उन्नाव रेप केस: पीड़िता की मां सुप्रीम कोर्ट क्यों पहुंचीं? दिल्ली सरकार को हलफनामा देना होगा
जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस पीबी वराले की पीठ ने मामले की सुनवाई की. बेंच ने महिला के आवेदन पर दिल्ली सरकार को दो हफ्ते के भीतर हलफनामा दाखिल करने को कहा है.

उन्नाव रेप केस की पीड़िता की मां को CRPF सुरक्षा चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता के परिवार को मिली CRPF सुरक्षा हटाने का आदेश दिया था. अब उन्होंने शीर्ष अदालत से अपील की है कि वो अपना फैसला वापस ले ले. इसके लिए पीड़िता की मां ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इस पर मंगलवार 7 अक्टूबर को सुनवाई हुई. पीड़िता की मां ने कहा कि उन्हें और उनके परिवार पर जान का खतरा है.
जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस पीबी वराले की पीठ ने मामले की सुनवाई की. लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार बेंच ने महिला के आवेदन पर दिल्ली सरकार को दो हफ्ते के भीतर हलफनामा दाखिल करने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि इस हलफनामे में बताया जाए कि क्या आवेदक के परिवार को वाकई खतरा है और क्या उन्होंने सुरक्षा के लिए किसी अधिकारी से संपर्क किया है.
मार्च में हटाई गई थी परिवार की सुरक्षाइससे पहले 2019 में पीड़िता के परिवार ने जान का खतरा बताते हुए सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस को पत्र लिखा था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता, उसकी मां, वकील, भाई समेत पूरे परिवार को CRPF की सुरक्षा देने का आदेश दिया था. साथ ही केस को लखनऊ से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया था. हालांकि, केंद्र सरकार ने मार्च 2025 में आवेदन देकर कहा था कि अब परिवार को सुरक्षा देने की आवश्यकता नहीं है, केवल पीड़िता को ही सुरक्षा दी जाए. सुप्रीम कोर्ट ने इसकी अनुमति दे दी थी.
इसी को लेकर पीड़िता की मां सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं. उन्होंने कोर्ट को बताया कि परिवार से सुरक्षा हटाने के बाद उनके घर पर हमला हुआ था और सामान भी चोरी हुआ था. महिला का कहना है कि उन्हें डर है कि आरोपी कुलदीप सेंगर अभी भी प्रभावशाली है और उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है.
सुनवाई के दौरान पीड़िता के वकील ने कोर्ट को बताया कि परिवार ने सुरक्षा की मांग करते हुए दिल्ली लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (DLSA) को भी आवेदन दिया था. हालांकि कोर्ट ने जब इससे जुड़े दस्तावेज मांगे तो वकील उसे पेश नहीं कर सके. इस पर कोर्ट ने कहा कि जब तक आप उन्हें पेश नहीं करते, कोई भी आदेश पारित करना बहुत मुश्किल होगा.
दिल्ली सरकार के वकील ने भी दलील दी कि आवेदक ने किसी स्थानीय अथॉरिटी से सुरक्षा के लिए संपर्क नहीं किया है. इसके बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील को अतिरिक्त दस्तावेज़ जमा करने की अनुमति दे दी. वहीं दिल्ली सरकार के वकील को भी हलफनामा दायर करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया.
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कुलदीप सेंगर को ठहराया गया था दोषीउन्नाव रेप केस में दिसंबर 2019 में निचली अदालत ने भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और अन्य को दोषी ठहराया था. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने CBI को निर्देश दिया था कि पीड़िता और उसके परिवार पर खतरे की आशंका का हर तीन महीने में आकलन किया जाए. पीड़िता की मां ने कोर्ट में दिए हालिया आवेदन में कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने आखिरी बार 2022 में खतरे की आशंका पर एक हलफनामा दायर किया था, जिसके बाद राज्य या सीबीआई द्वारा कोई और रिपोर्ट नहीं दी गई.
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