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डिलीवरी के बाद बहू की दोनों किडनी खराब, कहीं से मदद नहीं मिली तो सास ने दी अपनी किडनी

महिला ने पहले अपनी मां से मदद मांगी. लेकिन किसी कारणवश वो ऐसा नहीं कर पाईं. इसके बाद सास आगे आई और अपनी किडनी बहू को देने का फैसला किया. मेडिकल जांच में दोनों का ब्लड ग्रुप भी मैच हो गया. इसके बाद डॉक्टरों ने सफल ट्रांसप्लांट किया.

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up eta mother in law donates kidney to daughter in law saving her life
सास ने अपनी बहू को एक किडनी दान कर दी. (तस्वीर-इंडिया टुडे)
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सचेंद्र प्रताप सिंह
22 सितंबर 2025 (Published: 07:08 PM IST)
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सास-बहू के रिश्ते को समाज 'तू-तू मैं-मैं' से डिफाइन करता आया है. इस बात की परवाह किए बिना कि शादी के बाद ज्यादातर महिलाओं की जिंदगी बिल्कुल वैसी नहीं रहती जैसी वे जीना चाहती हैं. पारिवारिक परिस्थितियां, अनुभव और भावनाएं समय के साथ उन्हें दूसरी महिलाओं के प्रति निष्ठुर बना देते हैं. इसी के चलते कहीं सास अपनी बहू से, कहीं बहू अपनी सास से और कहीं दोनों ही एक-दूसरे से नफरत करने लगती हैं. लेकिन इस धारणा को गलत साबित करने वाली मिसालें भी सामने आती रहती हैं.

उत्तर प्रदेश के एटा जिले में एक सास ने अपनी बहू को अपनी एक किडनी दान कर दी. बहू की फरवरी महीने में डिलीवरी हुई थी. इसके बाद उसकी दोनों किडनियों में इंफेक्शन फैल गया था. डॉक्टरों ने बताया कि महिला की किडनी 75% तक खराब हो गई थी. ऐसे में महिला ने पहले अपनी मां से मदद मांगी. लेकिन किसी कारणवश वो ऐसा नहीं कर पाईं. इसके बाद सास आगे आई और अपनी किडनी बहू को देने का फैसला किया. मेडिकल जांच में दोनों का ब्लड ग्रुप भी मैच हो गया. इसके बाद डॉक्टरों ने सफल ट्रांसप्लांट किया. 

इंडिया टुडे से जुड़े अंतिक मिश्रा की रिपोर्ट के मुताबिक फर्रुखाबाद की रहने वाली पूजा की शादी नवंबर 2023 में एटा के अश्विनी प्रताप सिंह से हुई थी. पूजा ने इसी साल फरवरी महीने में बेटी को जन्म दिया था. इसके बाद इंफेक्शन के कारण उनकी दोनों किडनियां 75 प्रतिशत तक खराब हो गईं. परिवार ने बहुत इलाज कराया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. 

बाद में पूजा को लखनऊ के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया. वहां डॉक्टरों ने बताया कि पूजा की जान बचाने के लिए किडनी ट्रांसप्लांट ही आखिरी विकल्प है. ऐसे में सास बीनम देवी आगे आईं. उनका ब्लड ग्रुप मैच हुआ. उन्होंने अपनी किडनी दान कर दी. बीती 13 सितंबर को आरएमएल में सफल ट्रांसप्लांट किया गया. ट्रांसप्लांट के बाद पूजा एक साल तक डॉक्टर की निगरानी में रहेंगी.

इंडिया टुडे से फोन पर बात करते हुए पूजा ने बताया, “सास की वजह से मेरी जान बची है. अब मैं अपनी बेटी को गोद में लेकर खिला पाऊंगी. ईश्वर ऐसी सास सबको दें.” वहीं सास बीनम देवी बोलीं, “जब किसी ने मदद नहीं की. तो मैंने अपनी बहू को किडनी दी. आज वह बिल्कुल ठीक है.”

ऐसा ही मामला जनवरी 2025 में यूपी के कौशांबी जिले से आया था. जहां 60 साल की पुष्पा देवी ने बहू रीना को किडनी दान कर दी थी. बताया गया कि दो बच्चों की मां रीना मई 2024 से एंड-स्टेज किडनी डिजीज (ESRD) से जूझ रही थीं. वह डायलिसिस पर थीं. जांच के दौरान उनका ब्लड ग्रुप परिवार के किसी सदस्य से मैच नहीं हुआ. तब उनकी हालत को देखते हुए उनकी सास ने किडनी देने का फैसला किया था. इसके बाद उनका ट्रांसप्लांट सफल रहा.

वीडियो: सेहत: क्या है पेयर्ड किडनी ट्रांसप्लांट, जो किडनी के मरीज़ों की जान बचा सकता है?

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