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11 साल से MBBS फर्स्ट ईयर में पढ़ रहे 'दरोगा जी', एक बार पेपर भी दिए थे!

कॉलेज वाले परेशान हैं कि छात्र ना तो पेपर देता है, ना पास होता है. हॉस्टल वाले परेशान हैं कि ना तो पास होता है, ना हॉस्टल छोड़ता है.

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UP 11 years mbbs student case brd medical college gorakhpur
आमतौर पर MBBS की पढ़ाई साढ़े पांच साल में पूरी हो जाती है. (सांकेतिक फोटो: आजतक)
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अर्पित कटियार
28 दिसंबर 2025 (Updated: 28 दिसंबर 2025, 02:51 PM IST)
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यूपी के गोरखपुर में एक मेडिकल कॉलेज है. 'दरोगा' यहां पिछले 11 सालों से MBBS फर्स्ट ईयर की पढ़ाई कर रहे हैं. 'दरोगा' को यह नाम उनके दोस्तों ने दिया है. 'दरोगा' के पिता पुलिस में दरोगा हैं. इसलिए, कॉलेज में सब उन्हें इसी नाम से बुलाते हैं. खबर ये है कि 'दरोगा' पिछले 11 सालों से फर्स्ट ईयर में ही हैं. कुछ बताते भी नहीं कि समस्या क्या है. एग्जाम भी नहीं देते. ‘दरोगा’ ने फर्स्ट ईयर का एग्जाम सिर्फ एक बार दिया था, जिसमें वे सभी सब्जेक्ट्स में फेल हो गए. इसके बाद ‘दरोगा’ ने कभी एग्जाम देने की जहमत नहीं उठाई.

मामला क्या हैं?

मामला गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज का है. यहां एक छात्र पिछले 11 साल से MBBS के फर्स्ट ईयर की ही पढ़ाई कर रहा है. आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, छात्र 2014 बैच का है और आजमगढ़ का रहने वाला है. उसने अनुसूचित जाति (SC) कोटे से MBBS में दाखिला लिया था. 

छात्र अब तक मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल में ही रह रहा है. शिक्षकों ने कई बार उसे पढ़ाई में मदद और काउंसलिंग की पेशकश की, लेकिन उसने इसमें कोई रुचि नहीं दिखाई. हॉस्टल वार्डन ने इस मामले को लेकर कॉलेज प्रशासन को कई बार पत्र लिखे, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई.

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. रामकुमार ने कहा कि उन्हें हाल ही में इस मामले की जानकारी मिली है. छात्र की कई बार काउंसलिंग की गई और उसे एग्जाम देने के लिए मोटिवेट भी किया गया. उन्होंने बताया कि कॉलेज की एकेडमिक कमेटी की बैठक में इस मामले को उठाया जाएगा और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) को इस बारे में सूचित किया जाएगा, ताकि आगे का फैसला लिया जा सके.

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नियमों पर उठे सवाल

आमतौर पर MBBS की पढ़ाई साढ़े पांच साल में पूरी हो जाती है. लेकिन NMC के नियम कहते हैं कि MBBS का पहला साल, चार साल में और पूरा कोर्स नौ साल में पूरा करना जरूरी है. हालांकि, यह मामला 2014 बैच का है, जब भारतीय चिकित्सा परिषद (MCI) के नियम लागू थे. इसी वजह से अब तक कोई फैसला नहीं लिया जा सका.

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