यूपी के 7 जिलों के अस्पताल में एक ही लैब टेक्नीशियन का नाम, 9 साल तक सैलरी भी ली
UP X-Ray Technician Job Scam 2016: स्वास्थ्य विभाग ने शामली, बांदा, अमरोहा, बलरामपुर, फर्रुखाबाद और रामपुर में इन पदों को हासिल करने के लिए जाली डॉक्यूमेंट्स का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है. मामला सामने आने के बाद सभी छह आरोपी फरार हैं.

साल 2016. उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 403 सफल उम्मीदवारों की एक लिस्ट जारी की. इस में 80वां नाम था- अर्पित सिंह, पुत्र अनिल कुमार सिंह. उस साल लिस्ट में एकमात्र नाम आगरा के रहने वाले अर्पित सिंह का था. जो हाथरस के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) में एक्स-रे टेक्नीशियन के रूप में लगभग 35,000 रुपये मासिक वेतन पर तैनात कर दिए गए.
नौ साल बाद यानी अगस्त, 2025. पता चला कि एक ही नाम, एक ही पिता का नाम और एक ही साल भर्ती वाले छह और एक्स-रे टेक्नीशियन छह जिला अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में काम कर रहे हैं. नाम, अर्पित सिंह. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ये बड़े स्तर की धोखाधड़ी है.
स्वास्थ्य विभाग ने शामली, बांदा, अमरोहा, बलरामपुर, फर्रुखाबाद और रामपुर में इन पदों को हासिल करने के लिए जाली डॉक्यूमेंट्स का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है. मामले के सामने आने के बाद सभी छह आरोपी फरार हैं.
स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि मीडिया रिपोर्ट्स के बाद उन्हें इन छह फर्जी नियुक्तियों के बारे में पता चला. कार्मिक और सेवा रिकॉर्ड बनाए रखने के लिए राज्य का एक ऑनलाइन मंच है, मानव संपदा पोर्टल. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, सूत्रों ने कहा कि लगभग एक हफ्ते पहले इस पोर्टल की जांच के दौरान विसंगतियों का पता चला.
इस खुलासे के बाद विभाग ने कथित तौर पर उन जिलों से रिपोर्ट मांगी जहां सातों 'अर्पित सिंह' तैनात थे. वरिष्ठ अधिकारियों को डाक्यूमेंट्स की जांच से पता चला कि उनमें से छह ने कथित तौर पर फर्जी तरीकों से अपनी नियुक्तियां हासिल की थीं. जिम्मेदारी तय करने के लिए विभागीय जांच की जा रही है. वहीं, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं की निदेशक (पैरामेडिकल) डॉ. रंजना खरे ने लखनऊ के वजीरगंज पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है.
शिकायत में छह लोगों पर सरकारी खजाने को वित्तीय नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया. साथ ही, कहा गया कि आरोपियों में से एक ने अपने आधार कार्ड पर मैनपुरी का पता दर्ज कराया था. जबकि अन्य पांच ने आगरा का पता दर्ज कराया था. वजीरगंज थाने के प्रभारी राजेश कुमार त्रिपाठी ने बताया कि जल्द ही संबंधित जिलों में साक्ष्य जुटाने के लिए टीमें भेजी जाएंगी. उन्होंने आगे कहा,
अभी ये स्पष्ट नहीं है कि आरोपी को ये पोस्टिंग कैसे मिलीं. हम अभी भी शिकायत की जांच कर रहे हैं.
बताया गया कि असली अर्पित सिंह अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ हाथरस में रहते हैं. उन्होंने बताया कि वो रोजाना हाथरस के मुरसान स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में काम पर जाते रहे हैं. उन्हें हाल ही में धोखाधड़ी के बारे में पता चला. उन्होंने कहा,
मुझे इस मामले के बारे में हाल ही में मीडिया से पता चला. हालांकि, सभी छह आरोपियों ने मेरा और पिता का नाम इस्तेमाल किया था. लेकिन उनके मेडिकल और शैक्षिक प्रमाण पत्र अलग-अलग थे. छह में से पांच आरोपियों ने अपने आधार कार्ड पर आगरा का पता लिखा था. जबकि चार का पता मेरे पते जैसा ही था.
असली अर्पित सिंह ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि कैसे छह आरोपी लगभग नौ सालों तक अपनी पहचान पर संदेह किए बिना काम करते रहे. वहीं, रामपुर जिला अस्पताल और फर्रुखाबाद CHC में आरोपियों के पूर्व सहकर्मियों ने इन हालिया खुलासों पर आश्चर्य जताया.
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