजिबिल होने के लिए कम से कम 10 लाख 50 हजार डॉलर का निवेश करना होगा. हालांकि, अगर निवेश कुछ खास टार्गेटेड इलाकों (TEA) में किया जा रहा है तो निवेश की राशि 8 लाख डॉलर तक भी चलेगी. 

EB-5 प्रोग्राम का लाभ पाने वाले ज्यादातार अप्रवासी निवेशक TEA में ही निवेश करते हैं. ये ग्रामीण इलाके होते हैं या फिर ऐसे इलाके बेरोजगारी की दर बहुत ज्यादा होती है. इन इलाकों में निवेश करने के इच्छुक लोगों के लिए 2000 वीजा अलग से रखे गए हैं. 

यह भी पढ़ें:H1B Visa पर डॉनल्ड ट्रंप के इस बयान से भारतीयों की बल्ले-बल्ले है!

लेकिन कुछ समस्याएं भी आ रहीं?

सिस्टम कैसा भी हो, कहीं भी हो, लूपहोल निकालने वाले आ ही जाते हैं. न्यूयॉर्क पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कई बड़े निवेशक सिस्टम में हेराफेरी करते हैं. वे ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरी इलाकों में अधिक पैसे लगाते हैं. इन कार्यक्रमों में भी धांधली की गई है. भारत, चीन, वियतनाम, ताइवान और दक्षिण कोरिया के लोगों ने EB-5 प्रोग्राम में 92 प्रतिशत योगदान दिया. लेकिन आंकड़ों में देखें तो 1 अक्टूबर, 2023 से 31 मई, 2024 के बीच भारतीयों को EB-5 वीजा जारी करने में 22% की गिरावट आई है.

अब देखना होगा कि ट्रंप के नागरिकता को लेकर दिए गए बयान के बाद EB-5 वीजा के लिए किस तरह की होड़ मचती है.

वीडियो: खर्चा पानी: डोनाल्ड ट्रंप के आने से भारत को क्या फ़ायदा और क्या नुक़सान हो सकते हैं?

Advertisement