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लोको पायलट 13 से 15 घंटे काम करने को मजबूर, रेलवे की जांच में खुलासा

Loco Pilot Working Hours: किसी भी लोको पायलट से 11 घंटे से ज़्यादा काम नहीं लिया जा सकता. लेकिन उनसे 13 से 15 घंटे तक काम लिया जा रहा है. ओवर टाइम पकड़ा न जाए, इसलिए सिस्टम में हेराफेरी की भी बात सामने आई है. रेलवे ने दोषी कर्मचारियों के खिलाफ सख़्त कार्रवाई का निर्देश दिया है.

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Train Safety: Loco Pilots Of Goods Train Are Working Over Time, Not Getting Enough Time To Rest
अप्रैल के शुरुआती 19 दिनों में मिले 600 से ज़्यादा मामले. (फाइल फोटो- एजेंसी)
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रिदम कुमार
25 अप्रैल 2025 (Updated: 25 अप्रैल 2025, 03:53 PM IST) कॉमेंट्स
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गड़बड़ियों की वजह से देश के अलग-अलग हिस्सों में रह-रहकर हुए रेलवे हादसों (Train Accident) ने काफी चिंता बढ़ाई है. एक और ऐसा ही मामला सामने आया है. पता चला है कि माल गाड़ियों के लोको पायलटों को पूरा आराम नहीं दिया जा रहा है. उनसे 13 से 15 घंटे (Loco Pilot Working Hour) तक काम लिया जा रहा है. रेलवे की विभागीय जांच में यह बात सामने आई है. रेलवे ने माना कि यह सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक हो सकता है. इतना ही नहीं, ओवर टाइम पकड़ा न जाए इसलिए सिस्टम में हेराफेरी की भी बात सामने आई है. 

नियमों के अनुसार, किसी भी लोको पायलट से 11 घंटे से ज़्यादा काम नहीं लिया जा सकता. अगर कोई लोको पायलट 14 घंटे से ज़्यादा काम करता है तो CMS (क्रू मैनेजमेंट सिस्टम) उस केस को अलर्ट करता है. न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, बीते दिनों सिकंदराबाद डिविजन में मालगाड़ी के लोको पायलट आर. रविशंकर ने काम पर आने से मना कर दिया. 

उनका कहना था कि आराम के लिए पर्याप्त टाइम नहीं दिया. इसके बाद रेलवे के कान खड़े हुए. साउथ ईस्टर्न रेलवे (SER) ने मामले में जांच शुरू की और गड़बड़ी का खुलासा हुआ. पता चला कि क्रू के अधिकारी लोको पायलटों पर प्रेशर बना रहे हैं. 

क्या थी गड़बड़ी

रविशंकर के मामले की ही बात करें तो जांच में पता चला कि उन्होंने 13 घंटे 55 मिनट घंटे काम किया. लेकिन जब डेटा को CMS रिपोर्ट से मिलाया गया तो काम के घंटे 14:26 मिले. मामला रिपोर्ट न हो सके इसलिए 31 मिनट कम दर्ज कराए गए. इसके बाद रेलवे ने 22 अप्रैल 2025 को सर्कुलर जारी करके पूरे मामले का खुलासा किया.

रिपोर्ट के मुताबिक, रेलवे ने अपने सर्कुलर में बताया कि जांच के दौरान पता चला कि 620 लोको पायलटों के काम के घंटे 13:55 और 14 के बीच के थे. ये सभी मामले अप्रैल के सिर्फ शुरुआती 19 दिनों के थे. 620 मामलों में से 545 मामले अकेले साउथ ईस्ट डिवीजन के थे.

सर्कुलर में कहा गया कि इतनी ज़्यादा संख्या में मामले यह दिखाते हैं कि साइन ऑफ करते वक्त क्रू अधिकारी लोको पायलटों को गलत टाइम फीड करने के लिए मजबूर कर रहे हैं. रेलवे ने इसे गंभीर गड़बड़ी माना है. इसे तुरंत रोका जाना चाहिए. 

सख़्त एक्शन का निर्देश

इसे लेकर सीनियर अधिकारियों से कहा गया है कि वे क्रू के अधिकारियों को इस तरह की गलत प्रैक्टिस का सहारा न लेने के लिए ज़रूरी निर्देश दें. सर्कुलर में चेतावनी दी गई है कि ट्रेन संचालन से जुड़े किसी भी तरह के डेटा में हेराफेरी को गंभीरता से लिया जाना चाहिए. दोषी कर्मचारियों के खिलाफ सख़्त कार्रवाई की जानी चाहिए.

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