The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • India
  • TN govt shuts down Sresan Pharmaceutical revokes licence over cough syrup Coldrif row

बच्चों की मौत के बाद कोल्ड्रिफ कफ सिरप बनाने वाली कंपनी बंद, तमिलनाडु सरकार ने लाइसेंस रद्द किया

13 अक्टूबर को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत एक मामले के सिलसिले में श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स के परिसरों और कुछ अधिकारियों के घरों पर छापे भी मारे.

Advertisement
TN govt shuts down Sresan Pharmaceutical revokes licence over cough syrup Coldrif row
कंपनी के मालिक जी रंगनाथन को शनिवार, 11 अक्टूबर को मध्य प्रदेश से एक SIT टीम ने गिरफ्तार किया था. (फोटो- ANI)
pic
प्रशांत सिंह
13 अक्तूबर 2025 (Published: 04:50 PM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

मध्यप्रदेश में खांसी की सिरप से 20 से ज्यादा बच्चों की मौत के बाद तमिलनाडु सरकार ने कड़ा एक्शन लिया है. राज्य सरकार ने कोल्ड्रिफ सिरप बनाने वाली श्रीसन फार्मा कंपनी को बंद करने का आदेश दिया है. इस सिरप में 48.6% डाईएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) मिला था. कंपनी का मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस पूरी तरह रद्द कर दिया गया है.

बता दें कि दवाओं में DEG का अधिकतम लेवल 0.1% होना चाहिए. इससे ऊपर ये घातक हो सकता है. यही वजह है कि तमिलनाडु सरकार ने कंपनी के खिलाफ एक्शन लिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राज्य की ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट के अधिकारियों को कंपनी की मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस (GMP) में भी खामियां मिलीं. साथ ही लैब में भी अनियमितताएं पाई गईं. अधिकारियों ने 300 से ज्यादा मामलों में गड़बड़ियां पकड़ी.

तमिलनाडु सरकार ने एक प्रेस रिलीज में कहा,

“श्रीसन फार्मास्युटिकल्स का ड्रग मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस पूरी तरह से रद्द कर दिया गया है और कंपनी को बंद कर दिया गया है. तमिलनाडु में दवा बनाने वाली बाकी कंपनियों की विस्तृत जांच के आदेश जारी किए गए हैं.”

बता दें कि कंपनी के मालिक जी रंगनाथन को शनिवार, 11 अक्टूबर को मध्य प्रदेश से एक SIT टीम ने गिरफ्तार किया था. सोमवार, 13 अक्टूबर को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत एक मामले के सिलसिले में श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स के परिसरों और कुछ अधिकारियों के घरों पर छापे भी मारे.

DEG का काम क्या है?

DEG यानी डाईएथिलीन ग्लाइकॉल. इसका इस्तेमाल पेंट, ब्रेक फ्लूइड और प्लास्टिक बनाने में किया जाता है. माने एक बात साफ है कि ये दवाओं में यूज नहीं किया जाता. कफ सिरप बनाने के लिए सबसे पहले उसका फॉर्मूला तय किया जाता है. कौन-सी दवा कितनी मात्रा में डाली जाएगी, ये तय होता है. सिरप का एक मीठा बेस भी तैयार किया जाता है. जिससे कि वो पीने में कड़वी न लगे. इसके लिए पानी, चीनी, फ्लेवरिंग एजेंट और रंग मिलाए जाते हैं. ग्लिसरीन, प्रोपाइलीन ग्लाइकॉल या सॉरबिटॉल जैसी चीजें भी डाली जाती हैं. ये उस दवा के एक्टिव इनग्रीडिएंट को घुलने में मदद करती हैं. ये सिरप को गाढ़ापन और मिठास देती हैं. उसमें नमी भी बनाए रखती हैं. ये टॉक्सिक नहीं होतीं. यानी इनसे शरीर को नुकसान नहीं पहुंचता.

DEG कलरलेस (बिना किसी रंग का) और सिरप जैसा होता है. यही कारण है कि अगर टेस्टिंग में थोड़ा भी ढिलाई बरती गई, तो इसे पकड़ना मुश्किल है. अगर प्रोपाइलीन ग्लाइकॉल या ग्लिसरीन, फार्मास्युटिकल ग्रेड के बजाय इंडस्ट्रियल ग्रेड का है, तो उसमें डाईएथिलीन ग्लाइकॉल या एथिलीन ग्लाइकॉल (EG) की मिलावट हो सकती है. ये सस्ते होते हैं और इंसानों के इस्तेमाल के लिए सेफ नहीं हैं. कुछ दवा बनाने वाले अपनी लागत कम करने के लिए यहीं पर खेल करते हैं. वो अवैध रूप से इनका उपयोग प्रोपिलीन ग्लाइकॉल के विकल्प के रूप में करते हैं.

डाईएथिलीन ग्लाइकॉल या एथिलीन ग्लाइकॉल बहुत टॉक्सिक होते हैं. इनकी थोड़ी मात्रा भी शरीर को काफी नुकसान पहुंचाती है. ये दिखने और स्वाद में ग्लिसरीन जैसे होते हैं. इनका न तो कोई रंग होता है. न ही कोई गंध. ये स्वाद में हल्के मीठे होते हैं. जब DEG पेट में जाता है तो ये ऑक्जेलिक एसिड जैसे विषैले कंपाउंड में बदल जाता है. जिससे पेट में क्रिस्टल बनते हैं, जो किडनी की नलिकाओं में जमा हो जाते हैं. और यही किडनी फेल होने की वजह बनता है.

वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: कफ सिरप से 19 बच्चों की मौत कैसे, दवा कंपनियों को कौन बचा रहा?

Advertisement

Advertisement

()